Modi Surname Defamation Case: मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को राहत की सांस नहीं लेने देंगे पूर्णेश मोदी! 

Wed, Jul 12 , 2023, 11:45 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

 नई दिल्ली: मोदी सरनेम केस से जुड़े मानहानि मामले (Modi surname case) में गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) से भी झटका खा चुके राहुल गांधी की उम्मीद अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से टिकी है. मगर यहां भी शिकायतकर्ता भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी राहुल गांधी को वॉकओवर देने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं. मोदी सरनेम केस में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट अर्जी दायर की है. इस अर्जी में पूर्णेश मोदी (Purnesh Modi) ने कहा कि अगर राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करते हैं तो उनका पक्ष भी सुना जाए. बिना उनके पक्ष को सुने कोई आदेश जारी न किया जाए. बता दें कि अभी तक राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया है, मगर उम्मीद है कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे सकते हैं.
दरअसल, बीते दिनों गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में निचली अदालत से मिली 2 साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही मानते हुए राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था. बता दें कि साल 2019 चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान राहुल गांधी द्वारा ‘मोदी सरनेम’ को लेकर दिए बयान पर सूरत की निचली अदालत ने राहुल को इस साल 23 मार्च को सजा सुनाई थी. इस फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.
हाईकोर्ट ने क्या कहा था
जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि राहुल गांधी पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं और निचली अदालत का कांग्रेस नेता को उनकी टिप्पणियों के लिए दो साल कारावास की सजा सुनाने का आदेश ‘न्यायसंगत, उचित और वैध’ है. अदालत ने कहा कि दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है. अदालत ने कहा, ‘वह (गांधी) बिल्कुल बेबुनियाद आधारों पर दोषसिद्धि (के फैसले) पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहे थे. यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि यह एक अपवाद है, जिसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में ही लिया जाता है. अयोग्यता केवल सांसदों, विधायकों तक सीमित नहीं है. इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता के खिलाफ 10 आपराधिक मामले लंबित हैं.’
अदालत ने वीर सावरकर पर बयान को भी लिया संज्ञान
अदालत ने कहा था कि इस शिकायत के बाद, वीर सावरकर के पोते ने कैम्ब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयान को लेकर पुणे की एक अदालत में एक और शिकायत दर्ज कराई गई थी. उनके खिलाफ एक और शिकायत लखनऊ की संबंधित अदालत में दर्ज की गई थी. अदालत ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने पर याचिकाकर्ता के साथ किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं होगा. न्यायाधीश ने आदेश पढ़ते हुए कहा था कि अपीली अदालत द्वारा पारित किया गया आदेश उचित एवं वैध है और इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.
क्या है पूरा मामला
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’ इस टिप्पणी को लेकर विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था.

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