छह राज्यों के सात विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव के नतीजे आज आ गए. पूरे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश की जिस ‘घोसी’ सीट पर टिकी हुई थी, वहां कांग्रेस समर्थित समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) की जीत बड़े अंतर से हो गई है. घोसी चुनाव नतीजे से उत्साहित समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही इसे INDIA गठबंधन की पहली जीत बता रहे हैं.
हालांकि पश्चिम बंगाल की धूपगुड़ी सीट पर हुए उपचुनाव में INDIA गठबंधन की दो पार्टियों सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ लड़ी.कांग्रेस ने यहां सीपीएम को समर्थन दिया था. इस सीट पर तृणमूल ने सीपीएम को पटखनी दे दी. इसी तरह केरल की पुथुपल्ली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ने सीपीएम को शिकस्त दे दी है. त्रिपुरा की दोनों सीटों बॉक्सानगर और धनपुर और उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर बीजेपी, जबकि झारखंड की डुमरी सीट पर उसकी सहयोगी आजसू पार्टी ने जीत दर्ज की है.
(Bageshwar seat) कुल मिलाकर 7 सीटों पर हुए उपचुनाव में INDIA गठबंधन सिर्फ घोसी में ही कमाल दिखा पाई, जबकि बीजेपी अपने सहयोगी के साथ चार सीटें जीतने में कामयाब हो गई है. पश्चिम बंगाल और केरल में विपक्षी गठबंधन आपस मे ही लड़ा और जीता.
‘घोसी’ की जीत को भुनाएगा INDIA गठबंधन
उत्तर प्रदेश की घोसी सीट बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनो के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था. मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री, सहयोगी दलों के नेताओं के धुआंधार प्रचार के बावजूद ये सीट बीजेपी क्यों नहीं बचा पाई. इसकी समीक्षा तो बीजेपी ही करेगी. फिलहाल इस उपचुनाव के नतीजे से विपक्षी नेताओं को देश भर में INDIA गठबंधन बनाने के मकसद को भुनाने में जरूर मदद मिलेगी. उपचुनाव में भले ही बीजेपी ने 4, INDIA गठबंधन, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने एक-एक सीट जीत ली है, लेकिन ये नतीजे आने वाले राज्यों के मुख्य चुनाव या 2024 के लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर पाएंगे, इसकी संभावना कम ही है. आमतौर पर बीते कुछ सालों में हुए उपचुनाव के नतीजे राजनीतिक बयानबाजी के अलावा कुछ साबित नहीं कर पाए हैं. साल 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद हुए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा की करारी हार पर राजनीतिक भविष्यवक्ताओं ने 2019 लोकसभा की पटकथा लिख दी थी, लेकिन हुआ एकदम उलट. इसी तरह, रामपुर लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव के नतीजों ने यूपी में भाजपा को अपराजेय की संज्ञा दे दी गई, लेकिन घोसी के नतीजे भाजपा को ही अब कांग्रेस-सपा गठबंधन की तोड़ के लिए नई रणनीति बनाने को विवश करेगी.
उपचुनाव के नतीजों से जल्द सबक लेती है भाजपा
पिछले कुछ सालों के राजनीतिक इतिहास का आंकलन करें तो अनेक राज्यों में बीजेपी उपचुनाव में अपनी हार के बाद जबरदस्त वापसी करती दिखी है. उत्तर प्रदेश की गोरखपुर, फूलपुर लोकसभा हो या गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राधनपुर और बायड-मालपुर विधानसभा उपचुनाव के नतीजे हों. राजस्थान की अजमेर, अलवर लोकसभा सीट व मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर भी हाल ही में हुए उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की अत्यधिक सक्रियता की खबरें कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को परेशान करने लगी है. इसी तरह बिहार में मोकामा सीट पर मिली राजद से हार का बदला कुछ ही महीनों में बीजेपी ने कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में जदयू को हराकर लिया था. घोसी के नतीजे से INDIA गठबंधन उत्साहित तो है, लेकिन बिना गठबंधन किए ही केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में आपस मे लड़ने जैसे सवालों से भी अब उसे जूझना पड़ेगा. जैसे त्रिपुरा में भाजपा और सीपीएम के मुक़ाबले में कांग्रेस कूद पड़ी. इसी तरह उत्तराखंड में भाजपा कांग्रेस की लड़ाई में सपा और आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतार दिए. उपचुनाव में बड़ा दिल नहीं दिखाने वाले दल 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा आसानी से कर पाएंगे यह यक्षप्रश्न है.



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Fri, Sep 08 , 2023, 07:11 AM