Imran Khan Arrest: जलते पाकिस्तान पर हाथ सेंक रहा चीन, क्या इमरान खान हुए चीन की सोची समझी रणनीति के शिकार  

Thu, May 11 , 2023, 03:15 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

पाकिस्तान। अब इसे महज इत्तेफाक कहें या फिर सोची समझी रणनीति(strategy)! पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) की गिरफ्तारी से कुछ 15 दिन पहले पाक आर्मी चीफ सैयद असीम मुनीर चीन के दौरे पर जाते हैं. फिर 6 मई को मुनीर की मुलाकात चीनी विदेश मंत्री किन कांग (Chinese Foreign Minister Qin Kang) से होती है. और 9 मई को भरपूर ड्रामे के साथ इमरान को जबरन कोर्ट परिसर से ही गिरफ्तार कर लिया गया.
पाकिस्तान की हर छोटी-बड़ी बात में टांग अड़ाने वाला चीन चुप है. आज जब पाकिस्तान में सड़कों पर हिंसा जारी है और देश टूटने की कगार पर पहुंचा हुआ है तो खुद को दोस्त बताने वाला चीन चुप्पी साधे बैठा है. क्या इमरान खान पाकिस्तानी सरकार से ज्यादा चीन की आंखों में खटक रहे थे? कड़ियां जोड़े तो ऐसा मुमकिन लगता है. अभी जो पाकिस्तान जल रहा है, उसकी चिंगारी करीब एक साल पहले ही सुलगा दी गई थी.
चीनी मीडिया से गायब मुद्दा
चीनी मीडिया से पाकिस्तान में हो रही आगजनी का मुद्दा लगभग गायब ही है. ग्लोबल टाइम्स ताइवान की बात कर रहा है, अमेरिका को आड़े हाथों लेने की कोशिश कर रहा है. लेकिन पड़ोसी मुल्क जहां उसके ढेरों प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उस पर कुछ नहीं बोल रहा है. चाइना डेली में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. इजरायल में हिंसा की खबरें तो हैं, लेकिन इमरान गायब हैं.
इस वजह से बढ़ रहा शक
चीन को पाकिस्तान का हर मौसम का दोस्त माना जाता है. लेकिन अब तक उसने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है. संकेत साफ हैं कि चीन पाकिस्तानी सेना के साथ है. उस पर से पाक सेना प्रमुख की चीन के साथ नजदीकियां बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती हैं. अपने चीन दौरे पर मुनीर ने कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो मेंबर और पार्टी के सेंट्रल कमीशन में विदेशी मामलों के निदेशक वांग यी से भी मुलाकात की. वांग यी कह चुके हैं कि पाकिस्तानी सेना ही राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थायित्व बनाए रखने की असली रक्षक है. इस एक बयान से साफ है कि वांग यी के लिए पाकिस्तानी सरकार मायने नहीं रखती है बल्कि उसकी सेना के साथ है.
चीन की आखिर इमरान से खार क्यों
पाकिस्तान में सरकार कोई भी हो, बागडोर अक्सर सेना के ही हाथ में रहती है और चीन को यह रास आता है. तो फिर इमरान से आखिर खार क्यों? खबरों के मुताबिक चीन इमरान खान सरकार के साथ काम करने को लेकर बहुत ज्यादा खुश नहीं था. इसका एक उदाहरण मिलता है…10 अप्रैल 2022 को इमरान खान पद से इस्तीफा देते हैं. 10 जून को चीन पाकिस्तान को सस्ती ब्याज दर पर 18 हजार करोड़ रुपये (2.3 बिलियन डॉलर) का लोन दे दिया.
तो क्या एक साल पहले रची गई साजिश?
पाकिस्तानी मीडिया में पिछले साल जून में एक खबर खूब चर्चा में रही. बीजिंग में पाकिस्तानी राजदूत और विदेश मंत्रालय के बीच एक बातचीत लीक हुई. इस लीक बातचीत में दोनों कह रह रहे हैं कि चीन का नेतृत्व इमरान की बजाय शहबाज शरीफ के साथ काम करना चाहता है. शहबाज शरीफ जब पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे थे, तब उन्होंने चीन का बहुत साथ दिया था. यही नहीं इमरान खान चीन की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट CPEC को लागू कराने के बीच में आ रहे थे. ये प्रोजेक्ट 2015 में नवाज शरीफ सरकार के दौरान लॉन्च किए गए थे.
CPEC के खिलाफ थे इमरान
सत्ता में आने के बाद से ही इमरान चीन के CPEC (China Pakistan Economic Corridor) प्रोजेक्ट से खुश नहीं थे. इमरान का मानना था कि इन प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है और इसमें भ्रष्टाचार की संभावना है. यह पाकिस्तान के हित में नहीं है. सितंबर 2018 में इमरान खान के पूर्व सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाऊद ने एक इंटरव्यू में इन सभी मामलों पर इमरान की चिंता को साझा किया था.
चीन कर रहा था भ्रष्टाचार!
इमरान के सलाहकार ने आरोप लगाए थे कि पिछली सरकार ने बिना होमवर्क के CPEC (चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर) प्रोजेक्ट पर चीन के साथ हाथ मिला लिया. चीनी कंपनियों को नियमों पर ताक पर रखकर टैक्स में छूट दी गई. इमरान का मानना था कि इस वजह से पाकिस्तानी कंपनियों को नुकसान पहुंचा. हालांकि बाद में उन्हें सफाई देनी पड़ी और कहना पड़ा कि प्रोजेक्ट में कोई बदलाव नहीं होगा.
अटके थे हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट
इमरान खान ने 10 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया. उस समय तक ग्वादर में CPEC के तहत आने वाले महज 3 प्रोजेक्ट ही पूरे हुए थे. जबकि 2 बिलियन डॉलर (करीब 16 हजार करोड़ रुपये) के एक दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हुए थे.
इमरान सरकार में चीनियों पर हमला
यही नहीं इमरान खान की सरकार में चीनी प्रोजेक्ट्स में काम करने वाले चीनी नागरिकों पर हमले भी हुए. जुलाई 2021 में खैबर पख्तूनख्वाह में एक बस में हुए ब्लास्ट में 9 चीनी इंजीनियर मारे गए थे. यह सब यहीं नहीं थमा, अगले ही महीने ग्वादर में आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें दो बच्चे मारे गए और कई चीनी नागरिक घायल हुए. ऐसे में चीन फिर से नहीं चाहेगा कि इमरान खान सत्ता में लौटें.

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