जानें किन पार्टियों के बीच है सीधा मुकाबला?
Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक की चुनावी इतिहास (electoral history of Karnataka) को देखें तो 2007 के बाद से किसी भी पार्टी को यहां लगातार दो बार सरकार बनाने का मौका नहीं मिला. यहां की जनता ने पिछले 26 सालों में हमेशा विपक्षी पार्टियों को ही सत्ता सौंपी है. ऐसे में इस बार भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के लिए इतिहास के ढर्रे को बदलने की चुनौती होगी. हालांकि, कांग्रेस और जेडीएस (Congress and JDS) ने भी पूरा जोर लगा दिया है. 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के लिए तीनों राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है.
किन पार्टियों के बीच मुकाबला?
कर्नाटक में इस बार मिले-जुले समिकरण नजर आ रहे हैं. यहां कुछ सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. वहीं, कुछ सीटों पर बीजेपी और जेडीएस आमने-सामने हैं. इसके अलावा कुछ विधानसभा सीटें ऐसी भी हैं जहां तीनों पार्टियों के उम्मीदवार कतार में हैं. हालांकि, कर्नाटक में जब भी और जिस भी सीट पर बीजेपी सीधे किसी एक पार्टी से मुकाबले में होती है, वहां पर बीजेपी का जीत का स्ट्राइक रेट बढ़ जाता है.पिछले चुनाव में बीजेपी को इस बात का फायदा मिला था कि 224 सीटों में से करीब 75 फीसदी यानी 158 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी सीधे मुकाबले में थी. यही कारण था कि वो सरकार बनाने में कामयाब रही.
साल 2004 तक कर्नाटक में कांग्रेस का बोलबाला था. तब तक कांग्रेस यहां सीधी लड़ाई में उतरती थी और उसे इसका फायदा भी होता था. लेकिन इसके बाद बीजेपी भी लड़ाई आ गई और कांग्रेस व जेडीएस के साथ-साथ न सिर्फ एक मजबूत दावेदार बनी बल्कि सरकार में आई. 2007 से अब तक 4 बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है. वहीं, जेडीएस और कांग्रेस को एक-एक बार सत्ता में बैठने का मौका मिला. दिलचस्प बात ये है कि 2004 के बाद से कर्नाटक में कोई भी पार्टी अपने दम पर बहुमत पाने में विफल रही है. 2013 में कांग्रेस को 122 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस दौरान भी कांग्रेस एक सीट से बहुमत से पीछे रह गई थी.
लिंगायत पलट सकते हैं बाजी
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में लिंगायत समुदाय के वोट हमेशा से निर्णायक रहे हैं. 50 से 60 सीटों पर इनका सीधा दखल है और यहां पर इनके वोट हार-जीत को तय करते हैं. ऐसे में अगर बीजेपी के साथ खड़े दिखने वाले लिंगायत समुदाय को कांग्रेस और जेडीएस अपने पाले में करने में सफल होते हैं तो फिर बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है.
हालांकि, इसकी संभावना कम ही लगती है. वर्तमान में लिंगायत समुदाय बीजेपी के साथ नजर आ रहा है और इसकी एक बड़ी वजह बीएस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई हैं जो खुद इस समुदाय से आते हैं. हालांकि, हाल ही में बीजेपी से कांग्रेस में आने वाले जगदीश शेट्टार भी इसी समुदाय से आते हैं लेकिन वो अपने समुदाय के साथ के गठजोड़ को वोट में बदल पाएंगे या नहीं, ये कहा नहीं जा सकता.



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Tue, Apr 18 , 2023, 10:41 AM