नयी दिल्ली। भारत के कुल वाणिज्यिक निर्यात में अक्टूबर में बड़ी गिरावट तथा स्वर्ण आयात में उछाल के साथ व्यापार घाटे के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद उद्योग-व्यापार क्षेत्र के लोगों और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में निर्यात में धीरे धीरे सुधार दिखेगा। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा (CAD) जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक जा सकता है। अमेरिकी शुल्कों से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों के निर्यात में गिरावट के बीच अक्टूबर में वाणिज्यिक निर्यात में कुल मिला कर गिरावट रही। निर्यात संघो के महासंघ फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन (S.C. Ralhan) ने अक्टूबर के निर्यात-आयात के आंकड़ों पर कहा , ''उम्मीद है कि निरंतर नीतिगत समर्थन और वैश्विक माँग की स्थिति में क्रमिक सुधार के साथ, भारत का निर्यात क्षेत्र (FIEO) आने वाले महीनों में मज़बूती से उभरने की स्थिति में है।" उन्होंने कहा कि नये आँकड़े मिश्रित रुझान दर्शाते हैं, जिसमें समग्र निर्यात में मामूली गिरावट और आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा बढ़ा है।
अक्टूबर में भारत का कुल निर्यात (वस्तु एवं सेवा) 72.89 अरब डॉलर रहा, जो अक्टूबर 2024 के 73.39 अरब डॉलर से थोड़ा कम है। हालाँकि कुल आयात पिछले वर्ष के 82.44 अरब डॉलर से बढ़कर 94.70 अरब डॉलर हो गया, जिससे इस महीने कुल व्यापार घाटा (वस्तु और सेवाओं के व्यापार को मिला कर) 21.80 अरब डॉलर रहा। फियो ने कहा इंजीनियरिंग सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं आभूषण, परिधान एवं वस्त्र, जैविक एवं अजैविक रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और प्लास्टिक सामान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जिससे समग्र निर्यात प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। वाणिज्यक वस्तुओं का आयात अक्टूबर 2024 के 65.21 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर इस वर्ष अक्टूबर में 76.06 अरब डॉलर रहा जिससे व्यापार घाटा (वस्तुओं के निर्यात की तुलना में आयात में वृद्धि) रिकार्ड 41.68 अरब डॉलर के बराबर रहा।
उद्योग मंडल पीएचडी के सीईओ एवं महासचिव डॉ. रंजीत मेहता ने कहा कि सरकार के निर्यात संवर्धन मिशन और निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना के लिए हाल ही में सरकार द्वारा दिए गए 45,026 करोड़ रुपये के समर्थन को देखते हुए, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, हमें निर्यात में स्थिर वृद्धि की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, " भारत का वाणिज्यिक वस्तु आयात साल-दर-साल 16.6 प्रतिशत बढ़कर अक्टूबर में 76.1 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया, जबकि सोने का आयात साल-दर-साल तीन गुना बढ़कर 14.7 अरब डॉलर हो गया, जबकि इस महीने तेल आयात में गिरावट आई। त्योहारी सीज़न से पहले सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से सट्टाेरिया मांग बढ़ सकती है, लेकिन इस वृद्धि के आगे जारी नहीं रहने के आसार है। इससे आने वाले महीनों में आयात संख्या में कुछ कमी आ सकती है।"
उन्होंने कहा कि गैर-तेल और गैर-सोने के आयात में साल-दर-साल 12.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिसमें उर्वरक, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, अलौह धातुएँ और चाँदी का योगदान रहा। उन्होंने कहा , 'व्यापार घाटा हमारे पूर्वानुमान से कहीं अधिक है और यह घाटा बढ़ने की उम्मीद है। सोने के आयात में अनुमानित क्रमिक गिरावट और त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद निर्यात में कुछ बढ़ोतरी होने पर नवंबर-दिसंबर में व्यापार घाटा अक्टूबर के स्तर से कुछ हद तक नीचे आ सकता है। फिर भी, चालू खाते का घाटा (कैड) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अनुमानित 1.8 प्रतिशत से बढ़कर तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.4-2.5 प्रतिशत तक पहुँचने की संभावना है।" इंजीनियरिंग निर्यातकों के फोरम ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने कहा, ''चालू वित्त वर्ष में लगातार चार महीनों तक सकारात्मक वृद्धि दर्ज करने के बाद, अक्टूबर 2025 में इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में भारी गिरावट आई, जो ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए दंडात्मक शुल्कों के प्रभाव को दर्शाता है।"



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