पटना। बिहार के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र (Ramgarh Assembly Constituency) में करीब चार दशक से पूर्व सांसद और राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और उनके परिवार के सदस्यों का दबदबा रहा है तथा 13 नवंबर को होने वाले उप चुनाव में इस सीट पर श्री सिंह के छोटे पुत्र अजीत कुमार सिंह (Ajit Kumar Singh) यहीं से अपनी राजनीति की शुरूआत कर रहे हैं।
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जगदानंद सिंह ने वर्ष 1985 से लगातार 2005 अक्टूबर तक छह बार जीत का परचम लहराया है। जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह वर्ष 2020 में रामगढ़ से राजद के टिकट पर निर्वाचित हुये। इस बार के आमचुनाव में सुधाकर सिंह ने बक्सर से जीत हासिल की और सांसद बनें।श्री सुधाकर सिंह के सांसद बनने के बाद रिक्त रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे। महागठबंधन के घटक दल राजद ने रामगढ़ विधानसभा सीट से जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र और सांसद सुधाकर सिंह के भाई अजीत कुमार सिंह को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। अजीत कुमार सिंह पर रामगढ़ सीट को जीतने की चुनौती के साथ हीं इस सीट पर पार्टी का कब्जा बरकरार रखने की भी चुनौती है।
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया। पहली बार रामगढ़ विधानसभा सीट पर हुये चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रामचंद्र राय ने जीत हासिल की। वर्ष 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के दशरथ तिवारी, वर्ष 1962 में कांग्रेस उम्मीदवार विश्वनाथ राय, वर्ष 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सच्चिदानंद सिंह, वर्ष 1969 में कांग्रेस उम्मीदवार विश्वनाथ राय ने जीत का परचम लहराया। वर्ष 1972 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी उम्मीदवार सच्चिदानंद सिंह और वर्ष 1977 में भी सच्चिदानंद सिंह ने जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की।
वर्ष 1980 के चुनाव में जनता पार्टी सेक्यूलर उम्मीदवार सच्चिदानंद सिंह अपनी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त थे, क्योंकि उन्हें खुद अपनी लोकप्रियता का अंदाज था। उनके खिलाफ इंदिरा कांग्रेस ने प्रभावती सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था।सच्चिदानंद सिंह के सपनों की उड़ान को उस वक्त धक्का लगा जब उनके अपने ही चचेरे भाई जगदानंद सिंह ने रामगढ़ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया। जगदानंद के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय के साथ बेहद दिलचस्प हो गया था।चुनाव परिणाम चौंकाने वाले थे।
तत्कालीन चुनावी विश्लेषक दोनों भाइयों के बीच सीधी लड़ाई मान रहे थे, लेकिन दोनों भाइयों की इस लड़ाई में जीत कांग्रेस की प्रभावती सिंह को मिली।वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में सच्चिदानंद सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरे, जबकि कांग्रेस से प्रभावती सिंह दोबारा मैदान थीं। इस बार लोकदल ने जगदानंद सिंह को उम्मीदवार बनाया। यहां बाजी पलट गई। जगदानंद सिंह बड़े अंतर के साथ विजयी हुए। प्रभावती सिंह दूसरे स्थान पर रहीं. इसके बाद जगदानंद सिंह अपनी जबरदस्त लोकप्रियता के चलते रामगढ़ सीट से लगातार छह बार विधायक निर्वाचित हुए। जगदानंद सिंह वर्ष 1990 और वर्ष 1995 में जनता दल, वर्ष 2000, 2005 फरवरी और 2005 अक्टूबर में राजद के टिकट पर जीत हासिल की।
वर्ष 2009 में जगदानंद सिंह बक्सर के सांसद बने। वर्ष 2010 में राजद ने सुधाकर सिंह को रामगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने को न्यौता दिया। जगदानंद सिंह इसके पक्ष में नहीं थे, उन्होंने कहा था कि इससे वंशवाद बढ़ेगा, लिहाजा उन्होंने अंबिका सिंह को राजद का टिकट दिलाया। सुधाकर सिह ने पिता से बगावत कर दी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गये। भाजपा ने रामगढ़ से सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बना दिया। राजद के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह ने अपने पुत्र भाजपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह के विपक्ष में प्रचार किया। इस चुनाव में राजद के अंबिका सिंह ने जीत हासिल की। भाजपा के सुधाकर सिंह तीसरे नंबर पर रहे। सुधाकर की हार से ज्यादा चर्चा पिता जगदानंद सिंह के पार्टी के पक्ष में मजबूती से खड़े रहने की हुई।
वर्ष 2015 में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने राजद के अंबिका सिंह को पराजित किया।सुधाकर सिंह का नाता बाद में भाजपा से टूट गया।वह राजद में सक्रिय हो गए। वर्ष 2020 में उन्होंने रामगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस बार राजद के सुधाकर सिंह ने बाजी मार ली। कांटे के मुकाबले में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रत्याशी अंबिका सिंह को महज 189 मतों के अंतर से शिकस्त दी।
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है। रामगढ़ ही वो सीट है जहां से जगदानंद सिंह पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद उनका और रामगढ़ सीट का नाता ही बन गया। वर्ष 1985 से लेकर 2005 तक लगातार उन्होंने छह बार जीत का परचम लहराना। इस बार के उपचुनाव में जगदानंद सिंह ने अपने पुत्र अजीत कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। इस मुकाबले में भारतीय जनताा पार्टी (BJP) की ओर से उनकी ही जाति के पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह मैदान में हैं, तो प्रशांत किशोर ने कुशवाहा जाति के उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह को मैदान में उतार दिया।बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व विधायक अंबिका सिंह के भतीजे सतीश कुमार सिंह यादव उर्फ पिंटू यादव ,यादव उम्मीदवार को मैदान में उतारकर मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया है।
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में राजद,भाजपा, जनसुराज ,बसपा समेत पांच प्रत्याशी मैदान में हैं।जातिगत समीकरण के हिसाब से रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में राजपूत जाति के सर्वाधिक मतदाता है। दूसरे नंबर पर मुस्लिम मतदाता हैं।तीसरे नंबर पर यादव वोटर हैं। राजद उम्मीदवार अजीत सिंह और भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह की दावेदारी राजपूत वोटों पर है।बसपा के उम्मीदवार पिंटू यादव और जन सुराज के उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह दोनों ही मुस्लिम यादव (माई) समीकरण में सेंध मारी कर सकते हैं। राजद यह



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