Separatist movements of Pakistan ManzoorPashteen: पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) के अत्याचारों से परेशान होकर वहां के अल्पसंख्यक (minorities) लंबे समय से अलग देश की मांग कर रहे हैं. पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर कहा है कि अगर देश में हालात नहीं सुधरे तो वे अलग राष्ट्र की अपनी मांग को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of Pakistan) के सामने हुए ऐसे ही एक विशाल प्रदर्शन में पश्तून मूल के लोगों ने इस्लामाबाद की सत्ता पर काबिज हुक्मरानों और लाहौर से लेकर कराची और रावलपिंडी तक के फौजी जनरलों को चुनौती दी है.
जुल्म-ओ-सितम का लंबा इतिहास
पाकिस्तान ने अपनी औकात के बाहर जाकर जब-जब हद पार की तब उसे मुंह की खानी पड़ी. 1947 से लेकर 1971 तक उसके बाद अब तक पाक फौज के अत्याचार की अनगिनत दास्तानें है. जैसे बांग्लादेश की आजादी के दौरान पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के जनआंदोलन दबाने के लिए नरसंहार की कई वारदातों को अंजाम देते हुए लाखों लोगों को मौत के घाट उतारा. उसी तर्ज पर बलूचिस्तान और पश्तून लोगों का वजूद मिटाने की कोशिश की गई. जमाना बदला तो पश्तून लोगों ने अपने हक की बात करते हुए फौज को दो टूक चेतावनी देते हुए फौजी जनरलों की खाल खींच लेने की धमकी दी है.
हाल ही में पाकिस्तान में पश्तूनों की ओर से इस्लामाबाद के सुप्रीम कोर्ट के सामने विशाल रैली का आयोजन किया. इन लोगों ने सेना पर सीमा पर गंभीर आरोप लगाते हुए सुधर जाने की चेतावनी दी है.
बंगालियों ने सिर्फ पतलून उतारी थी हम चमड़ी उतार देंगे: मंजूर पश्तीन
पाक फौज को चुनौती देता हुआ ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में पश्तून तहफूज मूवमेंट (PTM) के प्रमुख मंजूर पश्तीन सेना को चुनौती देते हुए कहा कि वे अलग देश की मांग करते रहेंगे और बांग्लादेशियों ने तो सिर्फ पतलून उतारी थी हम चमड़ी उतार देंगे. मंज़ूर पश्तीन ने ये भी कहा पाकिस्तान के नेता सेना जनरलों के गुलाम हैं. पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों पर हमले कर रहे तालिबान के पीछे पाकिस्तानी सेना का भी हाथ है. पश्तूनों के खिलाफ अत्याचार बंद होने चाहिए और पाकिस्तानी सेना को तालिबान को तुरंत रोकना चाहिए. आपको बताते चलें कि ज़ी न्यूज़ उस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.
बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे की कहानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि बलूचिस्तान, भारत और पाकिस्तान की आजादी से पहले ही एक आजाद देश बन गया था. लेकिन पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना के धोखे ने उसे पाकिस्तान में मिला दिया. इस रियासत का पाकिस्तान में विलय एक बहुत बड़ा धोखा और इंटरनेशनल गेम का हिस्सा माना जाता है. बलूचिस्तान के पाकिस्तान में मिलने के घटनाचक्र किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी है. मार्च 1948 तक बलूचिस्तान कुछ रियासतों का एक ग्रुप था जिसके चीफ थे कलत रियासत के शासक मीर अहमदयार खान. मीर ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के समाचारों का प्रसारण को सुनने के शौकीन थे.
कहा जाता है कि भारत के प्रति वो आशा भरी नजरों से देख रहे थे, लेकिन अचानक कुछ ऐसी घटना घटी कि 29 अगस्त 1948 को पाकिस्तानी फौज की एक बड़ी टुकड़ी कलत रियासत की सीमाओं को तोड़कर अंदर घुसी और रियासत के मुखिया को साथ ले गई उसी दौरान उनसे पाकिस्तान में विलय के पेपर पर साइन करा लिए गए. आपको बताते चलें कि आज के बलूचिस्तान का लगभग ज्यादातर हिस्सा कलत रियासत के तहत ही आता था.
इसके बाद से ही पाकिस्तान की फौज इस इलाके के लोगों का दमन करने लगी. पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि वहांं लोकतांत्रिक सरकारों की आड़ में सेना ही परोक्ष रूप से शासन चलाती है. ऐसे में सरकार किसी की भी रही हो, उसने फौज को खुली छूट दी. बलूच और पश्तून लोगों को उनके हक से बेदखल कर दिया गया. उनके कई नेताओं को देश छोड़कर विदेशों में शरण लेनी पड़ी. जो लोग बच गए थे अब वो आजादी की मांग कर रहे हैं.



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Sun, Aug 20 , 2023, 02:10 AM