महाविकास आघाड़ी का चीरहरण: शेलार

Sat, Feb 12 , 2022, 09:05 AM

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सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) का फैसला पूर्ण पीठ को भेजने की मांग गलत 
महानगर संवाददाता, मुंबई।
पिछले कुछ महीनों से भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन को मामले को लेकर राजनीतिक हलचल देखने को मिली। इन विधायकों का निलंबन रद्द करने के बाद शुक्रवार को विधानमंडल के बाहर विधान परिषद के सभापति, उपसभापति और विधानसभा उपाध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस को लेकर निलंबन के मुद्दे पर अपनी राय रखी और राजभवन जाकर राष्ट्रपति से मुलाकात कर एक निवेदन भी सौंपा। इस मसले पर शनिवार को भाजपा विधायक आशीष शेलार (Ashish Shelar) ने अपना पक्ष रखा।
यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में शेलार ने 12 विधायकों का निलंबन रद्द करने पर आभार प्रकट करते हुए विधान परिषद सभापति, उपसभापति और विधानसभा अध्यक्ष की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर उन्हें सौंपे गए निवेदन पर अपनी राय प्रकट की। इस निवेदन में राष्ट्रपति से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को संपूर्ण पीठ को भेजने की मांग की गई है। शेलार ने कहा कि अब ऐसी मांग करने का समय बीत गया, अवसर चला गया और मांग छूट गई है। उन्होंने महाविकास आघाड़ी सरकार के बारे में कहा कि तानाशाही हार गई, लोकतंत्र जीत गया और सरकार का चीरहरण हो गया है।  
शेलार ने कहा कि जब भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन रद्द करने की याचिका पर सुनवाई शुरु हो रही थी, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानमंडल को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने को कहा था। उस वक्त विधानमंडल ने कहा था कि हम अपना पक्ष नहीं रखेंगे। ऐसे में अब मांग करने का स्वाभाविक अधिकार चला गया। साथ ही सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में विधानमंडल के पास जाकर निलंबन वापस लेने का अनुरोध करने को कहा गया था। इस अनुसार हमने आवेदन किया, लेकिन इस पर अधिवेशन काल के दौरान कोई कार्यवाही नहीं की गई। अधिवेशन खत्म होने के बाद सुनवाई रखी गई, जिसका कोई अर्थ नहीं था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जिस तरह विधायकों को एक अवसर दिया था, वैसा ही विधानमंडल को भी मिला था, लेकिन उस मौके पर कुछ नहीं किया गया। अब यह कहने का कोई अर्थ नहीं कि विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र में न्यायालय हस्तक्षेप कर रहा है।  
शेलार ने कहा कि वे विनम्रतापूर्वक इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि यह सच नहीं है कि आपने हमारे अधिकार वापस दिए, सत्य यह है कि हमें हमारे अधिकार अदालती लड़ाई से मिले। निलंबन आपने रद्द किया, यह सत्‍य नहीं है, लेकिन निलंबन का प्रस्ताव अदालत ने असंवैधानिक, अवैध और तर्कहीन घोषित कर दिया है।

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