ज़रा सोचिये उस मंज़र को, जब लोग 7 साल में 7 बार मतदान (Voting 7 times in 7 years) के लिए वोटिंग (voting) की लाइन में खड़े हों. घोसी (Ghosi) में यही हो रहा है. लोकसभा, विधानसभा, पंचायत और निकाय चुनाव (Lok Sabha, Assembly, Panchayat and civic elections) से जब पूरा प्रदेश फ़ुर्सत पा चुका है तो घोसी वाले उपचुनाव झेल रहे हैं. जी हां, झेल इसलिए रहे हैं क्योंकि यहां के लोग वोट तो हर बार देते हैं. जीत हार का फ़ैसला भी होता है, लेकिन कभी कोई जनप्रतिनिधि दल बदल लेता है. कभी उसे किसी और लाभ के पद पर भेज दिया जाता है. कुल मिलाकर घोसी वाले हर साल मतदान के मोड में रहते हैं. खांटी पूर्वांचल और बाहुबलियों का गढ़ कहलाने वाले मऊ ज़िले की घोसी विधानसभा एक बार फिर अपनी तक़दीर तय होने का इंतज़ार कर रही है. उपचुनाव तो जैसे घोसी वालों की सियासी क़िस्मत में गढ़ दिया गया है. इसलिए स्थानीय लोग अब चुनाव के नाम पर ख़ुश नहीं बल्कि तल्ख़ हो जाते हैं. घोसी की आबोहवा में सियासी चर्चाएं तो हमेशा से घुली हुई थीं, लेकिन अब चुनावी शोर हर साल यहां की फ़िज़ा में तैरता है.
जल्दी जल्दी चुनाव से वोटर नाराज़!
यूं तो चुनाव में वोटर्स की बल्ले-बल्ले हो जाती है. राजनेता और सियासी दल उनका वोट पाने के लिए ‘बहुत कुछ’ करते हैं. लेकिन, घोसी में इस बार उपचुनाव को लेकर कई लोगों में नाराज़गी भी है. स्थानीय लोगों से चुनावी हार जीत के गणित और समीकरण को लेकर बात करने पर एक अलग तरह के सच से सामना हुआ. लोग हर साल वोटिंग की लाइन में खड़े होते हैं. ये बात उन्हें नागवार गुज़र रही है. बड़े चुनावों के बीच बार-बार उपचुनाव होने से लोगों की नाराज़गी जीते हुए प्रत्याशियों के प्रति ज़्यादा है. घोसी विधानसभा क्षेत्र में रहने वालों का कहना है बार-बार चुनाव जनता के लिए सिरदर्द हैं. सामान्य चुनाव के दौरान तमाम तरह की प्रशासनिक पाबंदियां होती हैं. उस दौर में तो पूरा प्रदेश या देश चुनावी मोड में रहता है. लेकिन, उपचुनाव का ऐलान होते ही वैसी ही पाबंदियां फिर लागू हो जाती हैं. ऐसे में सामान्य कामकाज ठीक से नहीं हो पाता. सरकारी दफ़्तरों में लोगों के काम रुक जाते हैं. तमाम तरह के प्रोजेक्ट चुनावी वजहों से शुरू नहीं हो पाते.
कभी नेता का प्रमोशन, कभी नेता ने दल बदला
घोसी विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने 7 साल में 5 चुनाव और 2 उपचुनाव की वोटिंग में हिस्सा लिया. 2017 में पूरे प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए. घोसी सीट से BJP के फागू चौहान चुनाव जीते. 2019 में उन्हें केंद्र सरकार ने मेघालय का राज्यपाल बना दिया. फागू चौहान ने विधानसभा सीट से इस्तीफ़ा दे दिया. उसी साल उपचुनाव हुए. घोसी के लोगों ने उपचुनाव में भी BJP पर भरोसा किया. पार्टी के प्रत्याशी विजय राजभर को जिताकर विधानसभा भेजा. 2019 में घोसी के लोगों ने लोकसभा में वोटिंग की. घोसी लोकसभा सीट भी है और विधानसभा भी. इसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव हुए. इस बार घोसी की जनता ने BJP के बजाय समाजवादी पार्टी पर भरोसा जताया. सपा के टिकट पर लड़े दारा सिंह चौहान को यहां के लोगों ने चुनकर विधानसभा भेजा. लेकिन, 2023 में उन्होंने घोसी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर BJP का दामन थाम लिया. घोसी उपचुनाव में एक बार फिर मतदान करने वाले लोग इससे ठीक पहले 2023 के निकाय चुनाव और उससे पहले 2022 में हुए पंचायत चुनाव में वोटिंग कर चुके हैं.
दारा चौहान के सामने ‘दोहरी चुनौती!
दारा सिंह चौहान ने घोसी विधानसभा इस्तीफ़ा से तो दे दिया, लेकिन वो एक बार फिर यहीं से क़िस्मत आज़मा रहे हैं. अगर वो चुनाव जीत जाते हैं, तो ये BJP के लिए राहत वाली ख़बर होगी. क्योंकि, वो पिछला चुनाव भी जीती थी. लेकिन, अगर वो हार गए तो उन्हें घोसी वालों के नज़रिये से मंथन करना होगा. जिस समय घोसी उपचुनाव में वोटिंग चल रही है, उस वक़्त उनके सामने दो चुनौतियां हैं. दारा सिंह चौहान को ये साबित करना होगा कि घोसी जनता उन पर अब भी उतना ही ऐतबार करती है, जितना 2022 में सपा में रहते हुए किया था. दूसरी चुनौती ये है कि उन्हें घोसी के बदले हुए चुनावी समीकरण में ख़ुद को पिछड़ों का सबसे बड़ा रहनुमा बनकर दिखाना होगा. क्योंकि, घोसी के लोगों का कहना है कि यहां से जो भी जीतता है, वो सिर्फ़ अपने राजनीतिक ग्राफ़ की फ़िक्र रखता है. घोसी की तस्वीर और यहां के लोगों की तक़दीर बदलने की सियासी लड़ाई कोई नहीं लड़ता.
घोसी की जनता इस बार क्या जनादेश देगी?
राजनीतिक दलों और विश्लेषकों की निगाहें इस बात पर होंगी कि घोसी की जनता बार-बार होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर क्या जनादेश देती है. क्योंकि, इस बार के उपचुनाव में घोसी वालों के सामने वही चेहरा दल बदलकर उनके सामने है. दारा को जनादेश मिला, तो उनके सियासी रसूख को लेकर संदेश जाएगा, लेकिन जनता का आदेश उनके ख़िलाफ आया तो राजनीतिक दल और राजनेताओं को घोसी के मन की बात समझने के लिए अलग तरह से प्रयास करने होंगे.



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Tue, Sep 05 , 2023, 11:04 AM