कोश्यारी से मिलना हरक की भाजपा में आने की बिसात तो नहीं

Tue, Jul 12 , 2022, 03:49 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

देहरादून, 12 जुलाई (हि.स.)। उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजनीति (Politics) में आयाराम गयाराम के प्रतीक डॉ. हरक सिंह एक बार फिर भाजपा का दामन थाम सकते हैं, इसका आभास उत्तराखंड राजनीति के चाणक्य और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से डॉ. हरक सिंह (Dr. Harak Singh) की गुपचुप भेंट को माना जा रहा है। यह इस बात का प्रतीक है कि डॉ. हरक सिंह के मन में कहीं न कहीं भाजपा की ओर आने की अकुलाहट है।भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से गुपचुप तरीके से उनकी मुलाकात यह बताने को काफी है कि हरक सिंह कहीं न कहीं भाजपा के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं। भाजपा (B J P) छोड़ने और कांग्रेस में जाने के बाद लगभग राजनीति के हाशिए पर आ चुके डॉ हरक सिंह रावत गत दिनों प्रात: काल डिफेंस कॉलोनी स्थित भगत सिंह कोश्यारी के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे थे और दोपहर बाद अपने आवास पर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम व अन्य नेताओं के साथ दिखाई दिए। कांग्रेस नेताओं की इस बैठक के बाद उन्होंने कांग्रेस पर कमजोर विपक्ष होने का भी आरोप लगाया।
भगत दा जो भाजपा के एक माहिर रणनीतिकार माने जाते हैं, उनके साथ डॉ हरक सिंह की गुपचुप मीटिंग और फिर अपनी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी दोनों को जोड़कर देखा जाए तो यही लगता है कि वह एक बार फिर भाजपा मुख्यालय में भगवा पट्टे और गुलदस्ते के साथ नजर आ सकते हैं। यह भी सकता है कि वह अपने साथ कुछ और भी कांग्रेसी नेता और विधायकों को भी भाजपा में ले जाएं। कांग्रेस में क्योंकि इन दिनों भगदड़ जैसे हालात हैं। हर किसी का जैसे कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है और हर किसी को अब कांग्रेस में अपना कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है।
गत दिनों कांग्रेस नेता आरपी रतूड़ी और महिला कांग्रेस अध्यक्ष कमलेश रमन कांग्रेस छोड़कर आप में चले गए। इससे पूर्व जोत सिंह बिष्ट भी आप में जा चुके हैं। वैसे भी भाजपा ने 2024 के आम चुनाव से पूर्व मिशन कांग्रेस में सफाई छेड़ रखी है। महाराष्ट्र और गोवा इसका उदाहरण है। भले ही उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता से दूर सही लेकिन चुनावी दौर न होने के बावजूद भी कांग्रेस नेता कांग्रेस छोड़कर भाग रहे हैं।
2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व डॉ हरक सिंह को भाजपा से निकाल दिया गया था अगर उन्हें भाजपा ने निकाला न होता तो वह शायद कांग्रेस में आते भी नहीं। कांग्रेस में फिर आना उनकी मजबूरी ही था लेकिन इसका उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें तो टिकट भी नहीं मिला और अपनी पुत्रवधू अनुकृति जिसे टिकट मिला उसे भी वह चुनाव जिता नहीं सके। घर पर वह खाली बैठ नहीं सकते ऐसे में उनकी भाजपा में फिर वापसी ही उन्हें एक विकल्प दिख रही है।

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