Guru Pushya Nakshatra : आगामी विधानसभा चुनाव (Upcoming Assembly Elections) के लिए विभिन्न दलों के प्रत्याशी 24 अक्टूबर को गुरुपुष्यामृत योग (Gurupushyamrit Yoga) में नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। कई उम्मीदवारों ने पहले ही अपने दस्तावेज़ तैयार कर लिए हैं और उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। गुरुपुष्यामृत योग में संकल्प लेना शुभ माना जाता है और माना जाता है कि इस दिन किया गया कार्य सफल होता है।
एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल (president Jayant Patil) ने इस्लामपुर की बैठक में गुरुपुष्यामृत के अवसर पर उम्मीदवारी दाखिल करने की घोषणा की है।इसके साथ ही राजापुर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके शिवसेना नेता राजन साल्वी को भी पार्टी अध्यक्ष ने उम्मीदवारी दाखिल करने की अनुमति दे दी है।इसमें कहा गया, मैं 24 अक्टूबर को दस्तावेज जमा करने की तैयारी कर रहा हूं।
उसी दिन शिवसेना नेताओं (Shiv Sena leaders) ने जानकारी दी कि आदित्य ठाकरे भी अपनी उम्मीदवारी दाखिल करेंगे। कसबा पेठे से दावेदार और दगडूशेठ हलवाई गणपति ट्रस्ट के प्रमुख नेता हेमंत रासे ने भी इसी अवसर पर अपनी उम्मीदवारी दाखिल करने का संकल्प लिया है। उन्होंने जवाब दिया, मैं फिलहाल पार्टी से अपनी उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा का इंतजार कर रहा हूं। इसके साथ ही कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना और अन्य दलों के कई नेताओं ने एक ही दिन अपना नामांकन पत्र दाखिल करने का फैसला किया है।
गुरु पुष्यामृत योग का क्या महत्व है?
यदि पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन पड़ता है तो वह तिथि गुरु पुष्यामृत योग कहलाती है। इस तिथि में गुरुवार और पुष्यन नक्षत्र का योग होता है इसलिए इस तिथि को गुरुपुष्यामृत योग कहा जाता है। पुष्यमृत गुरुवार के दिन पड़ना एक दुर्लभ योग माना जाता है। इसीलिए इसे अमृत योग माना जाता है। भारतीय संस्कृति में इस योग को सबसे शुभ योग कहा गया है। पुष्य नक्षत्र में हर क्षण शुभ होता है।
गुरुपुष्यामृत योग के माध्यम से किए गए धार्मिक कार्य शुभ माने जाते हैं। पुष्य नक्षत्र सभी प्रकार के कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। गुरुपुष्य योग दिवस पर गुरुमंत्र का जाप करना सर्वोत्तम बताया गया है। गुरुपुष्यामृत योग पूजा-पाठ, मंत्र-तंत्र, संकल्प, साधना और जप के लिए उत्तम माना गया है।
पुष्य नक्षत्र का महत्व
पुष्य शब्द का अर्थ है पोषण करने वाला, शक्ति देने वाला या ऊर्जा देने वाला। पुष्य का अर्थ शुभ, सुंदर, सुख और धन देने वाला भी होता है। पुष्य नक्षत्र अत्यंत शुभ एवं मंगलकारी माना जाता है। ऋग्वेद में पुष्य को तिष्य कहा गया है जिसका अर्थ है शुभ या शुभ तारा। पुष्य नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है।
पुष्य को नक्षत्र का राजा कहा जाता है। इसलिए इस योग में की गई खरीदारी फलदायी मानी जाती है। यह योग शुभ है। इस तिथि पर की गई खरीदारी टिकाऊ होती है। इस समय सोना, चांदी, भूमि, भवन, वाहन, आभूषण खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।



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Tue, Oct 22 , 2024, 07:37 PM