सोनिया गांधी से की CM बनाने की सिफारिश
नई दिल्ली। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कांग्रेस अध्यक्ष पद (congress president post) के चुनाव में उतरने वाले नेताओं को आज सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह महज एक पद नहीं है बल्कि विश्वास की परंपरा है और वैचारिक जिम्मेदारी है। यही नहीं उन्होंने मीडिया से बात करते अशोक गहलोत (Ashok Gehlot,) अध्यक्ष बनने के बाद भी सीएम रहने के सवाल पर भी दोटूक बात कही। उन्होंने कहा कि मैं एक व्यक्ति एक पद की बात पर कायम हूं, जिसका वादा हमने उदयपुर में किया था। अब राहुल गांधी के बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद गहलोत के लिए राजस्थान का सीएम बने रहना मुश्किल हो जाएगा। इस बीच चर्चा है कि अशोक गहलोत ने सीएम के तौर पर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश सोनिया गांधी से की है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि बुधवार को सोनिया गांधी से मुलाकात में अशोक गहलोत ने सीपी जोशी को अपने बाद सीएम बनाने का सुझाव दिया है। इस तरह वह सचिन पायलट की काट करना चाहते हैं, जिनके समर्थक लगातार उन्हें सीएम बनाने के लिए लॉबिंग करते रहे हैं। अशोक गहलोत को लगता है कि सीपी जोशी के जरिए वह राजस्थान में अपनी पकड़ बनाए रख पाएंगे और अपने भरोसेमंद नेताओं को अगले चुनाव में टिकट भी दिला सकेंगे। पायलट के सीएम बनने की स्थिति में अशोक गहलोत के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल होगा। यही वजह यह है कि वह सीपी जोशी के नाम पर आगे बढ़ने का सुझाव हाईकमान को दे रहे हैं।
कैसे जोशी से सुधर गए अशोक गहलोत के रिश्ते
अशोक गहलोत और सीपी जोशी के रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं, लेकिन दोनों नेता 2020 में करीब आ गए थे। यह बात जून 2020 की है, जब सचिन पायलट ने बगावत कर दी थी और उनके साथ 19 विधायक मानेसर में जमे थे। तब विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया था। इन नेताओं में सचिन पायलट भी शामिल थे। तब से ही दोनों नेता करीब हैं। इसके अलावा अशोक गहलोत के बेटे वैभव को राजस्थान क्रिकेट बोर्ड में एंट्री दिलाने में भी सीपी जोशी का रोल अहम था।
कैसे एक लेक्चरर से विधायक बन गए थे सीपी जोशी
ब्राह्मण समुदाय से आने वाले सीपी जोशी का जन्म राजस्थान के ही राजसमंद जिले में हुआ था। मनोविज्ञान में पीएचडी और लॉ डिग्री लेने वाले सीपी जोशी लेक्चरर के तौर पर नौकरी करते थे, जब वह सूबे के पूर्व सीएम मोहन लाल सुखाड़िया के संपर्क में आए थे। उन्हें सुखाड़िया ने इलेक्शन कैंपेन की जिम्मेदारी दी थी। चुनाव में जीत के बाद सुखाड़िया ने उन पर मेहरबानी दिखाई और 1980 में विधानसभा का टिकट दिया। 29 साल की उम्र में जोशी पहली बार विधायक बन गए थे। इसके बाद 2008 में वह राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए थे। राजस्थान सरकार में मंत्री रहने के साथ ही वह यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। फिलहाल वह राजस्थान विधानसभा के स्पीकर थे।
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Thu, Sep 22, 2022, 06:07