राजस्थान: मारवाड़ में बीजेपी ने निकाला हनुमान बेनीवाल का तोड़, ज्योति मिर्धा दिखा पाएंगी करिश्मा?

Tue, Sep 12 , 2023, 03:14 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan assembly elections) को लेकर बीजेपी सियासी बिसात बिछाने में जुट गई है. जाट बेल्ट माने जाने वाले मारवाड़ इलाके में हनुमान बेनिवाल कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती बने हुए हैं. बीजेपी ने बेनीवाल की सियासत को काउंटर करने के लिए बड़ा सियासी दांव चला है. कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा (Former Congress MP Jyoti Mirdha) को बीजेपी ने सोमवार को अपने साथ मिला लिया है. मिर्धा को दिल्ली में जेपी नड्डा ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई. ऐसे में देखना है कि प्रदेश के मारवाड़ इलाके में ज्योति मिर्धा बीजेपी के लिए सियासी मुफीद साबित होंगी? मिर्धा राजघराने से ताल्लुक रखने वाली ज्योति मिर्धा राजस्थान की सियासत में एक बड़ा नाम हैं. वो जाट समुदाय से आती हैं. ज्योति मिर्धा को सियासत अपने दादा नाथूराम मिर्धा से विरासत में मिली है. नाथुराम मिर्धा किसान नेता रहे हैं. नागौर से सांसद रह चुके हैं और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती होती थी. केंद्र में वो मंत्री रह चुके हैं और उन्हें बाबा के नाम से पहचाना जाता था. ज्योति मिर्धा अपने दादा नाथूराम मिर्धा की सियासत को आगे बढ़ा रही है.

2009 में नागौर सीट से सांसद रही ज्योति मिर्धा

 

साल 2009 में ज्योति मिर्धा नागौर सीट से सांसद रही हैं. कांग्रेस उन्हें तीन बार इस सीट से चुनावी मैदान में उतार चुकी है, लेकिन उन्हें जीत महज एक बार मिली है. 2014 और 2019 दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. मिर्धा का बीजेपी में शामिल होने का सीधा असर नागौर लोकसभा और खींवसर विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें नागौर सीट पर हनुमान बेनीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में भी उतार सकती है?

राजस्थान की सियासत में बेनीवाल तीसरी ताकत

राजस्थान की सियासत में हनुमान बेनीवाल तीसरी ताकत बनने की कोशिशों में जुटे हैं. इसी मद्देनजर उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया था और नागौर सहित मारवाड़ की राजनीति में अपना दबदबा कायम करने की कवायद में है. बेनीवाल 2019 में नागौर सीट से सांसद चुने गए हैं. इतना ही नहीं उनकी पार्टी के दो विधायक भी है. पिछले यानि 2019 लोकसभा चुनाव में बेनीवाल ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़े थे, लेकिन किसानों आंदोलन के दौरान अलग हो गए थे.

बेनीवाल ने किसी भी पार्टी के नहीं मिलाया है हाथ

2023 के विधानसभा चुनाव में बेनीवाल ने किसी भी पार्टी के साथ हाथ नहीं मिलाया है. 2018 में उनके अकेले चुनाव लड़ने का खामियाजा बीजेपी को मारवाड़ इलाके में भुगतना पड़ा था. यही वजह है कि बीजेपी बेनीवाल की पॉलिटिक्स की तोड़ ढूंढ़ने में जुटी थी. बीजेपी के पास मारवाड़ में कई ऐसा नेता नहीं, जो बेनीवाल के सियासी कद का हो. ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ज्योति मिर्धा और सेवानिवृत्त आईपीएस सवाई सिंह चौधरी को पार्टी में शामिल कर लिया. माना जा रहा है कि बीजेपी अब इन दोनों नेताओं के जरिए हनुमान बेनीवाल की सियासत को काउंटर करने की स्टैटेजी बनाई है.

मारवाड़ इलाके में कुल 43 विधानसभा सीटें

दरअसल, मारवाड़ के इलाके में कुल 43 विधानसभा सीटें आती हैं. जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जालौर, सिरोही, जोधपुर, नागौर जिले हैं. इनमें से ज्यादातर इलाके जाट बहुल माने जाते हैं. कभी यह कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन 2013 में वसुंधरा राजे की सक्रियता ने यहां की सियासी बाजी पलट दी. तब इस अंचल के सात जिलों की 43 सीटों में 39 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. 2018 के चुनाव में सियासी बाजी पलट गई थी. कांग्रेस 22 और बीजेपी 16 सीटें ही हासिल कर सकीं थी.

2018 में BJP दो सीटों पर दर्ज की थी जीत

नागौर जिले में 10 सीटें आती हैं. 2013 के विधानसभा चुनावों में नागौर जिले की 10 में से 9 सीटें बीजेपी के पास थीं, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी महज 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. कांग्रेस ने 6 विधानसभा क्षेत्रों नावां, लाडनू, परबतसर, डेगाना, डीडवाना और जायल में जीत का बिगुल बजाया. नागौर विधानसभा से मोहनलाल चौधरी और मकराना से रूपाराम मुरावतिया ही बीजेपी को जिता पाए. खींवसर और मेड़ता में हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक बने.

नागौर में बेनीवाल के चलते हुए बीजेपी को नुकसान

बीजेपी को नागौर जिले में सियासी नुकसान हनुमान बेनीवाल के चलते हुआ था. इसीलिए बीजेपी ने इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बेनीवाल को हर मोर्चे पर घेरने की तैयारी की है. हनुमान बेनीवाल खुद नागौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो उनके खिलाफ ज्योति मिर्धा को विधानसभा चुनावों में भी उतारा जा सकता है. खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल विधायक हैं. नारायण फिर से खींवसर सीट से चुनावी मैदान में उतार सकते हैं, जिनसे मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने सवाई सिंह चौधरी को टिकट दे सकती है. इस तरह बीजेपी ने नागौर सहित मारवाड़ इलाके के सियासी समीकरण को साधने की कवायद की है, देखना है कि यह दांव कितना सफल रहता है?

 

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