चंडीगढ़, 05 मार्च (वार्ता) पंजाब विधानसभा चुनाव के लिये गत 20 फरवरी को हुये मतदान की गिनती का समय निकट आते उम्मीदवारों विशेषकर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की नींद उड़ी हुई है। अपनी मनोकामना पूरी करने के लिये धार्मिक स्थलों में नतमस्तक होने के बावजूद उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है।
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गुरुद्वारे में माथा टेका, मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) तो अपना पद ही नहीं अपनी सरकार की वापसी के लिये गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर पहुंचे। इसी तरह हर उम्मीदवार अपनी कुल देवी से लेकर मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे में मन्नत पूरी होने के लिये भगवान को लालच देते हुए कह रहे हैं, जितना ऊंचा पद, उतना महंगा चढ़ावा। उम्मीदवार चिंता से उबरने के लिये अपने हिसाब से समय काट रहे हैं लेकिन 10 मार्च का भय उन्हें शांति से रहने नहीं दे रहा।
मतगणना में कुल चार दिन बचे हैं। राज्य में लगभग 69 फीसदी मतदाताओं ने 117 सीटों पर मतदान किया था। इस बार मतदान के गणित ने अच्छे-अच्छों को उलझन में डाल दिया क्योंकि कुछ सीटों पर 77 से 78 प्रतिशत वोट पड़े और कुछ सीटों पर 60 से 64 फीसदी तक रहा। कई दिनों तक तो उम्मीदवार इसी उधेड़बुन में रहे कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में इतना कम मतदान होने का मतलब क्या है, हालांकि यह राज तो 10 मार्च को ही पता चलेगा।
चुनाव मैदान में उतरे मुख्य उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi), पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh), पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल (Rajinder Kaur Bhattal), कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu), आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान (bhagavant maan), अकाली दल के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal), पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal), दोनों उप-मुख्यमंत्री ओ पी सोनी तथा सुखजिंदर रंधावा और भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा, अकाली दल के बिक्रम मजीठिया शामिल हैं। श्री चन्नी ने इस बार दो सीटों पर चुनाव लड़ा।
पंजाब के मालवा क्षेत्र में 69,माझा 25 और दोआबा क्षेत्र में 23 सीटें हैं। मालवा किसान बहुल क्षेत्र है तथा दोआबा में दलित वोट सबसे अधिक हैं। इस बार मुख्यमंत्री इसी क्षेत्र से होगा। पिछले चुनावों में भी मालवा से ही मुख्यमंत्री बनता आया है।
चुनाव मैदान में कुल 1304 उम्मीदवार हैं। किसी भी पार्टी ने एक तिहाई महिलाओं को टिकट नहीं दिये जबकि पार्टियां महिलाओं के हक में बड़े बड़े दावे कर रही हैं। किसानों का संयुक्त समाज मोर्चा ने भी सियासत में हाथ आजमाने की कोशिश करते हुये अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यदि किसान अपना वोट सियासी दलों को देते हैं तो राजनीतिक दलों को लाभ होगा और यदि किसान वोट सियासी दलों से छिटक गया तो उसका नुकसान आप, कांग्र्रेस और अकाली दल को होना पक्का है। भाजपा का कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और ढींडसा गुट के साथ गठबंधन है। अकाली दल का बहुजन समाज पार्टी के साथ गठजोड़ है।



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Sat, Mar 05 , 2022, 05:46 AM