जैसलमेर: राजस्थान में रेगिस्तानी क्षेत्रों (desert areas of Rajasthan) हुई इस बार अच्छी वर्षा के बाद जगह - जगह भरे तालाब, नाड़ियों के चलते विश्व विख्यात पर्यटन स्थल जैसलमेर (world famous tourist destination Jaisalmer) में विदेशी पक्षियों की कलरव गूंजनी शुरु हो गई है। इस बार साइबेरियन पक्षी डेमोसाईल क्रेन (Siberian bird Demoiselle Crane,) जिसे राजस्थान में कुरजां के नाम से जाना जाता है, ने इस वर्ष सितम्बर के पहले सप्ताह में ही जैसलमेर के विभिन्न हिस्सों में डेरा डाल दिया है। जैसलमेर के देगराय ओरण, लाठी, धोलिया, खेतोलाई, आदि क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कुर्जा पक्षियों (Kurja birds) के झुंड देखे जा सकते हैं। जिससे वन्य जीव प्रेमियों एवं पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर व्याप्त है।
दरअसल मंगोलिया, चीन और कजाकिस्तान से हर वर्ष शीतकालीन प्रवास पर लाठी क्षेत्र में आने वाले मेहमान पक्षी कुरजां अक्टूबर में ही आते हैं, लेकिन इस बार सितम्बर के प्रथम सप्ताह में ही इन्होंने दस्तक दे दी है। इस बार अच्छी बारिश के बाद मौसम अनुकूल होने से हिमालय की ऊंचाइयों को पार करके कुरजां पक्षी ने भारत में प्रवेश किया है। हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर करीब 500 कुरजां यहां पहुंच गये हैं। इन्होंने लाठी , देगराय ओरण आदि क्षेत्रों में बसेरा बना लिया है। अब अगले वर्ष मार्च तक इनका यहां बसेरा रहेगा।
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार तापमान में गिरावट के साथ ही क्षेत्र में पक्षियों की संख्या में वृद्धि होगी।प्रवासी पक्षी कुरजां का वजन करीब दो से ढाई किलो होता है। यह पानी के आसपास खुले मैदान और समतल जमीन पर ही अपना अस्थाई डेरा डालते हैं। इन पक्षियों का मुख्य भोजन वैसे तो मोतिया घास होती है, लेकिन ये पानी के आस पास पैदा होने वाले कीड़े मकोड़े खाकर अपना पेट भरते हैं। क्षेत्र में अच्छी बारिश होने पर खेतों में होने वाले मतीरे की फसल भी इनका पसंदीदा भोजना माना जाता है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ दिवेश कुमार सैनी ने बताया कि साइबेरिया, मंगोलिया, कजाकिस्तान मध्य एशिया से हर वर्ष कुरजां पक्षी झुंड में पश्चिमी राजस्थान में प्रवास करते हैं। हिमालय की ऊंचाइयों को पार कर ये भारत में प्रवेश करते और मार्च-अप्रैल में लौट जाते हैं।
जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में खेतोलाई, चाचा, सोढ़ाकोर, डेलासर, देगराय आदि के पास के तालाब पर कुरजां अपना डेरा डालते हैं। उन्होंने बताया कि कुरजां एक खूबसूरत पक्षी है जो सर्दियों में साइबेरिया से काला समुद्र से लेकर मंगोलिया तक फैले क्षेत्र से हिमालय की ऊंचाइयों को पार करता हुआ हमारे देश में आते हैं। पूरी सर्दियां यहां मैदानों और तालाबों के करीब गुजारने के बाद अपने मूल देश लौट जाते हैं। अपने लंबे सफर के दौरान यह करीब आठ किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ते हैं। राजस्थान में हर वर्ष करीब पचास स्थानों पर कुरजां पक्षी आते हैं। यह सिलसिला कई सदियों से चला आ रहा है। मध्य एशिया और पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यंत ठंडी जलवायु की वजह से ये गरम क्षेत्रों की तरफ रुख करते हैं। राजस्थान इनका सबसे पसंदीदा क्षेत्र है। जैसलमेर में हर वर्ष हजारों की संख्या में कुरजां पक्षी प्रवास करने आते हैं।
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Sat, Sep 13 , 2025, 12:11 PM