Supreme Court on EVM: वोटों का सत्यापन जरुरी! सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, लेकिन उम्मीदवार को यह शर्त पूरी करनी होगी

Sat, Apr 27, 2024, 10:59

Source : Hamara Mahanagar Desk

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) से पहले ईवीएम (Electronic Voting Machine) पर संदेह का कोहरा सुप्रीम कोर्ट में साफ हो गया. कोर्ट ने बैलेट पेपर के किस्से (ballot paper issue) को खत्म कर दिया. लेकिन एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. याचिकाओं में अनुरोध किया गया था कि ईवीएम मशीनों (EVM machines) में डाले गए वोटों के मुकाबले 100 वोटों को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया. लेकिन कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. इसके मुताबिक, अगर किसी उम्मीदवार को मतदान के दौरान कोई गड़बड़ी महसूस होती है तो वह वोट सत्यापन के लिए अनुरोध कर सकता है. लेकिन उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. ईवीएम से छेड़छाड़ पाए जाने पर उम्मीदवार को खर्चा लौटाने का आदेश दिया गया है.

एसएलयू को 45 दिनों तक सुरक्षित रखने का आदेश
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईवीएम-वीवीपैट से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाया. पीठ ने सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को 45 दिनों तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया. इस समय कोर्ट ने कहा कि संतुलित नजरिया रखना जरूरी है. लेकिन किसी सिस्टम पर संदेह करना संदेह के लिए जगह देता है. इसलिए कोर्ट की राय थी कि सही तरीके से विरोध करने में कोई बुराई नहीं है. विचार करें कि हम विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं. दीपांकर दत्ता ने व्यक्त किया।

उम्मीदवार के खर्चों की जांच करें
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए वोट वेरिफिकेशन (vote verification) को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई उम्मीदवार वोट सत्यापन की मांग कर रहा है, तो वोट सत्यापन उसके खर्च पर किया जाना चाहिए. अगर ईवीएम से छेड़छाड़ की बात साबित हो जाती है तो उम्मीदवार को पूरा खर्च वापस करना होगा. कोर्ट ने प्रक्रिया पूरी कर सिंबल लोडिंग यूनिट को सील करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि मतदान के बाद 45 दिनों तक एसएलयू को सुरक्षित रखा जाये.

ईवीएम का सत्यापन
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नतीजों के बाद उम्मीदवारों के पास तकनीशियनों की एक टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा. यदि उम्मीदवार को कोई संदेह है तो यह प्रक्रिया परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर की जा सकती है. दूसरी और तीसरी रैंक के उम्मीदवार ऐसी मांग कर सकते हैं.

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