नई दिल्ली, 28 मार्च (वार्ता)। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति की रोटी सेंकने वाली भाजपा ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर तो बहुत चीखती-चिल्लाती रही लेकिन जब दिल्ली विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के कल्याण की बात आई है तो सदन से उठकर भाग गई। सिसोदिया ने आज सदन में कहा कि भाजपा केवल ‘द कश्मीर फाइल्स’ की बात करती है और हम कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के दुःख-दर्द व उनके वेलफेयर की। उन्होंने कहा कि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार, कश्मीरी पंडितों पर झूठी राजनीति करने के बजाय उनकी बेहतरी के लिए तीन मांगों को पूरा करें। केंद्र सरकर विस्थापितों का पुनर्वास करें, फिल्म से कमाएं 200 करोड़ रुपए कश्मीरी पंडितों के वेलफेयर के लिए खर्च करें और पूरा देश कश्मीरी पंडितों के दुःख-दर्द से वाकिफ हो इसलिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ को यू-ट्यूब पर डाले।
उन्होंने कहा कि 32 साल बाद भी कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में विस्थापित होकर क्यों रहना पड़ रहा है? भाजपा हमेशा अपने घोषणा पत्रों में लिखती रही है कि सत्ता में आने के बाद कश्मीरी विस्थापितों की मदद कर उनका पुनर्वास करने का काम करेगी, लेकिन पिछले आठ सालों से केंद्र सरकार (Central government) में है और कुछ समय से कश्मीर में सरकार में होने के बाद भी भाजपा आज तक यह क्यों नहीं करवा सकी। यह भाजपा की घोर असफलता है भाजपा ने 32 सालों से केवल कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति करने का काम किया है और उनकी बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया।
सिसोदिया ने कहा कि कश्मीरी पंडित आज अपने ही देश में 32 सालों से विस्थापना का दर्द झेल रहे हैं। आज 32 साल बाद भी कश्मीरी विस्थापितों के मन में केवल एक ही टीस है कि क्या हमारी कश्मीर में जो जमीन है, उसे अपना कह सकते है? क्या कश्मीर के अपने घर में जाकर उसी स्वतंत्रता के साथ रह सकते है, जैसे 1989 से पहले रहते थे। यदि 32 साल बाद भी ऐसा नहीं हो पाया तो केंद्र सरकार की घोर निंदा होनी चाहिए। कश्मीरी पंडितों की यह दशा भाजपा की विफलता को दिखाती है कि 32 सालों से कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति की रोटी सेंकती आ रही है। भाजपा आठ सालों से केंद्र की सत्ता में बैठी हुई है, फिर भी विस्थापित हुए कश्मीरियों के लिए कुछ नहीं किया और न ही कुछ करने की नीयत है।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि कश्मीरी विस्थापित टीचर्स 25 सालों से दिल्ली सरकार के स्कूलों में कॉन्ट्रैक्ट (contract in schools) पर काम करते रहे। इस दौरान दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा की सरकारें रही। एक बार तो अरुण जेटली ने बजट भी पेश किया, लेकिन दोनों सरकारों में किसी की यह हिम्मत नहीं हुई कि उन्हें नियमित कर सकें। कश्मीरी पंडित दफ्तरों के धक्के खाते रहे, लेकिन भाजपा के नेताओं ने उनसे मिलने की जहमत तक नहीं उठाई।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जब कश्मीरी विस्थापित शिक्षकों पर हो रहे इस अन्याय का पता चला तो उन्होंने कहा कि कश्मीरी विस्थापित हमारे भाई-बहन हैं, वो आनन- फानन में आए, इसलिए कोई कागजात नहीं ला पाए। वर्ष 1989 में उनके साथ जो हुआ, उस पर देश की जिम्मेदारी है कि उनके जख्म को भरे और बिना किसी कागजात के तुरंत 233 कश्मीरी विस्थापित शिक्षकों को परमानेंट करने की व्यवस्था करने के आदेश दिए। साथ ही, आज दिल्ली सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों के परिवारों के प्रत्येक सदस्यों को प्रतिमाह 3250 रूपये देती है।
उन्होंने कहा कि एक ओर जहाँ अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कश्मीरी पंडित शिक्षकों को नियमित करने का काम किया, वहीँ दूसरी ओर गन्दी राजनीति से प्रेरित भाजपा ने उनकी पेंशन रोक ली।
उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि कश्मीरी पंडितों के दुःख को दिखाते हुए फिल्म बनाई गई। साथ ही इस फिल्म ने कश्मीरी पंडितों के नाम पर 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई तो, अब समय है कि इस पैसे को उनके वेलफेयर (Welfare) में लगाया जाए, ताकि वर्षों से कश्मीरी पंडितों के जले हुए घर, उजड़े बागानों को ठीक किया जा सके।



Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Mon, Mar 28 , 2022, 06:38 AM