Jammu Kashmir Election Result 2024: जम्मू-कश्मीर में क्यों हार गई बीजेपी? नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस की जीत के 5 कारण

Tue, Oct 08 , 2024, 04:33 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Jammu Kashmir Election: जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का बीजेपी का सपना टूटता नजर आ रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (Congress-National Conference) 52 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं बीजेपी (BJP) 27 सीटों पर आगे है। इसलिए जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक तस्वीर साफ है। प्रारंभिक कला यह थी कि महबूबा मुफ्ती की पीडीपी (Mehbooba Mufti's PDP) और स्वतंत्र उम्मीदवार गेम चेंजर हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 

लद्दाख के अलग होने और अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की यह पहली अग्निपरीक्षा थी। लेकिन भाजपा कश्मीर के लोगों को यह विश्वास दिलाने में विफल रही कि उनकी पार्टी की सरकार लोगों के कल्याण के लिए होगी। बीजेपी 'न्यू कश्मीर' का नारा दे रही थी, लेकिन लोगों को इस पर यकीन नहीं हुआ। 

बीजेपी की हार के कारण -
अलगाववादियों के विरुद्ध नीति -

कश्मीर घाटी में हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मजबूत योजना बनाई है। अलगाववादियों, पत्थरबाजों और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। लेकिन इससे यह संदेश गया कि बीजेपी आम कश्मीरी लोगों पर दबाव बना रही है। ये डर बीजेपी के खिलाफ गया। 

02. 370 पर भरोसा न करना -
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और लद्दाख को अलग करने के फैसले से बीजेपी को कोई फायदा नहीं हुआ। बीजेपी ये समझाने में नाकाम रही कि ये फैसला कश्मीरी लोगों के हित में है। 

3. कश्मीर में जनमत तैयार करने में विफलता -
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में बीजेपी ने कश्मीर घाटी में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा था। विधानसभा चुनाव में भी यहां बीजेपी की पकड़ नहीं रही। जिन गठबंधन पार्टियों पर उनका विश्वास था, वे कुछ खास नहीं कर सकीं। कश्मीर घाटी में उन्होंने 47 में से सिर्फ 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। 

4. मुख्यमंत्री पद का चेहरा -
अगर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी जीतती तो मुख्यमंत्री कौन बनता? ये बड़ा सवाल लोगों के मन में होगा। बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा थे प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना।  लेकिन वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने नहीं आये। 

5. बेरोजगारी
जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया तो बीजेपी ने वादा किया कि बेरोजगारी दूर की जाएगी। कई परियोजनाएं शुरू होंगी, राज्य में बड़ा निवेश होगा। लेकिन इसमें कोई गति नहीं थी। इससे युवक नाराज हो गये। 

नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस की जीत के 5 कारण -
1 मत विभाजन टाला गया -

विपक्ष को वोट-विभाजन से लाभ उठाने से रोकने के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव पूर्व गठबंधन बनाया। सीटों का आवंटन सहमति से पूरा हुआ। पांच स्थानों पर मैत्रीपूर्ण मैच खेले गए। इस बात का ध्यान रखा गया कि भाजपा विरोधी वोट न बिखरें।

2 भाजपा विरोधी जनमत -
राज्य में बीजेपी विरोधी माहौल था। यह भावना जम्मू क्षेत्र को छोड़कर कश्मीर घाटी में प्रबल थी। इसकी झलक चुनाव नतीजों में देखने को मिली। 

3 पूर्ण राज्य का दर्जा छिन जाने से नाराजगी -
कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रयासों का वादा किया। मतदाताओं को भी यह महसूस हुआ होगा कि उनका राज्य केंद्रीकृत हो गया है। 

4- कांग्रेस और एनसी के बड़े मतदाता
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टियां हैं। तो उनका एक निर्वाचन क्षेत्र है। वहीं अब्दुला परिवार का कश्मीर में अच्छा प्रभाव है। इसका फायदा इस गठबंधन को मिला। 

5-बेरोजगारी को लेकर अशांति-
राज्य में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। इस पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। इससे युवा उनकी ओर आकर्षित हुए। पिछले पांच वर्षों से, भाजपा केंद्र सरकार के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में राज्य स्रोतों पर कब्जा कर रही है।

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