Bihar politics : पप्पू यादव का क्या होगा, मोदी पर साध रहे निशाना फिर भी नहीं मिल पा रहा विपक्षी खेमे में ठिकाना?

Thu, Jul 13 , 2023, 03:21 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

पटना. बिहार की सियासत (politics of Bihar) में कभी बाहुबली के तौर पर पहचाने जाने वाले पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Pappu Yadav) के नाम से कभी लोग कांपते थे, लेकिन अब सामाजिक कार्यों के जरिए रॉबिन हुड वाली इमेज बनाने में जुटे हैं. बिहार में मिथिलांचल (Mithilanchal in Bihar) के कोशी इलाके में उनकी छवि जमीनी पकड़ वाले नेता की है, लेकिन तमाम सक्रियता के बावजूद पप्पू यादव को 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha elections) के लिए कोई सियासी ठिकाना नहीं मिल पा रहा है. पप्पू यादव बीजेपी के खिलाफ अपने सियासी तेवर सख्त कर रहे हैं. इसके बावजूद विपक्षी एकता की मुहिम में अपनी जगह नहीं बना सके हैं.
पप्पू यादव ने एक बार फिर पूरे जोर-शोर से खुद को सत्ता विरोधी नेता के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया है. पप्पू यादव हर जगह केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए देखे जा रहे हैं. वो सीधे प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी पर प्रहार कर रहे हैं. इतना ही नहीं विपक्षी खेमे के साथ जुड़ने की भी गुजारिश कर रहे हैं, लेकिन ना ही बिहार की आरजेडी, जेडीयू और न ही कांग्रेस उनके लिए विपक्षी एकजुटता में जगह बनती दिख रही है.
महागठबंधन में शामिल होने की जताई इच्छा
बिहार में जीतन राम माझी, चिराग पासवान हों या उपेंद्र कुशवाह के समानांतर पप्पू यादव अपने लिए कोई कोना नहीं तलाश सके हैं. पप्पू यादव ने हाल ही में कहा है कि पीएम मोदी का जादू खत्म हो चुका है. जनता अगले चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएगी. इसी के साथ पप्पू यादव ने ईडी,सीबीआई की कार्रवाई से लेकर महाराष्ट्र, मणिपुर के आज के हालात को लेकर भी एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला है.
दरअसल, पप्यू यादव ने एक तरह से अपनी सियासी लकीर खींच दी है और खुद को महागठबंधन में शामिल किये जाने के लिए योग्य बताना शुरू कर दिया है. उन्होंने खुल कर बयान दिया है कि वो महागठबंधन में शामिल होना चाहते हैं. पप्पू यादव एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव पर तीखे तौर पर हमले करते रहे हैं, लेकिन इन दिनों उनके सुर बदल गए हैं. नीतीश कुमार से भी पप्पू यादव खुद को विपक्षी दलों के मंच पर शामिल करने की इच्छा जाहिर कर चुके हें.
पिछले दिनों पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में पप्पू यादव को नहीं बुलाया गया था. इसके बावजूद उन्होंने महागठबंधन की बैठक को समय की जरूरत बताया था. उन्होंने विपक्षी दलों के समूह को ऐतिहासिक और सार्थक बताया था. और इसी के साथ उन्होंने खुद भी महागठबंधन में शामिल होने की तीव्र इच्छा भी जताई थी. उन्होंने कहा कि हम विपक्षी एकता में एक दल के नेता के तौर पर शामिल होना चाहते हैं, लेकिन मैं अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय नहीं करूंगा.
बैंगलुरु बैठक में भी नहीं बुलाये गये पप्पू यादव
देश की राजनीति करवट बदल रही है. 2024 की बिसात बिछ चुकी है. आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दल एक जुट हो रहे हैं. पटना के बाद विपक्षी दलों की अब अगली बैठक 17-18 जुलाई को बैंगलुरु में होगी. लेकिन पप्पू यादव को यहां भी नहीं बुलाया गया है. जबकि पटना से कहीं ज्यादा दल बैंगलुरु में शामिल हो रहे हैं. पटना में कुल 17 दलों ने हिस्सा लिया था जबकि बैंगलुरु की बैठक में 25 दलों के आने की संभावना है.बैंगलुरु में होने वाली बैठक में दक्षिण के कई छोटे-छोटे दल भी शामिल हैं, इसके बावजूद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी को अभी तक यहां शामिल नहीं किया गया है. हालांकि पप्पू यादव ने लालू यादव से पुरानी अदावत को दूर करते हुए राबड़ी निवास पर जाकर उनसे मुलाकात भी की थी और उन्होंने मीडिया को बताया था कि हम लोगों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में लोकतंत्र को बचाने पर चिंता की है.
अब पप्पू यादव का क्या करेंगे?
बैंगलुरु बैठक में अब ज्यादा दिन नहीं रह गये. यहां जिन दलों को बुलावा भेजा गया है-उनके नाम तय हो चुके हैं, उनकी लिस्ट भी सामने आ चुकी है लेकिन उसमें अभी तक पप्पू यादव का नाम नहीं है. ऐसे में अहम सवाल ये है कि आने वाले दिनों की सियासत में पप्पू यादव के लिए क्या जगह होगी? जबकि पप्पू यादव बिहार की राजनीति में एक कद्दावर शख्सियत रखते हैं. मधेपुरा से पांच बार सांसद रह चुके हैं.उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव को हराया था. पूरे कोशी क्षेत्र में आज भी उनके कद का प्रभाव है और उनका अपना एक वोट बैंक है. पप्पू यादव ने कभी लालू प्रसाद यादव की उंगली पकड़कर सियासत सीखी और आगे बढ़े थे. एक समय पप्पू यादव खुद को लालू यादव के सियासी वारिस के तौर पर देख रहे थे, जिसके चलते ही उन्हें आरजेडी से दूर जाना पड़ा था. पप्पू यादव अपना राजनीतिक दल बनाकर सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कोई मजबूत ठिकाना और सहारा नहीं मिल पा रहा.
2024 में अकेले लड़ेगी JAP ?
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बिहार में अन्य छोटे दलों और नेताओं ने अपना-अपना गोल करीब-करीब तय कर लिया है. जीतन राम माझी, चिराग पासवान हों या उपेंद्र कुशवाह बिहार की मौजूदा सरकार और विपक्षी दलों के गठबंधन पर तीखी बयानबाजी कर एनडीए के समर्थन में अपना रुख पहले साफ कर चुके हैं. वहीं, एनडीए को भी फिर से छोटे-छोटे दलों की जरूरत बढ़ चुकी है, लेकिन पप्पू यादव ना तो एनडीए और ना ही महागठबंधन का हिस्सा बन सके हैं. 

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