पटना. बिहार में अबतक हुये लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में वामदल के 19 प्रतिनिधि ही ‘लाल सलाम(Lal Salaam)’ का नारा संसद में बुंलद करने में सफल रहे हैं। बिहार में वर्ष 1952 में पहले लोकसभा चुनाव से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव तक वामदल की प्रमुख पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (CPI-ML) के 19 प्रतिनिधि ही संसद ‘लाल सलाम ’ का नारा बुलंद करने में सफल रहे।
वर्ष 1952 में हुये पहले लोकसभा चुनाव में भाकपा ने दो सीट पर अपने प्रत्याशी (CPI fielded its candidates) उतारे लेकिन दोनों को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1957 में हुये दूसरे लोकसभा चुनाव में भाकपा के 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे लेकिन किसी को जीत नहीं मिली। वर्ष 962 के चुनाव में पहली बार बिहार से वामदल का खाता खुला। पहली बार अविभाजित बिहार की जमशेदपुर लोकसभा सीट से भाकपा के उदयकर मिश्रा ने कांग्रेस प्रत्याशी एन.सी.मुखर्जी को पराजित कर चुनाव जीता। इस चुनाव में भाकपा ने बिहार से 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें जीत सिर्फ जमशेदपुर में ही हुयी।
वर्ष 1967 में भाकपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें 05 सीट केसरिया, जयनगर ,बेगूसराय,पटना और जहानबाद पर उसने जीत हासिल की। केसरिया से कमला मिश्र मधुकर, जयनगर से भोगेन्द्र झा, बेगूसराय से वाई शर्मा, पटना से राम अवतार शास्त्री, जहानाबाद से चंद्रशेखर सिंह ने जीत दर्ज की। इसी वर्ष माकपा के दो प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में उतरे लेकिन दोनों को पराजय मिली। वर्ष 1971 में भाकपा के टिकट पर 17 उम्मीदवार लड़े ,जिसमें पांच सीट केसरिया, जयनगर , जमुई (सु),पटना और जहानाबाद के प्रत्याशी लोकसभा पहुंचने में सफल हुये। केसरिया से कमला मिश्रा मधुकर,जयनकर से भोगेन्द्र झा,जमुई (सु) से भोला मांझी,पटना से राम अवतार शास्त्री और जहानाबाद से चंद्र शेखर सिंह ने जीत हासिल की। वहीं माकपा ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन सभी को पराजय का सामना करना पड़ा।वर्ष 1977 में वामदल का कोई प्रतिनिधि संसद तक पहुंचने में सफल नहीं हुआ।
वर्ष 1980 में भाकपा के 14 प्रतिनिधि चुनावी मैदान में उतरे, जिसमें 04 सीट मोतिहारी, बलिया, नालंदा और पटना पर जीत मिली। मोतिहारी से कमला मिश्रा मधुकर,बलिया से सूर्य नारायण सिंह,नालंदा से विजय कुमार यादव और पटना से राम अवतार शास्त्री ने जीत हासिल की। इसी तरह माकपा ने तीन सीट पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे किसी भी सीट पर कामयाबी हासिल नहीं हुयी। 1980 में कांग्रेस की टिकट पर जीते शफ़ीकुल्ला अंसारी के निधन के बाद हुये उप चुनाव में भोगेन्द्र झा ने जीत दर्ज की थी।वर्ष 1984 में भाकपा ने 16 सीट पर चुनाव लड़ा जिसमें उसे 02 सीट नालंदा और जहानाबाद पर जीत हासिल हुयी। नालंदा से विजय कुमार यादव और जहनाबाद से रामाश्रय प्रसाद सिंह विजयी बनें।माकपा ने तीन सीट पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे सभी सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
वर्ष 1989 में भाकपा ने 12 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे ,जिसमें उसे 04 सीट मधुबनी, बलिया, बक्सर और जहानबाद पर विजयश्री मिली। मधुबनी से भोगेन्द्र झा,बलिया से सूर्य नारायण सिंह,बक्सर से तेज नारायण सिंह,जहानाबाद से रामाश्रय प्रसाद सिंह जीते। माकपा ने तीन सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे लेकिन उसे नवादा (सु) सीट पर जीत हासिल हुयी। इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ) के बैनर तले आरा संसदीय सीट से रामेश्वर प्रसाद चुनाव जीते थे। भाकपा माले पहले आईपीएफ के बैनर तले चुनाव लड़ते रहा है। इस चुनाव में आईपीएफ ने 10 प्रत्याशी उतारे लेकिन उसे केवल आरा सीट पर जीत मिली। आरा संसदीय सीट पर रामेश्वर प्रसाद ने जनता दल के तुलसी सिंह को पराजित किया था।
वर्ष 1991 में भाकपा ने 08 सीट पर चुनाव लड़ा जिसमें सभी पर उसे जीत मिली। माकपा ने एक सीट पर चुनाव लड़ा और उसके प्रत्याशी भी जीते। इस चुनाव में आईपीएफ ने 17 प्रत्याशी उतारे लेकिन उसे किसी भी सीट पर कामयाबी हासिल नहीं हुयी। लोकसभा चुनावों में वर्ष 1991 वामदल सबसे शानदार प्रदर्शन रहा, तब पार्टी ने नौ सीटें जीती थी। मोतिहारी से कमला मिश्रा मधुकर,मधुबनी से भोगेन्द्र झा,बलिया से सूर्य नारायण सिंह, मुंगेर से ब्रहानंद मंडल, नालंदा से विजय कुमार यादव, बक्सर से तेज नारायण सिंह, जहानाबाद से रामश्रय प्रसाद सिंह,हजारीबाग से भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने जीत हासिल की। नवादा (सु) से माकपा प्रेमचंद राम विजयी बनें।
वर्ष 1996 में भाकपा ने सात सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े किये,जिसमें उसे तीन सीट मधुबनी,बलिया और जहानाबाद पर जीत मिली। मधुबनी से चतुरानन मिश्रा, बलिया से शत्रुध्न प्रसाद सिंह और जहानाबाद से रामश्रय प्रसाद सिंह विजयी बनें। माकपा ने तीन सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किये लेकिन उसके सभी प्रत्याशी पराजित हो गये। वर्ष 1996 से भाकपा माले ने बिहार में अपने उम्मीदवार उतारने शुरू किये। भाकपा माले ने इस चुनाव में 21 प्रत्याशी उतारे लेकिन सभी को निराशा का सामना करना पड़ा। वर्ष 1998 के चुनाव में वामदल का कोई प्रत्याशी विजयी नहीं बना। वर्ष1999 के लोकसभा चुनाव में भाकपा ने 09,(माकपा) ने दो सीट ,और (भाकपा-माले) ने 23 सीट पर चुनाव लड़ा था। भागलपुर से माकपा प्रत्याशी सुबोध राय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभास चंद्र तिवारी को पराजित कर लोकसभा पहुंचे थे। इस चुनाव में भाकपा और भाकपा माले को कोई सीट नहीं मिली। माकपा की टिकट पर चुनाव जीतने वाले सुबोध राय अंतिम वामदल के सांसद थे। इसके बाद वर्ष 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी वामदल का खाता बिहार में नहीं खुला है।
बिहार में अबतक हुये लोकसभा चुनाव में भागेन्द्र झा ने सर्वाधिक पांच बार वामदल की आवाज को लोकसभा में बुंलद किया है।रामाश्रय प्रसाद सिंह, कमला मिश्रा मधुकर ने चार-चार बार संसद में वामदल की आवाज को बुलंद किया।इसके बाद राम अवतार शास्त्री ,विजय कुमार यादव और सूर्य नारायण सिंह ने तीन -तीन बार जबकि चंद्रशेखर सिंह और तेज नारायण सिह ने दो-दो बार वामदल की आवाज को बुलंद किया। इन आठ वामदल के नेताओं ने वामदल का नारा बुलंद किया। वहीं 11 अन्य वामदल की आवाज को बुलंद करने वाले राजनेताओं में उदयकर मिश्रा,वाई शर्मा,भोला मांझी,प्रेम प्रदीप,रामेश्वर प्रसाद, भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, प्रेमचंद राम,चतुरानन मिश्रा , शत्रुध्न प्रसाद सिंह, ब्रहनंद मंडल और सुबोध राय ने एक-एक बार वामदल की आवाज को लोकसभा में बुलंद किया।



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