लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने सेवा मामले में दिए अहम फैसले में कहा है कि अगर किसी कर्मचारी की पत्नी का उसके पहले निधन हो गया हो तो कर्मचारी का भाई भी अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार है। इसमें संबंधित नियम का प्रतिबंध लागू नहीं होगा। न्यायमूर्ति मनीष माथुर (Manish Mathur) की एकल पीठ ने यह फैसला विधिक माप विज्ञान, फैजाबाद रेंज के मृतक कर्मचारी के अविवाहित भाई देवेंद्र प्रताप सिंह (Devendra Pratap Singh) की याचिका को मंजूर करके दिया। याची ने 25 मई 2016 के उस विभागीय आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसकी अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की अर्जी खारिज कर दी गई थी। याची ने मृतक भाई की जगह अनुकंपा नियुक्ति देने की गुजारिश की थी।
फैसले के मुताबिक सरकारी कर्मचारी, याची के बड़े भाई महेंद्र प्रताप सिंह की 9 अक्तूबर 2015 को सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी। उनकी पत्नी की भी उनके पहले 12 फरवरी 2010 को मृत्यु हो चुकी थी। ऐसे में याची ने खुद को मृताई आश्रित होने का दावा करते हुए एकमात्र रोजी रोटी कमाने वाला कहा है। विभागीय अफसरों ने याची का दावा महज नियमों के तहत इस आधार पर खारिज कर दिया चूंकि मृतक कर्मचारी विवाहित था। इसलिए याची अनुकंपा नियुक्ति का हकदार नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर याची का दावा खारिज किया जाना ठहराने योग्य नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याची का दावा खारिज करने वाले 25 मई 2016 के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही फैजाबाद रेंज के विधिक माप विज्ञान के सहायक नियंत्रक को निर्देश दिया कि याची की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी पर छह सप्ताह में फिर से विचार कर निर्णय लें, अगर याची अपने भाई का आश्रित होना साबित कर सके।
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Thu, Nov 06 , 2025, 09:22 PM