मुंबई। शरद पवार के भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) टूट गई है. ऐसा लगता है कि शरद पवार ने इसे स्वीकार भी कर लिया है. हालांकि शरद पवार इतनी आसानी से पीछे हटने वाले नेताओं में से नहीं हैं. बता दें कि 2 जुलाई को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और 8 विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया. 6 दशक से राजनीति में सक्रिय शरद पवार ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे. लेकिन भतीजे अजित पवार ने जो बगावत की है वो उनके लिए सबसे कठिन चुनौती मानी जा रही है.
1967 में शरद पवार 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद शरद पवार (Sharad Pawar) सफलताओं की सीढ़ी चढ़ते गए और 1978 में वसंतदादा पाटील की सरकार को गिराकर वह महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. 1988 में वह एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए. दो साल बाद यानी 1990 में उन्होंने कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने.
1991 में पवार की एंट्री केंद्र की पॉलिटिक्स में हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) की सरकार में वह रक्षा मंत्री बने. लेकिन 1993 मुंबई हमले के बाद राव ने शरद पवार को वापस महाराष्ट्र भेजा और वह चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए. शरद पवार की योजनाओं के मुताबिक, अजित पवार ने नवंबर 2019 में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन अजित पवार ने अब जो बगावत की है उससे सीनियर पवार जरूर हैरान हैं.
इन पांच तरीकों से शरद पवार एनसीपी को फिर से मजूबत कर सकते हैं…



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Tue, Jul 04 , 2023, 05:09 AM