नई दिल्ली, 25 जनवरी (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को चुनाव आयोग और नागरिकों से चुनावी लोकतंत्र को अधिक समावेशी बनाने के लिये अगले आम चुनावों में मतदाता भागीदारी को कम से कम 75 प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने का आग्रह किया। नायडू ने विकास की गति को बनाये रखने के लिये संघीय व्यवस्था के तीनों स्तरों के एक साथ चुनाव पर भी आम सहमति की मांग की।
12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मंगलवार को एक संदेश में नायडू ने जोर देकर कहा कि कोई भी मतदाता छूटना नहीं चाहिए। उन्होंने नागरिकों से चुनाव में उम्मीदवारों का मूल्यांकन योग्यता के आधार पर करने का आग्रह किया। चूंकि नायडू कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद हैदराबाद में होम आइसोलेशन में हैं, इसलिए उनका संदेश नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में पढ़ा गया।
नायडू ने 1951-52 के पहले आम चुनावों में महज 44.87 प्रतिशत मतदान के मुकाबले 2019 में 17वीं लोकसभा के चुनावों में अबतक का सबसे अधिक 67.40 प्रतिशत मतदान का उल्लेख करते हुये कहा कि संतोष का विषय है कि आज हमारी गणना विश्व के उन देशों में होती है, जहां सर्वोच्च मतदान होता है। विगत 70 वर्षों में वोट देने वाले मतदाताओं में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। नायडू ने कहा कि चुनाव आयोग के सामने चुनौती यह है कि हर चुनाव में मतदान में लगातार वृद्धि सुनिश्चित की जाए, ताकि मतदाता भागीदारी की बाधाओं को दूर कर हमारे चुनावी लोकतंत्र को अधिक समावेशी बनाया जा सके।
उपराष्ट्रपति ने आग्रह किया है आजादी के 75वें वर्ष में यह संकल्प लें कि किसी भी मतदाता को छूटने नहीं देंगे तथा अगले आम चुनावों में मतदाता भागीदारी को कम से कम 75 प्रतिशत तक पहुंचाएंगे। हममें से हर कोई यह याद रखे कि मताधिकार सिर्फ अधिकार ही नहीं है, बल्कि एक दायित्व है। एक देश के रूप में हम विचार-विमर्श करें और यह सहमति बनायें कि हमारी संघीय व्यवस्था के तीनों स्तरों के चुनाव एक साथ हों, जिसके बाद हम जनता का चतुर्दिक कल्याण और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए एक बेहतर प्रशासन दे सकें।
नायडू ने कहा कि व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी (स्वीप) जैसे कदमों से मतदाताओं की भागीदारी 2009 में 58.21 प्रतिशत से 8 प्रतिशत बढ़कर 2014 में 66.44 प्रतिशत पहुंच गई। उन्होंने 2019 के आम चुनावों में पुरुषों की तुलना में 0.17 प्रतिशत महिलाओं के अधिक मतदान पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि 70 वर्षों में पहली बार देश में लिंग अंतर को समाप्त किया गया। पिछले वर्ष पांच राज्य विधान सभाओं के चुनाव, आयोग की तरफ से लागू किये गये कोविड प्रोटोकॉल के तहत कराये गये। उनमें भी मतदान का प्रतिशत 74 प्रतिशत से 84 प्रतिशत तक रहा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि चुनावी भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए चुनाव आयोग निरंतर प्रयास करता रहा है। फिर भी अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है, जैसे कि चुनाव संबंधी मामलों का शीघ्र समाधान किया जाना, जन शिक्षा और जागरण जिससे मतदाता हर उम्मीदवार के गुणों-अवगुणों को परखने में सक्षम हो सकें। उन्होंने कहा कि आयोग ऐसे नये उपाय खोजे, जिससे टेक्नोलॉजी की सहायता से मतदान प्रक्रिया को अधिक सुगम्य और प्रामाणिक बनाया जा सके।



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Tue, Jan 25 , 2022, 06:47 AM