महाराष्ट्र की नए राजनीती परंपरा को अजित पवार ने बढ़ाया आगेॉ
साल 2014 के बाद विपक्ष नेता शिंदे,विखे पाटिल और अजित पवार सरकार में हो चुके है शामिल
विपक्ष नेताओं ने दिया सत्ता का साथ
मुंबई। साल 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई परंपरा शुरू हो गई है.विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाले करीब सभी नेता या तो सत्ताधारी पार्टी में शामिल हो गए या सरकार को समर्थन दे दिया है. रविवार को महाराष्ट्र की राजनीति में आई भूकंप में तत्कालीन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार (Ajit Pawar) ने शिंदे -फडणवीस सरकार (Shinde-Fadnavis government) को समर्थन देकर परंपरा को आगे बढ़ाया है. साल 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना की तरफ से एकनाथ शिंदे को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था इसके एक महीने बाद एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हो गए.उसके बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से राधा कृष्ण विखे पाटिल को विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया गया.करीब डेढ़ साल तक विपक्ष नेता संभालने के बाद साल 2019 लोकसभा चुनाव से करीब कुछ महीने पहले राधा कृष्ण विखे पाटिल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होए गए और उन्हें फडणवीस सरकार में गृहनिर्माण मंत्री बनाया गया.इसके बाद साल 2022 में शिवसेना में भारी फुट के बाद राज्य में आई एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सत्ता आने के बाद महाविकास आघाडी (Mahavikas Aghadi) की तरफ से अजित पवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था लेकिन एक साल बाद विपक्ष नेता की भूमिका संभालने के बाद बीते शुक्रवार को विपक्ष के पद से इस्तीफा देकर रविवार को एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार का समर्थन कर उपमुख्यमंत्री बन गए है.अब जब अजित पवार ने विपक्ष पद नेता से इस्तीफा दे दिया है राकांपा ने जितेंद्र आव्हाड को नेता प्रतिपक्ष बनाया है.देखना यह होगा की क्या आव्हाड विपक्ष नेता के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करते है या वो भी शिंदे,विखे पाटिल और अजित पवार की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। बतादें कि किसी सरकार पर अंकुश लगाने के लिए विपक्षी नेता का अधिक प्रभावी होना बहुत जरुरी है.जिसके कारण सरकार पर नियंत्रण में रहेगी। महाराष्ट्र में हमेशा प्रभावी विपक्षी नेताओं की परंपरा रही है। लेकिन हाल के दिनों में राज्य में विपक्षी दल के नेताओं द्वारा सरकार को समर्थन देने या सरकार में शामिल होने की एक नई परंपरा शुरू हो गई है . 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे को विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया था। लेकिन कुछ दिनों बाद ही शिवसेना फडणवीस सरकार में शामिल हो गई. उसके बाद, विपक्ष के नेता के रूप में चुने गए राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने लोकसभा चुनाव में अपने बेटे की उम्मीदवारी के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। . शिवसेना में विभाजन के बाद तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। इसके बाद विपक्ष नेता अजित पवार ने राकांपा से बगावत कर दी और शिंदे सरकार में शामिल हो गए. विपक्षी नेताओं के लिए इस तरह से सरकार में भागीदारी करना एक परंपरा बन गई है



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Mon, Jul 03 , 2023, 08:47 AM