Even air pollution considered: प्रदूषण के सुरक्षित स्तर पर माने जानी वाली हवा से भी दिल के दौरे का खतरा

Fri, Jul 04 , 2025, 06:27 PM

Source : Uni India

न्यूयॉर्क। प्रदूषण (air pollution) के सुरक्षित स्तर पर माने जानी वाली हवा(लाे ग्रेड) भी धीरे-धीरे दिल की मांसपेशियों काे नुकसान पहुंचा सकती है जो बाद में दिल के दौरे का कारण बन सकता है। वैज्ञानिकों ने उन्नत एमआरआई स्कैन (MRI scan) की रिपोर्ट के आधार पर किये गये नये शोध में कहा है कि इस स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में देर तक रहने वाले लोगों की दिल की मांसपेशियों में निशान पड़ने के शुरुआती लक्षण दिखायी दिए। अध्ययन के अनुसार,“ प्रदूषित हवा - भले ही वह ‘सुरक्षित’ मानी जाने वाली मात्रा में हो, दिल को चुपचाप नुकसान पहुंचा सकती है और यह समय के साथ दिल के दौरे का कारण बन सकती है। यह नुकसान स्वस्थ व्यक्तियों और हृदय रोग से पीड़ित लोगों दोनों में देखा गया। विशेष रूप से महिलाओं, धूम्रपान करने वालों और उच्च रक्तचाप वाले लोगों में इसे देखा गया।

रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RSNA) की पत्रिका ‘रेडियोलॉजी’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कार्डिएक एमआरआई का उपयोग करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में लंबे समय तक रहना भी दिल के लिए नुकसानदायक है। इससे दिल की मांसपेशियों को नुकसान होता है जिससे आगे चलकर हृदयाघात हो सकता है। शोध से पता चलता है कि हवा में महीन कण हृदय की मांसपेशियों में विसरित मायोकार्डियल फाइब्रोसिस उत्पन्न करते हैं। इससे दिल की मांसपेशियां जख्मी हो जाती हैं और वे अकड़कर सिकुड़ने लगती हैं।
टोरंटो विश्वविद्यालय और टोरंटो में यूनिवर्सिटी हेल्थ नेटवर्क के टेमर्टी फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के मेडिकल इमेजिंग विभाग की इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका केट हैनिमन(एम.डी., एम.पी.एच.) ने कहा, “हम जानना चाहते थे कि ऊतक स्तर पर इस बढ़े हुए जोखिम को क्या प्रेरित करता है।”

डॉ. हैनिमन और सहयोगियों ने हृदय एमआरआई, इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके मायोकार्डियल फाइब्रोसिस को मापने और पीएम 2.5 कणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के साथ इसके संबंधों का आकलन करने के लिए किया। दशमलव पांच माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले पीएम 2.5 कण इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों के माध्यम से रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। वाहनों से निकने वाले धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और जंगल की आग का धुआं वायु प्रदूषण के इस स्तर के श्रेणी में मुख्य रूप से आता है। शोधकर्ता स्वस्थ और हृदय रोग से पीड़ित लोगों दोनों पर वायु प्रदूषण के प्रभावों का मूल्यांकन करना चाहते थे, इसलिए अध्ययन समूह में 201 स्वस्थ व्यक्ति और 493 रोगियों को शामिल किया गया था जिनमें विस्तारित कार्डियोमायोपैथी रोग था। यह बीमारी हृदय को रक्त पंप करने में अधिक कठिनाई पैदा करती है।

डॉ. हैनिमन ने कहा,“लंबे समय तक महीन कण वाले वायु प्रदूषण के उच्च संपर्क में रहने से कार्डियोमायोपैथी रोगियों और स्वस्थ लोेगों के दिलों में मायोकार्डियल फाइब्रोसिस के उच्च स्तर पाये गये। इससे यह पता चलता है कि मायोकार्डियल फाइब्रोसिस एक अंतर्निहित तंत्र हो सकता है जिसमें वायु प्रदूषण हृदय संबंधी जटिलताएं पैदा करता है। सबसे बड़ा प्रभाव महिलाओं, धूम्रपान करने वालों और उच्च रक्तचाप वाले रोगियों में देखा गया। वायु प्रदूषण के स्तर में मामूली वृद्धि भी हृदय पर काफी प्रभाव डाल सकती है।

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