Patna HC on Bihar Reservation Quota: नीतीश कुमार को हाई कोर्ट से झटका! आरक्षण 65 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला रद्द

Thu, Jun 20 , 2024, 01:56 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Patna HC: पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने राज्य में सरकारी नौकरियों (government jobs) और उच्च शिक्षा संस्थानों (higher education institutions) में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के बिहार सरकार (Bihar government) के फैसले को रद्द कर दिया है। यह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। 

यह कानून नवंबर 2023 में नीतीश कुमार सरकार ने बनाया था। इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए अदालत में कई रिट याचिकाएँ (Several writ petitions) दायर की गईं। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज अपना फैसला सुनाया। 

जाति आधारित सर्वेक्षण 2022-23 के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद कुछ बातें ध्यान में आईं। संविधान में अवसर और स्थिति की समानता के उद्देश्य को पूरा करने के लिए पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के एक बड़े वर्ग को प्रोत्साहित करना आवश्यक पाया गया।

राज्य में जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए 25 प्रतिशत और 18 प्रतिशत कर दिया। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए प्रतिशत।

बिहार सरकार ने दो संशोधन विधेयक पेश किये थे
इस आरक्षण को बढ़ाने के लिए, बिहार सरकार ने दो विधेयकों को अधिसूचित किया था, अर्थात् बिहार आरक्षण (एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी के लिए) संशोधन विधेयक और बिहार (शैक्षिक, संस्थानों में प्रवेश) आरक्षण संशोधन विधेयक, 2023 में रिक्तियों की भर्ती के लिए। इससे आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। इसमें आर्थिक और कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण जोड़ने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 75 फीसदी तक पहुंच जाएगा। 

आरक्षण बढ़ाने का विरोध क्यों हुआ?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि राज्य सरकार द्वारा की गई आरक्षण में वृद्धि कानून के अधिकार से परे थी। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी बनाम केंद्र सरकार मामले में दिये गये फैसले का उल्लंघन है। इसे 50 फीसदी तक सीमित कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि आरक्षण में यह बढ़ोतरी भेदभावपूर्ण है और अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत नागरिकों को दिए गए समानता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups