Maharashtra Politics: पिक्चर अभी बाकी है…ये पांच कदम फिर से शरद पवार को बना सकते हैं ‘सिंघम’

Tue, Jul 04 , 2023, 05:09 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। शरद पवार के भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) टूट गई है. ऐसा लगता है कि शरद पवार ने इसे स्वीकार भी कर लिया है. हालांकि शरद पवार इतनी आसानी से पीछे हटने वाले नेताओं में से नहीं हैं. बता दें कि 2 जुलाई को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और 8 विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया. 6 दशक से राजनीति में सक्रिय शरद पवार ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे. लेकिन भतीजे अजित पवार ने जो बगावत की है वो उनके लिए सबसे कठिन चुनौती मानी जा रही है.
1967 में शरद पवार 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद शरद पवार (Sharad Pawar) सफलताओं की सीढ़ी चढ़ते गए और 1978 में वसंतदादा पाटील की सरकार को गिराकर वह महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. 1988 में वह एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए. दो साल बाद यानी 1990 में उन्होंने कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने.
1991 में पवार की एंट्री केंद्र की पॉलिटिक्स में हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) की सरकार में वह रक्षा मंत्री बने. लेकिन 1993 मुंबई हमले के बाद राव ने शरद पवार को वापस महाराष्ट्र भेजा और वह चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए. शरद पवार की योजनाओं के मुताबिक, अजित पवार ने नवंबर 2019 में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन अजित पवार ने अब जो बगावत की है उससे सीनियर पवार जरूर हैरान हैं.

इन पांच तरीकों से शरद पवार एनसीपी को फिर से मजूबत कर सकते हैं…

  • लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए शरद पवार ने पूरे महाराष्ट्र का दौरा करने का फैसला किया है. नासिक में वह रैली को संबोधित कर सकते हैं. बता दें कि लंबे समय तक उनके साथी रहे छगन भुजबल नासिक से ही आते हैं. भुजबल भी बागी तेवर अपनाते हुए अजित पवार के खेमे में चले गए हैं. शरद पवार अपने दौरे के दौरान युवाओं से मुलाकात कर सकते हैं. वह पार्टी के जिला स्तर के कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगे.
  • शरद पवार एनसीपी के किले के तौर पर जाने जाने वाले रायगढ़ और शिवनेरी का दौरा भी कर सकते हैं. एनसीपी के इन दोनों किलों की महाराष्ट्र के इतिहास में खास जगह है. शिवनेरी छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मभूमि रही है. वहीं, रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ था. इन जगहों का दौरा करके पवार लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाहेंगे.
  • शरद पवार के पास एक विकल्प ये भी है कि वह अजित पवार से अपनी लड़ाई को कोर्ट में चुनौती दें. हालांकि उन्होंने प्रफुल्ल पटेल और सुनील टटकरे को एनसीपी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया है. पवार के भरोसेमंद जयंत पाटिल ने विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर से बागी 9 मंत्रियों को अयोग्य ठहराने की मांग की है. शरद पवार बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चुनाव आयोग का भी रुख कर सकते हैं.
  • अजित पवार के बागी होने के बाद शरद पवार एक्शन मोड में हैं. वह 5 जुलाई को मुंबई में जिला स्तर के अधिकारियों की बैठक करेंगे. वहीं, 7 जुलाई को उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. इन बैठकों से साफ होगा कि कितने पदाधिकारी शरद पवार का समर्थन करते हैं.
  • शरद पवार कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के लगातार संपर्क में हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से भी उनकी बातचीत हो चुकी है. संकट की इस घड़ी में डीएमके चीफ और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन भी पवार के साथ हैं. बेंगलुरु में विपक्षी दलों की अगली बैठक है और माना जा रहा है कि शरद पवार इसमें शिरकत कर सकते हैं.

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