Kangana.Vikramaditya : कंगना.विक्रमादित्य के बीच कांटे की रोचक टक्कर

Wed, May 15 , 2024, 05:48 AM

Source : Uni India

शिमला, 15 मई (वार्ता)। हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी व राज्य के मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने मंडी में नामांकन परचा भर पर जमा हुई भीड़ कार्यकर्ताओं में न बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (BJP) को भी ऐसा ही प्रदर्शन करने के लिए चनौती दी है। मुकाबला कांग्रेस और रहेगा और तीसरे अभिकल्प या शक्ति की कोई गुंजाइश नहीं है। एक ओर भाजपा ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को मंडी से भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं कंगना का मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) के पुत्र एवं युवा आइकॉन विक्रमादित्य सिंह के बीच काफी कड़ा मुकाबला है।
कांटे की टक्कर की पहले से संभावना व्यक्त करते हुए काफी सोच-विचार कर कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह व उनके बेटे विक्रमादित्य को चुनावी मैदान में उतार दिया। और कंगना के बीच उम्र हैसियत के हिसाब से था। भाजपा मंडी के भी गंभीरता से ले रही प्रत्याशी मुकाबले को हैं। इस सीट पर चुनाव कि जहां कंगना हो, वहां रह सकते हैं? चुनाव क्षेत्र की समस्याओं, दूसरे पर छींटाकशी, जीवन को लेकर कुत्सित की गरिमा को आए दिन कंगना की पार्टी के लेकर परेशां है कि न क्या बोल जाएंगी।
इधर श्री विक्रमादित्य इन गैर जरूरी पचड़ों में न फंसते हुए गंभीरता के साथ चुनाव की धार पैना रखे हुए हैं। चुनावी अभियान को जनता के मुद्दों से जोड़ कर गरिमा से चलाने का करिश्मा उन्होंने प्रारम्भिक दौर में ही दिखा दिया है। जाहिर है मतदात्ता उन्हें गंभीर उम्मीदवार मानने लगे हैं। कंगना को वैयक्तिक और गैर जरूरी बयानों से बचते हुए अपनी ही पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की इज्जत का भी ध्यान रखना होगा। कंगना ने प्रत्याशी बनते ही ऐलान कर दिया था कि राजा भैया तो बाहर के हैं। उनका तो घर भी मंडी में नहीं है। बाद में उन्हें ज्ञात हुआ होगा कि रामपुर में विक्रमादित्य का घर है और वह भी मंडी संसदीय क्षेत्र में पड़ता है।
ऐसी और भी बातें हैं जो भाजपा अभिनेत्री के सामान्य ज्ञान की ओर इशारा करती हैं। यह उदाहरण उनकी राजनीतिक समझ और अपनी परिचय यात्रा के दौरान इलाके विशेष की पोषाक, वेशभूषा धारण करके सेल्फी जरूर ले रही है, ताकि वहां के लोगों के साथ कनेक्ट कर सकें। भाजपा के विषय में यह जगजाहिर है कि वह साधारण सक्रिय कार्यकर्ता को भी बड़े अवसर प्रदान करती है और सीएम, मंत्री, प्रधानमंत्री बनाती है। इन चुनावों में दिया है। इस अवसर ने कांग्रेस के केवल जोश भर दिया, इस सीट पर मुख्य भाजपा के बीच ही भाजपा की ओर से रनौत और कांग्रेस के शहरी विकास मंत्री बीच सीधी कांटे की रोचक होने जा रहा इसलिए है कि कांग्रेस के उपरांत प्रदेश सिंह को पीछे करते जाहिर है प्रतिभा सिंह और राजनीतिक दिन-रात का अंतर सिंह की घोषणा डिफेन्स की मुद्रा में आ चुनावी रण को और है। अब दोनों युवा बराबरी का समझ रहे रोचक इसलिए भी विवाद कैसे पीछे प्रचार में मतदाता और मुद्दों से इतर एक कभी-कभी निजी आरोप लोकतंत्र आहत कर रहे हैं। वर्कर इस चात को जाने अगले पल वह हैसियत को बेनकाब करता है। यह ध्यान रखना होगा कि राजनीतिक मंच मनोरंजन नहीं, अपितु जनता के कल्याण और समस्याओं के संबोधन का मंच होता है। यह भी चर्चा गर्म है कि कंगना को जन्मभूमि तो मंडी है, परन्तु कर्मभूमि मुम्बई है। मतदाताओं में यह शंका घर कर गई है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव जीतने के बाद कंगना मैडम अभिनेता सनी देओल की तरह संसदीय क्षेत्र से ओझल न हो जाए। काम पड़ने पर जब लोग उनके पास जाते तो यह जवाब मिलता था कि कॉस्टीचुएंसी में अमुक आदमी के पास जाओ, वह मेरा रिप्रेजेन्टेटिव है। इस बात पर कंगना रनौत अपने लोगों की संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई हैं।
श्री विक्रमादित्य की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों हिमाचल है। वह पूर्णकालिक रूप से राजनीतिज्ञ है। जनता में सहज उपलब्ध हैं। विक्रमादित्य राजनीति को समाज सेवा के लिए माध्यम मानते हुए युवा कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष बने। दो बार वह विधायक होने के साथ वर्तमान में शहरी विकास मंत्रालय के केबिनेट मंत्री हैं। इस तरह विक्रमादित्य राजनीतिक बोध के हिसाब से कंगना से इक्कीस ही बैठते हैं। कंगना अभी राजनीति का ककहरा सीख रही हैं। अलबत्ता वह संसदीय क्षेत्र में यहां तक कि वह विक्रमादित्य की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक मंचों पर उछाल रही हैं। विक्रमादित्य भी मंजे खिलाड़ी की तरह बड़ी संयत भाषा में प्रचार कर रहे हैं।
संसदीय क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता लोकसभा टिकट के तलबगार थे, लेकिन टिकटों के चाहवान और उनके समर्थक ऊपर से थोपी गई कंगना को टिकट दिए जाने से अंदरूनी खाते संतुष्ट नहीं हैं तथा पर्यवेक्षकों का कहना है कि इधर का बोट उधर जाने से भी भाजपा को नुक्सान उठाना पड़ सकता है। नाराज चल रहे इन असंतुष्टों को साधना और साथ लेकर चलना पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए बड़ी चुनीती है। इसलिए मंडी सीट साधने के लिए वह कंगना के सारथी बनकर उनका चुनावी रथ हांक रहे हैं। अभी यह दूर की बात नहीं है। 2021 के मंडी लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने मोदी लहर के बावजूद और जयराम ठाकुर की कथित डबल इंजन की सरकार के रहते जीत दर्ज की थी। यह सीट जीत कर प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस में संजीवनी फूंक दी थी। प्रधानमंत्री के ‘इस बार 400 पार’ के तिलिस्म को तोड़ने का बड़ा काम या बड़ी जिम्मेदारी विक्रमादित्य के कन्धों पर है।
श्री विक्रमादित्य जानते हैं कि मंडी सीट को उनके यशस्वी पिता वीरभद्र सिंह ने और माता प्रतिभा सिंह ने बड़े यत्न से सींचा है और सेवा भाव से मंडी की जनता का प्रतिनिधित्व किया है। इस विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर विक्रमादित्य अब खोना नहीं चाहेंगे। यही कारण है कि वह बड़ी संजीदगी के साथ आगे बढ़ते नजर आते हैं। चुनाव प्रचार के हर दिन के साथ- साथ कंगना रनौत भी अब अपनी पार्टी की चिर-परिचित लाइन पर आगे बढ़ती दिख रही है। वह बड़ी आसानी व सहजता के साथ विक्रमादित्य पर रकवाड़ाशाही, परिवारवाद, वंशवाद आदि शब्दावली की बौछार कर देती है। यहां तक कि वह विक्रमादित्य की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक मंचों पर उछाल रही हैं। विक्रमादित्य भी मंजे खिलाड़ी की तरह बड़ी संवत भाषा में सभ्याचार के साथ कंगना को मतदाताओं के असली मुद्दों की बिसात में चुनावी रण में घेर रहे हैं। भाजपा इन चुनावों में एक बार फिर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, सनातन धर्म, हिंदुत्व, राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर, पाकिस्तान, मुसलमान, आरक्षण आदि मुद्दों को भी हिमाचल में खूब उठाने का प्लान कर रही है। उधर कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य पूर्व भाजपा सांसदों को संसद में प्रदेश के हितों को न उठा पाने पर खूब घेर रहे हैं। बहरहाल लोकसभा की इस सीट पर काफी रोचक टक्कर होगी।

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