चंडीगढ़, 01 अप्रैल (हि.स.)। पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को केंद्र के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चंडीगढ़ को पूरी तरह पंजाब को देने की मांग की गई है। इसे केंद्र को भेजा जाएगा। पंजाब के पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस सदस्य सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) ने इस प्रस्ताव की व्यावहारिकता पर सवाल उठाया है। रंधावा ने कहा है कि ऐसे प्रस्ताव पहले भी पारित होते रहे हैं। इस प्रस्ताव के बाद कानूनी कदम उठाए जाएं तो बेहतर होगा।
ऐसे प्रस्तावों की बानगीः 12 जुलाई, 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर द पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट प्रस्ताव पारित कराया था। 2016 में एसवाईएल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तत्कालीन प्रकाश सिंह बादल सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया।
विशेष सत्र में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के फैसले को मानने से इनकार करते हुए किसानों को नहर की जमीन लौटाने का कानून बनाया। केंद्र के हालही में बीएसएफ (BSF) का दायरा बढ़ाए जाने पर तत्कालीन चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने भी विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित किया था। केंद्र सरकार (Central government) ने पंजाब सरकार के इस प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया। बीएसएफ का दायरा अभी भी बरकरार है।



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