महिला आरक्षण के बहाने मोदी को ओबीसी विरोधी साबित करने में जुटा विपक्ष, बीजेपी का क्या है काउंटर प्लान?

Thu, Sep 21 , 2023, 03:13 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण (33 percent reservation) देने वाला नारी शक्ति वंदन विधेयक लोकसभा से पास हो गया है और अब राज्यसभा में पेश किया गया है. मौजूदा परिस्थित में बिल उच्च सदन से भी पारित होने की पूरी संभावना है. मोदी सरकार के द्वारा आधी आबादी को एक तिहाई हिस्सेदारी देने के कदम को बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है, लेकिन विधेयक में ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण न दिए जाने को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा है. कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिशों में जुटी है, जिससे निपटने के लिए बीजेपी ने बकायदा काउंटर प्लान बना रखा है.
लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक (Women's Reservation Bill) पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक ने बिल का समर्थन तो किया, लेकिन बिल में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग उठाने के साथ-साथ जातिगत जनगणना का भी मुद्दा उछाल दिया है. इतना ही नहीं विपक्षी दल की तरफ से सपा से लेकर बसपा, जेडीयू और आरजेडी जैसी पार्टियां महिला आरक्षण में ‘कोटे में कोटा’ की मांग कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी और मोदी सरकार यह बताने की कोशिश में जुटी है कि संविधान में तीन कैटेगरी से सांसद चुनकर आते हैं, उन तीनों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है.

सोनिया-राहुल ने खेला ओबीसी दांव
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के बिल का समर्थन किया, लेकिन साथ ही मांग किया कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए उप-कोटा के साथ महिला कोटा बिल तुरंत लागू किया जाए. साथ ही जातिगत जनगणना की भी मांग उठाई. सोनिया गांधी के साथ-साथ राहुल गांधी ने बिल का समर्थन करने के साथ ओबीसी समुदाय के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हुए नजर आए. राहुल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है. देश में दलित, आदिवासी, ओबीसी कितने है, इसका जवाब सिर्फ जातिगत जनगणना से मिल सकता है. विपक्षी जब भी ओबीसे के मुद्दे को उठाता है तो बीजेपी दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश क्यों करती है ताकि ओबीसी समुदाय दूसरी तरफ देखने लगे.

2011 में कराए जाति सर्वे के आंकड़ों को जारी करने मांग उठाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी करना चाहिए, नहीं तो हम उसे जारी कर डालेंगे. केंद्रीय सचिवों की एक लिस्ट दिखाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 90 केंद्रीय सचिव में से तीन ओबीसी हैं. राहुल ने कहा कि यही पांच फीसदी लोग बजट को कंट्रोल करते हैं. ये ओबीसी समुदाय का अपमान है. राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर ओबीसी विरोधी आरोप लगाते हुए जातिगत जनगणना की मांग रखी. इस तरह महिला आरक्षण के बहाने राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक ने जिस तरह ओबीसी के आरक्षण का मुद्दा उठाया है, उससे सियासी मंशा समझी जा सकती है.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ही नहीं बल्कि विपक्षी खेमे में तमाम नेताओं ने महिला आरक्षण के बहाने बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिश करते नजर आए. विपक्षी गठबंधन INDIA आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में जातिगत जनगणना के मुद्दे को बीजेपी के खिलाफ सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की रणनीति बना रखी है और संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण के मुद्दे पर उसे लेकर आक्रमक होने का मोका मिल गया, क्योंकि बीजेपी ने कोटे के अंदर कोटे की व्यवस्था नहीं रखी है.

दरअसल, भारतीय राजनीति पूरी तरह से बदल गई है और अब पूरी सियासत ओबीसी के इर्द-गिर्द सिमटी हुई नजर आ रही है. एक दौरा में ब्राह्मण, बनियों की पार्टी कहलाने वाली बीजेपी अब इस तमगे से बाहर निकलकर ओबीसी और दलित समुदाय के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने में सफल रही. बीजेपी 2014 में नरेंद्र मोदी के अगुवाई सत्ता में आई तो उसमें ओबीसी समुदाय की अहम भूमिका रही थी. ऐसे में महिला आरक्षण में ओबीसी को कोटा न फिक्स किए जाने से विपक्षी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी के लिए 2024 के चुनाव में चिंता बढ़ सकती है. नीतीश कुमार से लेकर अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे ओबीसी नेता विपक्षी गठबंधन INDIA खेमे के साथ खड़े हैं, जिसमें कांग्रेस भी अहम रोल में है. ऐसे में ओबीसी के मुद्दे पर बीजेपी के लिए चिंता बढ़ सकती है.

बीजेपी का काउंटर प्लान
कांग्रेस और विपक्षी की ओबीसी पॉलिटिक्स को बीजेपी ने काउंटर करने का पूरा प्लान बना रखा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान इसके संकेत दे दिए हैं. अमित शाह ने कहा कि ओबीसी का राग अलापने वालों से मैं कहना चाहता हूं कि आपकी पार्टी ने कभी क्या ओबीसी को प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन बीजेपी ने यह काम किया है. इतना ही नहीं अमित शाह ने ओबीसी को लेकर बीजेपी के नजरिए को भी रखा है और कहा कि अभी जो विद्यमान संविधान है, उसमें तीन कैटेगरी के सांसद चुनकर आते हैं. पहली-सामान्य कैटेगरी है, जिसमें हमारे ओबीसी भी शामिल हैं. दूसरी-एससी और तीसरी कैटेगरी- एसटी की है. इन तीनों कैटेगरी में 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं का कर दिया है.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अगर आपको आंकड़े चाहिए तो मैं बता देता हूं. सुनने के लिए आप सदन में बैठे नहीं हो. भारतीय जनता पार्टी के सांसदों में 85 सांसद यानि 29 फीसदी ओबीसी कैटेगरी के हैं. राहुल गांधी का नाम लिए बगैर ने अमित शाह ने कहा कि तुलना करनी है तो आ जाइए 29 मंत्री भी ओबीसी कैटेगरी के हैं. उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि बीजेपी के 1358 विधायकों में से 365 विधायक यानी 27 फीसदी ओबीसी समुदाय से हैं. इसके अलावा बीजेपी के 63 में से 65 एमएलसी भी ओबीसी से ताल्लुक रखते हैं, जो कि 40 फीसदी है.

राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda)  ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये बताएं कि साल 2004 से 2014 के बीच देश में कितने केंद्रीय सचिव ओबीसी थे. कांग्रेस के जितने सांसद हैं, उससे ज्यादा तो हमारे ओबीसी सांसद हैं. देश को पहली ओबीसी पीएम बीजेपी ने दिया. इस तरह से बीजेपी ने विपक्षी दलों के द्वारा सेट किए जा रहे ओबीसी एजेंडे को काउंटर करने की स्टैटेजी बनाई है. देखना है कि 2024 में किसे सियासी फायदा मिलता है?

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