कर्नाटक कांग्रेस को सता रहा ‘राजस्थान सिंड्रोम’ का डर

Sun, May 14 , 2023, 11:10 AM

Source : Uni India

बेंगलुरू (वार्ता)।  कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka assembly election) में कांग्रेस को मिली जोरदार सफलता के बाद भी उसे ‘राजस्थान सिंड्रोम’ ('Rajasthan Syndrome') का डर सता रहा है तथा मुख्यमंत्री पद के लिए वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच चयन की दुविधा की स्थिति है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) द्वारा निर्वाचित विधायकों के लिए होटल के कमरे बुक करने और पार्टी पर्यवेक्षकों के संभावित दौरा इसका संकेत माना जा रहा है। पार्टी पर्यवेक्षकों का आना हालांकि सामान्य बात है लेकिन इतनी प्रचंड जीत के बाद भी यह कुछ असहज लग रहा है। मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस के लिए बेहतर विकल्प कौन है - सिद्दारमैया (Siddaramaiah) या शिवकुमार, इस पर निर्णय लेने के लिए वे प्रत्येक विधायक से फीडबैक लेने के लिए बेंगलुरु में होंगे।
मौजूदा परिस्थिति में पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री पद के लिए शिवकुमार (shivkumar) का समर्थन कर रहा है, क्योंकि उन्होंने श्रीमती सोनिया गांधी से कर्नाटक को उनके पाले में लाने की प्रतिबद्धता जतायी थी। इसके बावजूद शिवकुमार के राज्याभिषेक के मार्ग में कुछ बाधाएं हैं। घन शोधन से संबंधित अदालती मामलों में उन पर लटकी तलवार उन्हें परेशान कर सकती हैं। इसके अलावा वह गिरफ्तारी और कारावास से बचने के लिए जमानत पर है। वहीं यदि मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें अदालतों द्वारा तिहाड़ वापस भेज दिया जाता है, तो इससे सरकार की छवि को अपूरणीय क्षति होगी।
दूसरी तरफ श्री सिद्दारमैया के समर्थक पर्यवेक्षकों के सामने इन तथ्यों को मुख्य रूप से पेश करेंगे। वैसे श्री शिवकुमार को आलाकमान का आशीर्वाद मिल सकता है, लेकिन संख्या बल के हिसाब से  सिद्दारमैया मजबूत स्थिति में हैं और इसी बात को लेकर कर्नाटक कांग्रेस ‘राजस्थान सिंड्रोम’ से आशंकित है।
गौरतलब है कि राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) कांग्रेस को सत्ता में लाने के अपने जोरदार प्रयास के बदले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के साथ प्रतिष्ठित पद के लिए झगड़ रहे हैं। गहलोत के सत्ता में आने के बाद अपना हक नहीं मिलने पर वहखुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले  ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर  कमलनाथ का राज्याभिषेक कर दिया । इससे सिंधिया को विद्रोह का अवसर मिला और उन्होंने अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़कर कमलनाथ सरकार को गिरा दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, जिससे उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक पद और मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में उनके समर्थकों को भागीदारी मिली।

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