BRICS : ब्रिक्स क्या है, जिसके लिए साउथ अफ्रीका में हैं पीएम मोदी, क्यों कई देश इसमें आना चाहते हैं

Tue, Aug 22 , 2023, 02:49 AM

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नई दिल्ली : रूस, भारत, चीन, ब्राजील के साथ साउथ अफ्रीका मिलकर कुछ साल पहले ब्रिक्स (BRICS) नाम का एक संगठन बनाया था. इसकी हालिया मीटिंग जोहांसबर्ग (Johannesburg) में आज शुरू हो रही है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) इसमें शिरकत करने के लिए वहां गए हैं. जानते हैं कि क्या है ये संगठन? प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह को ब्रिक्स समूह कहा जाता है. ये 22 से 24 अगस्त के बीच जोहांसबर्ग में 15वां राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन (Heads of State and Government Summit) आयोजित कर रहा है. हम यहां जानेंगे कि ब्रिक्स क्या है. कैसे बना. इसका उद्देश्य क्या है और क्यों कई देश इसका हिस्सा बनना चाहते हैं. आइए सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ब्रिक्स क्या है. शुरुआत में इसमें कितने देश थे और ये कैसे बना
ब्रिक्स क्या है?
इसका संक्षिप्त नाम अंग्रेजी में BRIC है, जिसे ब्राजील, रूस, इंडिया और चीन के पहले अंग्रेजी लेटर्स को लेकर नाम दिया गया था. साउथ अफ्रीका के शामिल होने से पहले इसे ब्रिक (BRIC) कहा जाता था. वर्ष 2010 में साउथ अफ्रीका के शामिल होने के बाद इसे ब्रिक्स कहा जाने लगा. मूल संगठन की स्थापना 2006 में हुई लेकिन इसका पहला शिखर सम्मेलन 2009 में हुआ. फिलहाल इसके 05 सदस्य देश हैं. रूस को छोड़कर ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. ये सभी देश क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. ये पांचों ब्रिक्स देश दुनिया की करीब 42 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
कैसे हुई थी इसकी स्थापना?
रूस के प्रयासों से इस ब्लॉक की स्थापना 2009 में एक अनौपचारिक क्लब के रूप में की गई ताकि इसके सदस्यों को संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के प्रभुत्व वाली विश्व व्यवस्था को चुनौती देने के लिए एक मंच मिल सके.
क्या इसकी बैठक हर साल होती है?
हां, इसकी बैठक हर साल होती है. इसके सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख हर साल बैठक करते हैं. हर राष्ट्र जो सालाना मीटिंग की मेजबानी करता है, वो अगले एक वर्ष तक इसकी अध्यक्षता करता है. जब अगले राष्ट्र में मीटिंग होती है, तब अध्यक्षता उसके पास चली जाती है. ये प्रक्रिया रोटेशन में चलती रहती है.
इस संगठन का उद्देश्य क्या है?
– शिक्षा में सुधार करना
– विकसित और विकासशील देशों के बीच में सामंजस्य बनाए रखें
– आपसी देशों के अंदर राजनीतिक व्यवहार बना के रखना
– दूसरे देशों के साथ आर्थिक मदद और सुरक्षा का व्यवहार बना के रखना
– देशों के अंदर विवादों का निपटारा करना
– एक दूसरे देश की सांस्कृतिक रक्षा करना
ब्रिक्स के तीन स्तंभ क्या हैं?
– राजनीति और सुरक्षा
– आर्थिक और वित्तीय
– संस्कृति और लोगों का आदान-प्रदान
अब तक कब और कौन से देश इसकी अध्यक्षता कर चुके हैं?
– 6 जून 2009 को रूस में येकातेरिनबर्ग में वहां के प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने पहले शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की
– 5 अप्रैल 2010 ब्राज़ील के ब्रासीलिया में लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने अध्यक्षता की
– 14 अप्रैल 2011 चीन के सान्या नामक जगह पे हू जिंताओ की अध्यक्षता में शिखर सम्मेलन हुआ
– 29 मार्च 2012 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में इसकी मेजबानी की
– 26-27 मार्च 2013 को दक्षिण अफ्रीका में जैकब जुमा ने डरबन में इसकी मेजबानी की
– 14-17 जुलाई 2014 को ब्राज़ील के फ़ोर्टालेज़ा में डिल्मा रूसेफ ने अध्यक्षता की
– 8-9 जुलाई 2015 रूस के ऊफ़ा नामक जगह पर व्लादिमीर पुतिन ने मेजबानी
– 15-16 अक्टूबर 2016 को भारत के मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी मेजबानी की
– 3-5 सितंबर 2017 में चीन के प्रधानमंत्री झी जिनपिंग ने ज़ियामेन में इसका आयोजन किया
– 25-27 जुलाई 2018 में दक्षिण अफ्रीका के नेता सिरिल रामफोसा ने जोहांसबर्ग में मेजबानी की
– 13-14 नवंबर 2019 ब्राजील के ब्रासीलिया में जायर बोल्सोनारो ने अध्यक्षता की
– 21-23 जुलाई 2020 को जो सम्मेलन होने वाला था उसे कोविड के कारण स्थगित कर दिया गया
– 9 सितंबर 2021 में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए नरेंद्र मोदी ने इसकी मेजबानी की
– जून 2022 में चीन में झी जिनपिंग ने इसकी मेजबानी की
इस तरह देखें तो भारत 03 बार इसकी अध्यक्षता कर चुका है. दो बार रूस ने मेजबानी की तो 03 बार ब्राजील को ये श्रेय मिला. 03 बार चीन इसका अध्यक्ष बना चुका है तो दक्षिण अफ्रीका में ये तीसरी बार होने जा रहा है.
कौन से देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं और क्यों?
ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अर्जेंटीना, अल्जीरिया, बोलीविया, इंडोनेशिया, मिस्र, इथियोपिया, क्यूबा, ​​​​कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, कोमोरोस, गैबॉन और कजाकिस्तान सहित 40 से अधिक देशों ने मंच में शामिल होने में उत्साह जाहिर किया है.
ये सभी देश ब्रिक्स को पारंपरिक पश्चिमी शक्तियों के प्रभुत्व वाले वैश्विक निकायों के विकल्प के रूप में देखते हैं. उन्हें उम्मीद है कि इसकी सदस्यता से उन्हें विकास वित्त, और बढ़े हुए व्यापार और निवेश के लाभ मिलेंगे.
इन सभी देशों को लगता है कि ब्रिक्स से जुड़ने पर उन्हें ना केवल फायदे मिलेंगे बल्कि अमीर देशों के वर्चस्व से लड़ने में भी मदद मिलेगी.
15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन क्यों महत्वपूर्ण?
– यह ब्रिक्स सम्मेलन कोविड के बाद सही मायनों में पहली बार सभी सदस्यों नेताओं की मौजूदगी में हो रही है. 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भी ये पहली मीट है. ब्राजील में लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा लूला के सत्ता में लौटने के बाद भी यह पहला शिखर सम्मेलन है, जो अधिक समाजवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इस सम्मेलन में भारत के लिए क्या है
भारत के लिए ये ब्रिक्स शिखर सम्मेलन विशेष महत्व रखता है. 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद ये ऐसा पहला शिखर सम्मेलन है, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आमने-सामने होंगे. हालांकि पिछले साल बाली में जी20 में भी दोनों की संक्षिप्त बैठक हुई थी. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के ठीक दो सप्ताह बाद, भारत जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इसके अलावा भारत, चीन और रूस से अधिक सहयोग चाहता . मोदी इस मंच का उपयोग यूक्रेन, जलवायु परिवर्तन, ऋण वित्तपोषण और अन्य मुद्दों पर बातचीत के लिए कर सकते हैं, जो अटके हुए हैं.

वहां कौन-कौन होगा?
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला 22-24 अगस्त को बैठक के लिए राष्ट्रपति रामफोसा के साथ शामिल होंगे. शिखर सम्मेलन के अंत में जारी होने वाले “जोहान्सबर्ग घोषणा” पर विचार-विमर्श करेंगे. रामफोसा के कार्यालय ने कहा, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन “आपसी सहमति से” भाग नहीं ले रहे हैं.
ब्रिक्स नेताओं के अलावा, दक्षिण अफ्रीका ने अफ्रीकी संघ (एयू) के सभी 55 सदस्यों और एशिया, दक्षिण अमेरिका और छोटे द्वीप राज्यों के लगभग 20 अन्य नेताओं को इसमें आमंत्रित किया है.

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