फ्रांस, बेल्जियम सहित कई देशों ने फिलीस्तीन को बतौर राष्ट्र मान्यता दी! क्या बढ़ेगी इजरायल की टेंशन?

Tue, Sep 23 , 2025, 12:53 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

संयुक्त राष्ट्र: फ्रांस, बेल्जियम और कुछ अन्य यूरोपीय देश (European countries) फलिस्तीन को बतौर राष्ट्र की मान्यता देने वाले देशों की बढ़ती सूची में शामिल हो गए हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (French President Emmanuel Macron) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की एक उच्च-स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "आज, फ्रांस फलिस्तीन राज्य को मान्यता देता है।" मैक्रों ने चेतावनी देते हुए कहा, "हमें इस बात का डर है कि इजरायल अब्राहम समझौते और कैंप डेविड समझौते पर सवाल उठा सकता है और पश्चिम एशिया में लंबे समय तक शांति असंभव हो जाएगी।" 

उन्होंने द्वि-राष्ट्र समाधान की संभावना को बनाए रखने के लिए, अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे इजरायल और फलिस्तीन शांति और सुरक्षा के साथ-साथ रह सकें। यह बैठक फलिस्तीन समस्या के द्वि-राष्ट्र समाधान पर बुलाई गयी है। इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता पहले दिन फ्रांस और सऊदी अरब ने की। इसी बैठक में माल्टा, मोनाको और लक्ज़मबर्ग ने भी फलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की, जिससे ऐसा कदम उठाने वाले देशों की संख्या 150 से ज्यादा हो गयी।

सऊदी विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फ़रहान अल सऊद ने अपने संबोधन में कहा कि द्वि-राष्ट्र समाधान "न्यायसंगत और स्थायी शांति प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।" उन्होंने कहा कि फ़्रांस और कई अन्य देशों द्वारा फलिस्तीन को मान्यता देना, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की "फलिस्तीन लोगों को न्याय देने और उनके क़ानूनी ऐतिहासिक अधिकारों पर विचार करने" की इच्छा को दर्शाता है। इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बोलते हुए, फलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने उन सभी देशों की सराहना की जिन्होंने उसको मान्यता दी है और उन देशों से भी ऐसा करने का आह्वान किया जिन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है। 

उन्होंने इजरायल से इस रक्तपात को समाप्त करने और एक न्यायपूर्ण एवं व्यापक शांति स्थापित करने के लिए तुरंत बातचीत की मेज पर बैठने का आह्वान किया।
सम्मेलन में अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इजरायल-फलिस्तीनी संघर्ष "पीढ़ियों से अनसुलझा है।" गुटेरेस ने कहा, "हम आज इस दुःस्वप्न से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता खोजने में मदद करने के लिए यहां हैं: एक द्वि-राष्ट्र समाधान, जहां दो स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतांत्रिक राज्य - इजरायल और फलिस्तीन - 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर अपनी सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर शांति और सुरक्षा के साथ-साथ रहें, और येरुशलम दोनों राज्यों की राजधानी हो - अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अन्य प्रासंगिक समझौतों के अनुरूप।

अस्सीवें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र की अध्यक्ष एनालेना बैरबॉक ने कहा कि महासभा ने स्पष्ट रूप से कहा है, "हमें गाजा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की आवश्यकता है। हमास को सभी बंधकों को तुरंत और बिना शर्त रिहा करना चाहिए।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दशकों से चल रहे इजरायल-फलिस्तीनी संघर्ष का समाधान अंतहीन युद्ध, स्थायी कब्ज़े और बार-बार होने वाले आतंकवाद से नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि फलिस्तीनियों और इजराइलियों दोनों की आने वाली पीढ़ियाँ शांति, सुरक्षा और सम्मान के साथ रह सकें, और यही द्वि-राष्ट्र समाधान है। गौरतलब है कि रविवार को ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने दो-राष्ट्र समाधान के लिए फलिस्तीन राष्ट्र को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी थी तथा इजरायल ने इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतने की बात कही थी।

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