MP Assembly Election 2023:  कमलनाथ के हार्ड हिंदुत्व के दांव से हाशिए पर कांग्रेस की मुस्लिम सियासत

Tue, Oct 17 , 2023, 02:46 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

MP. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly elections) की सियासी तपिश (political heat) के साथ ही कांग्रेस की मुस्लिम पॉलिटिक्स पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Congress State President Kamal Nath) जिस तरह से हिंदुत्व के पिच पर उतरकर सियासी बिसात (political chessboard) बिछा रहे हैं, उससे एक बात को साफ है कि कांग्रेस अपनी मुस्लिम परस्त वाली छवि को बदलने और खुद को थोड़ा ज्यादा ‘हिंदू’ दिखाने की कोशिश में है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही वजह कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की सूची में सिर्फ एक मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है.
कांग्रेस ने रविवार को मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से 144 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है, जिसमें भोपाल मध्य सीट से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक आरिफ मसूद को टिकट दिया है. कांग्रेस ने सात फीसदी वाले मुस्लिम समुदाय से सिर्फ एक प्रत्याशी उतारा है तो एक फीसदी से भी कम आबादी वाले जैन समुदाय को पांच टिकट दिए हैं. हालाकिं, अभी 86 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान बाकी है, लेकिन पहली लिस्ट से ही कांग्रेस की मुस्लिम पॉलिटिक्स को समझा जा सकता है?
कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर
प्रदेश की सभी 230 सीटों पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद रोचक और कांग्रेस-बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है. ऐसे में चुनावी लड़ाई आमने-सामने की है और दोनों ही दल सत्ता में आने के लिए किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस उसी सियासी पिच पर उतरकर खेल रही है, जिससे लगातार बीजेपी जीत दर्ज करती रही है. कांग्रेस को इस राह पर चलने के चलते अपने कोर वोटबैंक मुस्लिम समुदाय से दूरी बनाए रखकर चलना पड़ रहा है.
बीजेपी से दो-दो हाथ कर रही कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के अगुवाई में चुनावी मैदान में उतरी है और उनकी बिछाई सियासी बिसात पर ही बीजेपी से दो-दो हाथ कर रही है. खुद को हनुमान भक्त बताने के लिए कमलनाथ खुलकर हिंदुत्व कार्ड खेल रहे हैं. हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन छिंदवाड़ा में करा चुके हैं और साथ ही शिवकथा वचक प्रदीप मिश्रा का कार्यक्रम भी कराया. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट नवरात्र के पहले दिन सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर जारी किया. इस तरह वो सॉफ्ट हिंदुत्व ही नहीं बल्कि बीजेपी की तरह हार्ड हिंदुत्व का दांव खेल रही है, जिसके चलते मुस्लिमों से दूरी बनाते हुए नजर आ रही है.
102 सदस्यों में 3 मुस्लिम नेताओं को जगह
कांग्रेस ने एमपी चुनाव के लिए कई समितियां बनाई है, जिसमें मुसलमानों को बहुत ज्यादा जगह नहीं मिल सकी. कांग्रेस ने चुनाव के लिए अलग-अलग समितियों में कुल 102 सदस्य बनाए हैं, जिसमें सिर्फ तीन मुस्लिम नेताओं को ही जगह दी है. कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी में विधायक आरिफ मसूद तो पॉलिटिक्ल अफेयर कमेटी में विधायक आरिफ अकील को सदस्य बनाया गया है. कांग्रेस ने आरिफ मसूद को तो एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया है, लेकिन आरिफ अकील के नाम की घोषणा नहीं हुई है.
2018 में कांग्रेस ने उतारे थे 3 मुस्लिम कैंडिडेट
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में तीन मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से दो विधायक बनने में सफल रहे. कांग्रेस इस बार जिस तरह हिंदुत्व के पिच पर खड़ी नजर आ रही है, उसके चलते मुसलमानों के टिकट में पार्टी कटौती भी कर सकती है. प्रदेश में मुसलमानों की आबादी का सात फीसदी है, 1962 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सात मुस्लिम विधायक चुने गए थे. 1972 और 1980 में 6-6 मुस्लिम विधायक बने थे जबकि 1985 में 5 मुस्लिम विधानसभा चुनाव जीते थी.
एमपी में मुस्लिम प्रतिनिधित्व न के बराबर
हालांकि, 1990 के चुनाव से मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व एमपी में घटने का सिलसिला शुरू हुआ तो आजतक नहीं उभर सका. 1993 के विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं जीत सका था और उसके बाद विधायकों की संख्या दो और एक तक ही सीमित रही. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन और बीजेपी ने एक मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से कांग्रेस के दो जीतने में सफल रहे. दोनों ही कांग्रेस के टिकट पर भोपाल से ही चुने गए हैं. बीजेपी इस बार कैंडिडेट नहीं दिए हैं जबकि कांग्रेस ने एक प्रत्याशी उतारा है.
MP में मुस्लिम मतदाता केवल 7 फीसदी
बता दें कि प्रदेश में मुस्लिम मतदाता भले ही सात फीसदी हों, लेकिन दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. भोपाल, इंदौर, जबलपुर और बुरहानपुर में मुस्लिमों की आबादी बड़ी संख्या में है. भोपाल की मध्य, भोपाल उत्तर, सिहौर, नरेला, देवास की सीट, जबलपुर पूर्व, रतलाम शहर, शाजापुर, ग्वालियर दक्षिण, उज्जैन नार्थ, सागर, सतना, रीवा, खरगोन, मंदसौर, देपालपुर और खंडवा की विधानसभा की सीटों पर मुस्लिम मतदाता अहम रोल अदा करते हैं. इसके बाद भी कांग्रेस भोपाल की सीटों पर ही मुस्लिमों को टिकट देने तक सीमित किए हुए हैं.
मुस्लिमों के पास कोई राजनीतिक विकल्प नहीं
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस की मध्य प्रदेश में बदली सियासी चाल और दो ध्रवी चुनावी लड़ाई के चलते मुस्लिमों के पास कोई राजनीतिक विकल्प नहीं है. कांग्रेस यह मानती है कि मुसलमान उनके बजाय कहा जाएगा, क्योंकि बीजेपी मुख्य मुकाबले में है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला है, जिसके चलते मुसलमान कहां जाएंगे? कांग्रेस इस बात को बाखूबी समझती है, जिसके चलते ही मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे उठाने से बच रही है. राजनीतिक दलों पर आरोप है कि भोपाल की दो या तीन सीटों के अलावा मुसलमान प्रत्याशियों को टिकट देने में आना-कानी करती है.

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