नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में टिकटों के लेकर तल्खी (tension over tickets) के बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के तेवर अब नरम पड़ गए हैं. अखिलेश के नरम तेवर के पीछे कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता की ओर से भेजा गया वो संदेश है, जिसमें समाजवादी पार्टी के मुखिया से बातचीत करने का आश्वासन दिया गया है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) को देखते हुए समाजवादी पार्टी के साथ विवाद को विराम देना ही ठीक समझा है.
दरअसल, शनिवार को हरदोई पहुंचे अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके पास कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का मैसेज आया है. दोनों पार्टियों के बीच सीट को लेकर जो विवाद हैं उसे बैठकर सुलझा लिया जाएगा. इसके लिए अखिलेश यादव ने डॉ राम मनोहर लोहिया और मुलायम सिंह का हवाला देते हुए कहा कि इन दोनों नेताओं ने कहा था कि अगर लगे की कांग्रेस कमजोर और उसे सपा की जरूरत है तो साथ देने से मना मत करना.
दूसरी ओर सीट को लेकर उठे विवाद के बीच कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं और अन्य नेताओं के तेवर भी नरम पड़ गए हैं. अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह की ओर से किए गए उस विवाद ट्वीट को भी डिलीट करा दिया है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राहुल गांधी को लेकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था.
अजय राय के भी तेवर पड़े नरम
वहीं, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के तेवर भी नरम पड़ गए हैं. उन्होंने कहा है कि वो सपा प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से की गई टिप्पणी पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं. दरअसल, सपा प्रमुख के चिरकुट वाले बयान पर अजय राय ने अखिलेश यादव को लेकर कहा था कि जिसने अपने पिता का सम्मान नहीं किया वो औरों का क्या करेगा. पार्टी हाईकमान ने अजय राय को दिल्ली भी तलब किया है.
लोकसभा चुनाव में फिर से जाग सकता है जिन्न
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव को लेकर तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सुलह के संकेत जरूर मिल चुके हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह जिन्न फिर से जाग सकता है. विश्लेषकों ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अगर अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में जनाधारा वाले फॉर्मूले का हवाला दे दिया तो कांग्रेस के समाने मुश्किल खड़ी हो सकती है. मध्य प्रदेश को लेकर जारी विवाद के बीच खुद अखिलेश यादव इस बात के संकेत दे चुके हैं.
अगर अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन में यूपी की सीट बंटवारे के दौरान मध्य प्रदेश में जनाधार वाले फॉर्मूले का जिक्र किया तो कांग्रेस अभी जो 20-25 सीट की उम्मीद लगाए बैठी है उसे बड़ा झटका लग सकता है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी अगर अखिलेश यादव अपनी बात अड़े रहे तो कांग्रेस को दो से तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में कांग्रेस की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली सीट ही जीत सकी थी. अमेठी में राहुल गांधी को बीजेपी की स्मृति ईरानी के हाथों करारी हाल झेलनी पड़ी थी.



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Mon, Oct 23 , 2023, 10:39 AM