दक्षिण अफ़्रीका। ब्रिक्स (BRICS) मेंबर बनने के लिए दुनिया भर (all over the world) से कुल 23 देशों ने आवेदन किया है. इनके नाम हैं- अल्जीरिया, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, बहरीन, बेलारूस, बोलिविया, वेनेज़ुएला, वियतनाम, होंडूरास, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, क्यूबा, कज़ाखस्तान, कुवैत, मोरक्को, नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात ( UAE), पलेस्टाइन, सऊदी अरब, सेनेगल, थाइलैंड और इथोपिया. दुनिया के नक्शे में इन देशों की लोकेशन से आप बख़ूबी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ब्रिक्स में अगर ये सभी देश शामिल हुए तो यह संगठन पूरी दुनिया में किस तरह अपना विस्तार हासिल करेगा.
वर्तमान समय में ब्रिक्स में कुल पांच देश- ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ़्रीका हैं. दक्षिण अफ़्रीका के जोहानसबर्ग (Johannesburg) में 22-24 अगस्त को होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में नये सदस्यों के शामिल किए जाने पर चर्चा होगी. जानकारों का दावा है कि नये सदस्यों के ब्रिक्स में शामिल होने पर यह जियो पालिटिक्स में जी-20 के मुक़ाबले खड़ा हो सकता है.
जी-20 बनाम ब्रिक्स प्लस हुआ तो क्या होगा ?
ब्रिक्स देशों में इस वक़्त दुनिया की लगभग आधी आबादी रहती है एवं इसके पास दुनिया की एक चौथाई जीडीपी है. नए सदस्यों के बनने के बाद भू-राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदल सकता है. जी-20 में मौजूद रूस और चीन को लगता है कि यह संगठन अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों के एजेंडे को आगे बढ़ाता है. रूस और चीन की मंशा पश्चिमी देशों से अलग एक मज़बूत वैश्विक गठबंधन बनाने की है. ब्रिक्स के विस्तार के बाद ब्रिक्स प्लस का स्वरूप उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
मौजूदा समय में जी-20 में अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, इंडिया, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल है. संयुक्त राष्ट्र के बाद यह सबसे अधिक ताकतवर संगठन है. दुनिया के जीडीपी का 85 फ़ीसदी एवं तीन-चौथाई व्यापार और दो-तिहाई आबादी जी-20 में शामिल है. मौजूदा ब्रिक्स के सभी सदस्य जी-20 में शामिल हैं एवं ब्रिक्स के नये सदस्यों में से अर्जेंटीना एवं सऊदी अरब भी जी-20 के सदस्य है.
भारत की होगी अहम भूमिका
भारत ने इस साल SCO की अध्यक्षता की थी और अब जी-20 की अध्यक्षता करने जा रहा है. ब्रिक्स हो या जी-20 या फिर SCO इन संगठनों में केवल भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो दोनों पक्षों के साथ समान भाव से जुड़ा है. रूस के बाद चीन के साथ भी अमेरिका एवं पश्चिमी देशों का तनाव बढ़ता जा रहा है. आने वाले समय में इन संगठनों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा में भारत की भूमिका अहम साबित होगी. भारत एक मात्र ऐसा देश होगा जो दोनों पक्षों के लिए विश्वसनीय होगा. भारत की आर्थिक मज़बूती एवं विभिन्न वैश्विक मंचों पर ज़ोरदार उपस्थिति, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत के लिए एक सुनहरा मौक़ा लेकर आने वाली है. विभिन्न संगठनों के बीच संवाद एवं संतुलन क़ायम करने में भारत एक प्रभावी भूमिका अदा कर सकता है.



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Tue, Aug 15 , 2023, 12:52 PM