नई दिल्ली. बंगला बचाने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुरक्षा और आतंकी धमकियों का हवाला दिया है. राघव चड्ढा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि उनको 8 सितंबर 2022 में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने टाइप 7 बंगला आवंटित किए जाने को मंजूरी दी थी, क्योंकि पंजाब से उनको मिल रही धमकियों की वजह से z प्लस सुरक्षा मिली है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा पुनरीक्षण समिति ने भी टाइप छह बंगले को मेरी सुरक्षा के लिहाज से अनुपयुक्त बताया था. चड्ढा के वकील सिंघवी ने ये दलील भी दी कि रोजाना सैकड़ों लोग उनसे मिलने आवास पर आते हैं. लिहाजा सुरक्षा और जन सुविधा दोनों के लिहाज से टाइप सात बंगला ही उपयुक्त है.
हाईकोर्ट में राघव ने दलील कि मेरे घर को सुरक्षा घेरे के मुताबिक, ना देना खतरनाक है. सिंघवी ने कहा कि राज्यसभा के 245 में से 115 सांसदों को उनके रुतबे और अधिकृत स्तर से ज्यादा ऊंचे स्तर के आवास मिले हुए हैं. मैं जिस मार्ग पर स्थित बंगले में फिलहाल हूं उसी लाइन में पहली बार सांसद बने चार नेता उसी स्तर के बंगलों में रह रहे हैं. जनरल पूल में भी 65 ऐसे ही बंगले आवंटित हैं. उन्होंने कहा कि मुझे आशंका है कि ये बखेड़ा जानबूझ कर मुझे परेशान करने की नियत से किया गया है.
कोर्ट में सिंघवी ने दलील दी कि उपराष्ट्रपति ने बंगला आवंटित करने का आदेश दिया, लेकिन राज्यसभा आवासन समिति ने इस साल तीन मार्च को यानी 03/03/23 को टाइप सात बंगला खाली करने का नोटिस भेज दिया, जबकि मैं करीब साल भर से यहां रह रहा था. सिंघवी ने कहा कि उनको आवासन समिति ने नहीं बल्कि राज्यसभा सभापति ने बंगला अलॉट किया है. उन्होंने कहा कि उनके आदेश में ऐसी क्या खामी है? बंगला खाली करने का नोटिस देने से पहले तय प्रक्रिया अपनाई नहीं गई है.
सिंघवी ने कहा कि सीपीसी के तहत विधायिका सरकार नहीं है. लिहाजा सिविल सूट के तहत सरकार के खिलाफ मुकदमा नहीं करने का भी प्रावधान यहां लागू नहीं होता. वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछले 17 साल से सांसद हूं, लेकिन इसे सरकार नहीं माना जा सकता. जस्टिस अनूप जयराम भंबानी ने पूछा कि इस मामले में और प्रतिवादी कौन हैं? सिब्बल ने जवाब दिया सिर्फ राज्यसभा सचिवालय है. कोर्ट ने पूछा तो आपकी दलील गई कि राज्यसभा का सचिवालय और महासचिव दोनों ही कानून की निगाह में सरकार नहीं हैं? सिंघवी ने कहा कि हमारी चिंता और दलील सुरक्षा को लेकर है. फ्लैट में जेड प्लस सुरक्षा दस्ते के कर्मी सहज नहीं रहते. यह तो केंद्रीय खुफिया ब्यूरो और राज्य के खुफिया और सुरक्षा विभाग के आला अधिकारियों की मीटिंग में सुरक्षा संबंधित ये मुश्किलें बताई गई थीं.
इसी के आधार पर राज्यसभा सभापति से गुजारिश की गई थी कि बड़ा बंगला आवंटित किया जाए. उनकी दलील है कि मैं वरिष्ठ सांसद नहीं हूं लिहाजा टाइप सात में रहने के योग्य नहीं हूं. पहली बार के सांसद को टाइप छह आवास मिलता है. मेरे मामले में सभापति ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया. मुझे पंजाब में सुरक्षा मिली हुई है, तो उसका ये मतलब कतई नहीं है कि दिल्ली में सुरक्षा घाटा दी जाए और यहां मेरी हत्या कर दी जाए। मुझे हर कहीं सुरक्षा घेरे में रहना है.



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Wed, Oct 11 , 2023, 02:58 AM