Arghya to the Setting Sun: हिंदू धर्म (Hinduism) में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना विशेष रूप से शुभ माना गया है। वहीं, डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की सामान्यतः मनाही होती है। लेकिन एकमात्र छठ पर्व ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते हुए सूर्य (setting sun) को भी अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा (Chhath Puja) कृतज्ञता, श्रद्धा और ऊर्जा के द्विपक्षीय स्वरूप की पूजा का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक मास के (month of Kartik) शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता है और चार दिन तक चलता है। पहले दिन व्रती स्नान करके अपने घर को शुद्ध करते हैं और शुद्ध हृदय से भोजन ग्रहण करते हैं, जबकि दूसरे दिन खरना व्रतियों के लिए विशेष अनुष्ठान होता है। इस साल छठ पूजा 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू हुई और 28 अक्टूबर को समाप्त होगी। तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर (offering arghya) उसका सम्मान किया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन होता है। छठ महापर्व में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है और 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।

क्यों दी जाती है डूबते सूर्य को अर्घ्य ?
हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना विशेष रूप से शुभ माना गया है। किन्तु छठ महिमा को जानते हुए और इसे स्वीकारते हुए व्रती डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने का नियमो बनाया गया हैं। और यह छठ व्रत का सबसे महत्वपूर्ण पूजा माना जाता है क्योंकि सिर्फ इसी व्रत में व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देना कहा जाता है। मान्यता है कि इस समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से मनवांछित फल प्राप्त होते हैं और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

क्या है संध्या अर्घ्य का सही समय?
छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा यानी संध्या अर्घ्य माना जाता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। वैंदिक पंचांग के अनुसार 27 अक्तूबर को सूर्योदय प्रातः 06:30 मिनट और सूर्यास्त शाम 05:40 मिनट पर होगा। इस दिन व्रती और भक्त किसी पवित्र नदी या तालाब मे कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं
हिन्दू धर्म में हमेशा से परंपरा चली आ रही है कि उगते सूर्य को आर्थिक और उन्नति के स्वरूप में अर्घ्य दिया जाता हैं। किन्तु छठ पर्व में ऐसी मान्यता हैं कि सूर्य के डूबने के बाद फिर से नया सवेरा होता हैं नया सवेरा यानि पुनर्विकास , पुनः सफलता की और बढ़ना, इसलिए नए सवेरे के स्वागत के लिए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं। इससे जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है। अगले दिन, यानी छठ पर्व के समापन पर, उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने से यश, आत्मविश्वास, अच्छी सेहत और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन अर्घ्य देने के बाद ही 36 घंटे का निर्जला व्रत पूरा किया जाता है।




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Mon, Oct 27 , 2025, 02:23 PM