आघाड़ी में शिवसेना के साथ अन्याय, शिवसेना विधायक सावंत ने जताया असंतोष  

Mon, Mar 28 , 2022, 09:49 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

कहा, गठबंधन पर होना चाहिए पुनर्विचार
महानगर संवाददाता
मुंबई।
शिवसेना विधायक और पूर्व मंत्री तानाजी सावंत (Tanaji Sawant) ने असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार के ढाई साल के कार्यक्रम में शिवसेना के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है, यह बात बजट में दिखाई दी। जहां शिवसेना मजबूत है, वहां शिवसैनिकों पर राकांपा और कांग्रेस की तरफ से किया दवाब डालने का प्रयास किया जा रहा है। यदि इसी प्रकार से अन्याय होगा तो शिवसेना पक्ष प्रमुख के रूप में उद्धव ठाकरे को आघाड़ी के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए। वे सोमवार को सोलापुर में युवा सेना (yuva sena) के सम्मेलन में बोल रहे थे। इस सम्मेलन में युवा सेना के सचिव वरुण सरदेसाई भी उपस्थित थे।  
इस दौरान तानाजी सावंत ने राकांपा और कांग्रेस पर जोरदार आक्रमण किया। उन्होंने कहा कि राकांपा और कांग्रेस की शिवसेना के साथ सत्ता है, फिर शिवसेना से अन्याय क्यों? यह बात किसी को नहीं सोचनी चाहिए कि शिवसेना को सत्ता में बैठने की आदत नहीं है और शिवसेना विस्थापितों का समूह है। बजट में राकांपा को 60 से 65 फीसदी, कांग्रेस को 30 से 35 फीसदी, जबकि शिवसेना को केवल 16 फीसदी निधि मिली है। शिवसेना के पास उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग है, जिसमें 10 फीसदी निधि वेतन पर खर्च होती है। ऐसे में केवल 6 प्रतिशत निधि शिवसेना के खाते में आई है। राकांपा का सामान्य ग्राम पंचायत सदस्य सरकार से एक करोड़ की निधि लेकर आता है और फिर हमारी छाती पर बैठकर नाचता है। हम शिवसैनिक शिवभोजन थाली (Shivbojan Thali) से ही तृप्त हो जाते हैं, इसमें भी बिल भुगतान के लिए छह-छह महीने इंतजार करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) में सब मिलकर एक साथ बैठते हैं, लेकिन आघाड़ी धर्म के पालन को लेकर सिर्फ गप्प मारी जाती है। दूसरी तरफ शिवसेना का मुंह बंद किया जाता है। हम केवल आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब तक सहन होगा, सहन करेंगे। राकांपा और कांग्रेस को हमारे मुंह नहीं लगना चाहिए। तुमने हमें सौ बार मारा, लेकिन हमने एक बार वार किया तो तुम्हें मां का दूध याद आ जाएगा। उन्होंने कहा कि कई जिलों में शिवसेना की ताकत को कम करने का प्रयास दोनों कांग्रेस की तरफ से हो रहा है। कोल्हापुर में शिवसेना के राजेश क्षीरसागर (Rajesh Kshirsagar) पहले दो बार चुने गए थे, उन्हें विधानसभा उपचुनाव में अवसर मिलना चाहिए था, लेकिन नजरअंदाज कर दिया गया। उस्मानाबाद में शिवसेना ने पहले दोनों कांग्रेस पार्टियों को हराया था और पांच या छह विधायकों को चुना था। अब उस्मानाबाद (Osmanabad) में समान बढ़त होने के बावजूद शिवसेना के साथ दोनों कांग्रेस पार्टियां दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही हैं।

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