सुप्रीम कोर्ट ने दी शर्तों के साथ अनुमति
हर तरफ सर्वोच्च अदालत के फैसले का स्वागत
महानगर संवाददाता
मुंबई। महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ प्रेमियों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक बड़ी खुशखबरी मिली है। देश की सर्वोच्च अदालत ने शर्तों के साथ राज्य में बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने की अनुमति प्रदान कर दी है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बैलगाड़ी दौड़ शुरु करने के मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने अपने फैसले में सशर्त बैलगाड़ी दौड़ शुरु करने की अनुमति प्रदान कर दी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पशु प्रेमियों का अभिनंदन किया है।
अंत तक लड़ाई लड़ने वालों का अभिनंदन: ठाकरे
राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने और बैलगाड़ी दौड़ के लिए अंत तक लड़ाई लड़ने वाले पशुप्रेमियों का अभिनंदन किया है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में पशुधन को देवता का स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि बैलगाड़ी दौड़ फिर शुरू की जानी चाहिए, लेकिन इस संबंध में निर्धारित नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए।
किसानों की एकजुटता की जीत: अजित पवार
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बैलगाड़ी दौड़ पर पाबंदी हटाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि बैलधारक किसानों ने एक लंबी लड़ाई जीती है। यह राज्य के किसानों की एकजुटता की जीत है। उन्होंने कहा कि यह महाविकास आघाड़ी सरकार के प्रयासों की विजय है। सरकार ने पूरी ताकत से अदालत में केस लड़ा। इससे मिली सफलता से राज्य के किसानों को उत्साह बढ़ेगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति: केदार
राज्य के पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री सुनील केदार बैलगाड़ी दौड़ शुरु करने को लेकर लगातार प्रयासरत थे। उन्होंने अदालत के फैसले को महाराष्ट्र के किसानों के हित में बताया है। केदार ने कहा कि पिछले चार साल से यह प्रकरण चल रहा था। महाविकास आघा़ड़ी सरकार ने इस बारे में फॉलोअप किया। बैलगाड़ी दौड़ के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। आज का निर्णय सुखद है।
हमारी सरकार के वक्त बनी थी वैज्ञानिक रिपोर्ट: फड़नवीस
विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बैलगाड़ी दौड़ पर लगी रोक हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा कि बैलगाड़ी दौड़ पारंपरिक खेल है, जिसे किसानों बेहद पसंद करते हैं। फड़नवीस ने कहा कि हमारी सरकार के वक्त वैज्ञानिक आधार पर तैयार की गई रनिंग एबीलिटी ऑफ बुल (बैल के दौड़ने की क्षमता) की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने इस प्रयास में लगे सभी लोगों को अभिनंदन किया।
400 साल पुरानी परंपरा
बता दें कि महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ की परंपरा 400 साल से भी ज्यादा पुरानी है। यह राज्य की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। किसान दौड़ के लिए खिल्लार प्रजाति के बैलों का इस्तेमाल करते हैं। खिल्लार महाराष्ट्र में पाए जाने वाले बैलों की प्रजाति है। बैलगाड़ी दौड़ बंद होने से गांवों में जत्रा भरनी बंद हो गई थी।



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Thu, Dec 16 , 2021, 08:35 AM