मुंबई। एनसीपी में अजित पवार (Ajit Pawar) की बगावत पर संजय राउत (Sanjay Raut) का एक बयान आया था. उन्होंने कहा था कि अजित पवार की सोच इतनी ऊंचाई तक नहीं जा सकती कि वे पार्टी तोड़ सकें, जरूर दिल्ली से सारा तंत्र घुमाया गया है. संजय राउत यह भूल गए कि अजित पवार के पास एक प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) हैं जो कभी शरद पवार की परछाईं कहे जाते थे. एनसीपी कैसे काम करती है, उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता है. एक और नाम है छगन भुजबल. छगन भुजबल एनसीपी का ओबीसी चेहरा हैं.
इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि जब एनसीपी में जयंत पाटील के पांच साल से ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष बने रहने पर सवाल उठाया गया और अजित पवार ने संगठन में काम करने की इच्छा जताते हुए प्रदेश अध्यक्ष पर नजरें दौड़ाईं, तब छगन भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र में आज सभी बड़ी पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी हैं. इसलिए एनसीपी का भी प्रदेश अध्यक्ष कोई ओबीसी वर्ग का व्यक्ति ही हो, भले ही उन्हें नहीं तो जितेंद्र आव्हाड को बना दो. ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि उनसे काफी जूनियर जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awhad) को दिल्ली की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ऊंचा पद और कद से नवाजा गया.
जहां अजित पवार का मन फटा था, वहीं छगन भुजबल का भी दिमाग हटा था
यह वही मीटिंग थी जिसमें सुप्रिया सुले कार्याध्यक्ष बनीं थीं. बात अजित पवार को भी लगी थी, छगन भुजबल को भी लगी थी. महाराष्ट्र में 54 फीसदी आबादी ओबीसी समुदाय की है.लेकिन भुजबल के नाम पर कोई विचार नहीं हुआ. अब यह एनसीपी का सबसे तगड़े ओबीसी नेता अब अजित पवार के साथ हैं. छगन भुजबल ने गुरुवार को दिए गए अपने इंटरव्यू में यह दावा किया है कि अजित पवार के समर्थन में 42-43 विधायक हैं. इसमें कोई दो मत नहीं कि एनसीपी के ओबीसी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर छगन भुजबल की खासी पकड़ है. जितेंद्र आव्हाड की पकड़ मुंबई से बाहर कहीं नहीं है और एनसीपी की पकड़ मुंबई में नहीं है.
‘तीन बार बीजेपी को वादा कर जो मुकर जाते हैं, हम भी तो समझ सकते हैं कि वे वादे नहीं निभाते हैं’
शरद पवार ने बुधवार की मीटिंग में कहा कि छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जेल चले गए थे फिर भी उन्होंने उन्हें मंत्री बनाया. आज वे भी अपना स्वार्थ देख कर चले गए. शरद पवार गुट के अन्य नेता आज ये कह सकते हैं कि अपने ऊपर लगे आरोपों की वजह से केंद्रीय जांच एजेंसियों से डर कर भुजबल अजित पवार के साथ गए. उनसे तो अच्छे अनिल देशमुख थे जो जेल गए लेकिन शरद पवार के साथ रहे. बातें कई हो सकती हैं. लेकिन भुजबल कहते हैं कि शरद पवार तीन बार बीजेपी के साथ मीटिंग करते रहे और उसके साथ सरकार नहीं बनाई. बदनाम अजित पवार हुए. पार्टी के नेता भी तो यह सोच सकते हैं कि पवार वादे नहीं निभाते हैं.
अब भुजबल अजित पवार की बड़ी ताकत हैं. उन्होंने आज कहा है कि पूरी तैयारी से फैसला लिया गया है. शरद पवार का गुट अजित पवार गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की बात कर रहा है. हमने पहले ही संविधान के जानकारों से सलाह ले ली है. छगन भुजबल से जुड़ी बातं समझ आ सकती हैं, लेकिन फिर सवाल यह कि आखिर कटप्पा (प्रफुल्ल पटेल) ने बाहुबली (शरद पवार) को क्यों मारा?
आखिर में सवाल यह कि कटप्पा (प्रफुल्ल पटेल) ने बाहुबली (शरद पवार) को क्यों मारा?
बात अगर प्रफुल्ल पटेल की करें तो उन्होंने गुरुवार की मीटिंग में खुद कहा कि लोग उन्हें कहा करते थे कि वे शरद पवार की परछाईं हैं. आखिर वे कैसे शरद पवार का साथ छोड़ सकते हैं. इस पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि एक आत्मकथा शरद पवार ने लिखी है. एक आत्मकथा वे भी लिखने वाले हैं. उसमें सब बताने वाले हैं. सवाल है कि प्रफुल्ल पटेल के दिल का दर्द क्या है? वो मामला दाऊद इब्राहिम गैंग के इकबाल मिर्ची से संपत्ति के लेन-देन का मामला है. तो क्या शरद पवार पर जो डी कंपनी से लिंक का आरोप पहले लग चुका है, उसमें तथ्य है? वो डील जिसको लेकर प्रफुल्ल पटेल बार-बार अपनी सफाई दे चुके हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जो कानून के खिलाफ है, तो फिर प्रॉपर्टी के उस खरीद बिक्री में कोई और शामिल है? और अगर अंडरवर्ल्ड के साथ डील करने में कुछ गैरकानूनी नहीं है तो नवाब मलिक क्यों अंदर हैं?
शरद पवार अपने लोगों के काम नहीं आए, उनके लोग उनके काम क्यों आएं?
प्रफुल्ल पटेल ने देखा है कि कैसे आज एनसीपी नेता नवाब मलिक पर दाऊद इब्राहिम की बहन और मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपियों से जमीन खरीदने के मामले में जेल जाना पड़ा हृै और शरद पवार ने उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं किया. यह आरोप तो एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मुंबई की एक सभा में लगा चुके हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात में शरद पवार संजय राउत को जेल से छुड़ाने के लिए बात कर सकते हैं और नवाब मलिक के लिए बात नहीं कर सकते? ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि संजय राउत ने जेल से छूटने के बाद इस बात के लिए शरद पवार को शुक्रिया भी कहा था. यहां यह साफ कर दें कि शरद पवार ने खुद कभी यह दावा नहीं किया कि उन्होंने संजय राउत को लेकर पीएम मोदी से कोई बात की.
अब शरद पवार की एनसीपी न सत्ता के साथ रह पा रही, न सत्ता के बाद रह पा रही
प्रफुल्ल पटेल के मनी लॉन्ड्रिंग के केस में भी शरद पवार उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे. यहां कटप्पा को अपनी फिक्र थी. उन्हें नवाब मलिक और अनिल देशमुख नहीं बनना था. इसलिए कटप्पा ने खुद को बचाने के लिए बाहुबली को मार दिया. सीधी सी बात है जब शरद पवार अपने लोगों को बचाने की हालत में आज नहीं हैं तो उनके लोग अब अपना बचाव खुद करने की राह तलाश रहे हैं. वैसे भी एनसीपी कोई विचारधारा वाली पार्टी तो है नहीं. एनसीपी की विचारधारा बस एक ही है- सत्ता के साथ भी, सत्ता के बाद भी!
अब शरद पवार की वो हैसियत नहीं रही कि वे सत्ता में नहीं होते हुए भी अपने संबंधों के आधार पर अपने लोगों को बचा सकें. ऐसे में जब पीएम मोदी ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद एनसीपी के 70 हजार करोड़ के घोटाले की बात उठा दी तो ‘नेचुरली करप्ट पार्टी’ में बहुत सारे लोगों में खलबली मच गई. उस सत्तर हजार करोड़ वाले सिंचाई घोटाले से अजित पवार को पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है. लेकिन बाकी घोटालों का क्या? 17 मामलों में क्लीन चिट मिलने के बाद भी बाकी घोटालों की जांच के दायरे में अजित पवार अब भी है. केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में छगन भुजबल, सुनील तटकरे, हसन मुश्रिफ और प्रफुल्ल पटेल भी थे. कटप्पा ने इसलिए बाहुबलि को मारा क्योंकि उसे खुद को बचाना था.



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Thu, Jul 06 , 2023, 05:30 AM