“उत्तरी वज़ीरिस्तान में आत्मघाती कार बम हमले में पाकिस्तानी सेना को भारी चोट: 13–16 सैनिक शहीद”

Sun, Jun 29 , 2025, 12:17 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Suicide bomber kills 13 soldiers in North Waziristan :  पाकिस्तान (pakistan) के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (Khyber Pakhtunkhwa Province) के उत्तरी वजीरिस्तान जिले (North Waziristan districts) में एक आत्मघाती हमलावर ने सैन्य काफिले को निशाना बनाया। इसमें 13 सैनिक मारे (13 soldiers killed) गए। जबकि 10 सैनिक और 19 नागरिक घायल हो गए। एएफपी समाचार एजेंसी के अनुसार हमलावर ने विस्फोटकों (Explosives) से लदा वाहन सैन्य काफिले से टकरा दिया था। खैबर पख्तूनख्वा में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने एएफपी को बताया कि विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि दो घरों की छतें गिर गईं। इसमें छह बच्चे घायल हो गए। पाकिस्तान-तालिबान (टीटीपी) से संबद्ध हाफिज गुल बहादुर समूह ने बम विस्फोट (detonate the bombs) की जिम्मेदारी ली है। खैबर प्रांत को टीटीपी का गढ़ माना जाता है। तीन दिन पहले टीटीपी के हमले में 2 सैन्य अधिकारी मारे गए थे। इनमें से एक पाकिस्तानी कमांडर मोइज अब्बास था, जिसने भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पकड़ने का दावा किया था। बालाकोट में हवाई हमले के अगले दिन यानी 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी। जवाब में भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन चलाया। इसके बाद विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग-21 बाइसन फाइटर जेट से पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट को मार गिराया। हालांकि, उनका विमान पाकिस्तानी सीमा के अंदर गिर गया। अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया। टीटीपी क्या है? 2002 में अमेरिकी सेना ने 9/11 के आतंकी हमलों का बदला लेने के लिए अफगानिस्तान पर हमला किया था। अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई के डर से कई आतंकी पाकिस्तान के कबायली इलाकों में छिपे हुए हैं। इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने इस्लामाबाद की लाल मस्जिद को कट्टरपंथी प्रचारकों और आतंकियों के कब्जे से आजाद कराया था। वैसे तो कट्टरपंथी उपदेशक को कभी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी माना जाता था, लेकिन इस घटना के बाद स्वात घाटी में पाकिस्तानी सेना का विरोध शुरू हो गया। इसके चलते कबायली इलाकों में कई विद्रोही समूह पनपने लगे। ऐसे में दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में 13 समूहों ने एक आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया, इसलिए इस संगठन का नाम बदलकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान कर दिया गया। संक्षेप में इसे टीटीपी या पाकिस्तानी तालिबान के नाम से भी जाना जाता है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन हुए हैं, उनमें सबसे खतरनाक माना जाता है, जिसे आतंकवाद की फैक्ट्री के तौर पर जाना जाता है।

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