Siddaramaiah vs Shivakumar: कर्नाटक CM की रेस में किसका पलड़ा भारी?  बहस में कौन कितना मजबूत-कमजोर

Mon, May 15 , 2023, 03:20 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

बेंगलुरु. कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka assembly elections) में मिले जनादेश के बाद अब कांग्रेस मुख्यमंत्री पद को लेकर सोच-विचार कर रही है क्योंकि राज्य के दो वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार (Siddaramaiah and DK Shivakumar) दोनों ही सीएम की दौड़ में ना सिर्फ शामिल हैं, बल्कि प्रबल दावेदार भी माने जा रहे हैं. हालांकि, सूत्रों का मानना है कि डीके के मुकाबले सिद्धारमैया का पक्ष ज्यादा मजबूत है. 13 मई को आए चुनावी नतीजे में कांग्रेस 135 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा सिर्फ 66 और जेडीएस 19 सीटों पर सिमट कर रह गई.
मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी पसोपेश के बीच रविवार को बेंगलुरु में हुई विधायक दल की बैठक में एक प्रस्ताव पारिय किया गया, जिसके मुताबिक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को यह अधिकार दिया गया है कि वे विधायक दल का नेता चुनेंगे, जो कि प्रदेश का नया मुख्यमंत्री होगा. माना जा रहा है कि कर्नाटक के लिए जो तीन पर्यवेक्षक बनाए गए थे, उन्होंने विधायकों से मशविरा कर लिया है और अब वे अपनी रिपोर्ट खड़गे को सौंपेगे. तो चलिए जानते हैं क्या है सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार का मजबूत पक्ष:

  •  कर्नाटक में लंबा राजनीतिक अनुभव और कांग्रेस के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के तौर पर सरकार चलाने का अनुभव.
  •  कुरुबा समुदाय के नेता. यह समुदाय ओबीसी में आता है इसलिए ओबीसी में संदेश देने के हिसाब से भी बेहतर चयन. लोकसभा चुनाव सिर्फ 1 साल दूर है, ऐसे में कांग्रेस की नजर कर्नाटक के ओबीसी पर खास तौर से है.
  •  जनता में अच्छी छवि, आम लोग सिद्धरमैया को पसंद करते हैं.
  •  सूत्र के मुताबिक विधायकों में भी करीब 60 फीसदी का समर्थन सिद्धरमैया को.

सिद्धारमैया का कमजोर पक्ष:
 कांग्रेस के धुर-विरोधी रह चुके सिद्धरमैया कांग्रेस में 18 साल पहले आए.
सिद्धरमैया की उम्र 75 की हो गई है, इसलिए उम्रदराज की जगह युवा को मौका मिले.
डीके शिवकुमार का मजबूत पक्ष:

  •  शुरुआत से ही कांग्रेस की राजनीति से जुड़े रहे. कांग्रेस के वफादार सिपाही माने जाते हैं.
  •  कांग्रेस के संकट प्रबंधक, सिर्फ कर्नाटक में ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भी. हर बार डीके ने अपने आप को साबित किया. चाहे राजस्थान का संकट को, या फिर अहमद पटेल का राज्यसभा चुनाव.
  •  सबसे बड़ी बात की उनके प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस ने 2013 में बड़ी जीत दर्ज की. इसलिए दावा मजबूत.
  •  40 फीसदी विधायको का समर्थन.
  • वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं जिसकी कर्नाटक में अच्छी संख्या है.

डीके शिवकुमार का कमजोर पक्ष:

  •  ईडी और सीबीआई के मामले, कांग्रेस नहीं चाहती की अगर मुख्यमंत्री बनाए जाए और किसी मामले में फंसे तो 2024 के चुनाव से पहले कर्नाटक में कांग्रेस की किरकिरी हो, जिसका देश भर में पार्टी को नुकसान उठाना पड़े.
  •  सिद्धरमैया के मुकाबले जनता में छवि कमजोर और बेहतर नही.
  •  मुख्यमंत्री के तौर पर प्रशासन का अनुभव नहीं.

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