बीजापुर। छत्तीसगढ़ शासन की ओर से जनजाति गौरव दिवस (Tribal Pride Day) को उत्साहपूर्वक मनाने के निर्देशों के बावजूद बीजापुर जिले में आयोजित कार्यक्रम विवादों से घिर गया है क्योंकि स्थानीय आदिवासी समाज की नाराजगी का कारण बन गया है। कार्यक्रम से पहले पर्याप्त जानकारी न मिलने के कारण समाज के कई प्रतिनिधि शामिल नहीं हो सके जिसे लेकर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
आदिवासी कंवर समाज के जिला अध्यक्ष कमलेश पैकरा (Kamlesh Paikra) ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उन्हें आयोजन की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने कहा, “जिस दिवस का उद्देश्य आदिवासी समाज के गौरव और योगदान का सम्मान करना है, उसी समाज को कार्यक्रम से दूर रखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने इसे प्रशासनिक लापरवाही करार देते हुए भविष्य में ऐसी स्थिति न बने, इसकी मांग की। वहीं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और अतिरिक्त कलेक्टर भूपेंद्र अग्रवाल (Bhupendra Agarwal) ने स्पष्ट किया कि सूचना भेजने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग पर थी। उन्होंने कहा, “एसी ट्राइबल विभाग ने समाज प्रमुखों को सूचना भेजी थी, संभव है कुछ लोग छूट गए हों।” उनके इस बयान (AC Tribal Department) के बाद सूचना तंत्र की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार आदिवासी विकास विभाग की ओर से कार्यक्रम से केवल 12 घंटे पहले सोशल मीडिया पर एक डिजिटल निमंत्रण कार्ड जारी किया गया था। कार्ड में किसी भी समाज प्रमुख का नाम शामिल नहीं था, जिसके कारण अधिकांश समुदाय प्रतिनिधियों तक सूचना समय पर नहीं पहुंच सकी।
घटना के बाद आदिवासी समाज ने प्रशासन से बेहतर समन्वय और समय पर सूचना सुनिश्चित करने की मांग की है। समाज प्रतिनिधियों का कहना है कि इस प्रकार के दिवस तभी सार्थक होंगे जब उनमें आदिवासी समुदाय की सहभागिता और सम्मान को प्राथमिकता दी जाए।



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