Chinese Economy: अमेरिका जैसे पावरफुल देश (powerful country) को अपने आगे बौना बनाने की चीन की चाल अब खुद एक जाल बनकर रह गई है. इसमें कोई शक नहीं है कि तकनीक हो या कोई और सेक्टर, ड्रैगन (Dragon) ने अपना दबदबा हर जगह कायम कर रखा था. लेकिन भारत सरकार की तरफ से कई ऐसे कठोर फैसले लिए. जिससे चीन को खासा नुकसान झेलना पड़ा. चाहे चाइनीज एप्स (Chinese apps) को बैन करना हो या ट्रेड के मोर्चे पर हो. मोदी सरकार (Modi government) ने चीन को पानी पिलाने के लिए ताबड़तोड़ फैसले लिए है. वहीं अमेरिका ने भी घेराबंदी शुरु कर दी. नतीजा चीन की इकोनॉमिक हालत (economic condition of China) लगातार खराब होनी शुरू हो गई. है.
किसी भी देश की ग्रोथ का सबसे अहम इंडिकेटर होता है उस देश की जीडीपी. साल 2023 के दूसरे तिमाही के चीन की जीडीपी का अनुमान घटाकर 4.2 फीसदी कर दिया गया है. यह अनुमान साल 2020 के पहली तिमाही के बाद सबसे कम है. चीन की जीडीपी गिरने की एक नहीं कई वजहें हैं. आइए आपको उन कारणों के बारे में बताते हैं. जिसने चीन की हालत खराब कर दी है.
लॉकडाउन सबसे बड़ा विलेन
केडिया एडवायजरी के फाउंडर अजय केडिया ने बताया कि चीन की हालत का सबसे बड़ा जिम्मेदार लॉकडाउन रहा है. लॉकडाउन भारत समेत कई देशों में लगाया गया था. लेकिन भारत सरकार ने इसे काफी अच्छे से हैंडल किया. नतीजा भारत जल्द ही इससे उबर गया और भारत आज एक तेजी से उभरती हुई इकोनॉमी बनकर सामने आ गया है. वहीं चीन की बात करें तो चीन लॉकडॉउन का इंपैक्ट चीन पर काफी देखने को मिला. सप्लाई चेन प्रभावित होने से चाइनीज इकोनॉमी को काफी नुकसान झेलना पड़ा. हालांकि चीनी सरकार ने एक्शन लिए लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी.
बेरोजगारी बढ़ा रही मुसीबत
चीन एक ऐसा देश हुआ करता था, जहां के लिए माना जाता रहा है कि चीन में रोजगार के लिए कोई मोहताज नहीं होता है. वहां का बच्चा बच्चा अपना खुद का कारोबार करता है. लेकिन अब मामला उलट है. नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक के आंकड़ों के मुताबिक चीन में बेरोजगारी दर 21 फीसदी तक जा पहुंची है. यह दर 16 से 24 साल के उम्र के लोगों की है. इससे पहले चीन में बेरोजगारी का ऐसा आलम कभी नहीं देखा गया था.
ग्लोबल स्लोडाउन का असर
कोविड का खतरा कम हुआ तो पूरी दुनिया पर मंदी का खतरा सामने आने लगा. इसका असर भी चीन की ग्रोथ पर दिखना शुरू हो गया. लॉकडाउन की बची खुची कसर ग्लोबल स्लोडाउन ने पूरी कर दी. अजय केडिया के मुताबिक चीन दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. ग्लोबल स्लोडाउन के कारण डिमांड प्रभावित हुई जिसका असर चीन की इकोनॉमी पर देखा जाने लगा. ग्लोबल स्लोडाउन का चीन की एक्सपोर्ट पर निगेटिव असर पड़ा.
सरकारी नीतियां बनी जिम्मेदार
चीन दुनिया के कई देशों का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. लेकिन चीन की सरकारी पॉलिसीज कई मामलों में रुकावट का काम करती है. अलीबाबा के जैक मा जैसे दिग्गज को भी सरकार के खिलाफ बोलना भारी पड़ गया था. लिहाजा उन्हें तीन महीने से अधिक गायब रहना पड़ा था. हालांकि सरकार ने इकोनॉमी को बूस्ट करने और चीन में निवेश बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए. चीनी सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई सेक्टर में इंसेटिव्स की भी घोषणा की लेकिन तबतक देर हो चुकी थी.
आईएमएफ की तरफ से डाउनग्रेड करना
चीन की इकोनॉमी के एक और बड़ा झटका तब लगा जब इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी आइएमएफ ने चीन की ग्रोथ को डाउनग्रेड कर दिया. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के मुताबिक ग्लोबल स्लोडाउन की वजह से साल 2023 के ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ को डाउग्रेड किया और कहा कि चीन की ग्रोथ आगे भी डाउन में जा सकती है. इस अनुमान ने ड्रैगन की हालत और खराब कर दी. इकोनॉमी के जानकारों का मानना है कि चीन सरकार ने कोविड पॉलिसी को लेकर कदम तो उठाए लेकिन उस पॉलिसी में ये सुनिस्चित नहीं किया कि कोविड दोबारा वापस आता है तो उनकी रणनीति क्या होगी.
यूक्रेन वार से भी ग्रोथ को रिस्क
चीन को एक बड़ी मार पड़ी वो थी रुस-यूक्रेन वार. दरअसल इस वार का असर चीन की इकोनॉमी पर काफी देखा गया. यूक्रेन वार, ग्लोबल स्लोडाउन, पैनडैमिक, जैसे विलेन्स ने मिलकर चीन की इकोनॉमी का बंटाधार कर दिया. बाजार के जानकार चीन को लेकर आगे के लिए भी सकते में है. दरअसल माना जा रहा है कि साल 2023 की दूसरी तिमाही में चीन की ग्रोथ अस्थिर रहने वाली है. चीनी सरकार के सामने कई ऐसी चुनौतियां हैं जिससे पार पाने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.



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Mon, Jul 17 , 2023, 01:44 AM