Chirag Paswan: NDA में होगी चिराग की एंट्री, BJP के लिए कितनी फायदेमंद होगी ये दोस्ती?

Tue, Jul 11 , 2023, 01:55 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

बिहार। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और इसी वजह से लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी, रामविलास) के नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) के साथ बीजेपी की नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं. कहा जा रहा है कि चिराग पासवान की नरेंद्र मोदी कैबिनेट (Narendra Modi cabinet) में एंट्री पक्की हो गई है. उन्हें केंद्र में मंत्री बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. पार्टी सूत्रों का यहां तक दावा है कि वो जल्द ही एनडीए (NDA) का हिस्सा होंगे.
20 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है. इस पहले एनडीए में वापसी के लिए चिराग पासवान की भाजपा के साथ बातचीत महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) की पटना में चिराग से हुई मुलाकात के एक दिन बाद, एलजेपी (रामविलास) के बिहार अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि चिराग को कैबिनेट की पेशकश की गई थी. 
उन्होंने टीओआई को बताया कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए सीट-बंटवारे की व्यवस्था के लिए भी बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि एलजेपी (आरवी) हाजीपुर सहित बिहार में छह लोकसभा सीटें और राज्यसभा में एक सीट चाहती है.
उन्होंने कहा, 'दोनों पार्टियों के बीच आम सहमति बनने से पहले चिराग के बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की संभावना है.'
किसका होगा हाजीपुर?
हालांकि, जून 2021 में एलजेपी के 6 लोकसभा सांसदों में से 5 को अपने साथ लेकर पार्टी को बांटने वाले चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस उनके राह का कांटा बन सकते हैं. क्योंकि दोनों गुट हाजीपुर सीट पर दावा करते हैं. ये वही सीट है जिसका पार्टी के संस्थापक दिवंगत राम विलास पासवान ने कई बार प्रतिनिधित्व किया.
पारस अब लोकसभा में हाजीपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन चिराग इस निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी अपने पिता की विरासत को हासिल करना चाहते हैं. यह देखना अभी बाकी है कि बीजेपी पारस को कैसे समायोजित करती है. ये वही पारस हैं जिनके बारे में माना जाता है कि जब सीएम नीतीश कुमार एनडीए में थे तब पारस को कैबिनेट में शामिल किया गया था. 
नीतीश ने पारस को पहुंचाई थी मदद 
दरअसल, नीतीश कुमार कई जद (यू) विधायकों की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चिराग को सबक सिखाना चाहते थे. चिराग ने कई बागी नेताओं को जेडीयू के उम्मीदवारों के खिलाफ उतारा था और 2020 के विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार को भारी नुकसान पहुंचाया था.
चूंकि नीतीश अब महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ देश में गैर-भाजपा दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए बीजेपी को जदयू नेता का मुकाबला करने के लिए बिहार में चिराग जैसे मुखर और युवा नेता की जरूरत है. 
बीजेपी को क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो चिराग करीब तीन साल बाद एनडीए में लौट आएंगे, हालांकि उन्होंने हाल ही में राज्य में तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार किया था. बीजेपी ने तीन में से दो सीटें जीतीं थीं.
बिहार बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “चिराग की एनडीए में वापसी से गठबंधन को बिहार में 4% पासवान वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी. राज्य में पासवान दलितों के बीच सबसे आक्रामक मतदाता हैं और वो सामूहिक रूप से वोट करते हैं. उनका वोट इधर-ऊधर नहीं होता.''
ये पार्टियां भी दावेदार
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस स्तर पर सीट-बंटवारे पर कोई भी निर्णय जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, 'जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हम (एस) और मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के लिए भी एक-एक सीट के लिए बातचीत चल रही है.' 2014 के आम चुनावों में, अविभाजित एलजेपी ने जिन सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से छह पर जीत हासिल की थी. 2019 में, एलजेपी ने छह सीटें जीतकर 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया था. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनावों में, एलजेपी केवल एक सीट जीत सकी और बाद में पार्टी के एकमात्र विधायक जेडीयू में शामिल हो गए थे.

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