नयी दिल्ली। पंजाब विधानसभा चुनाव में वर्ष 2017 में एक बड़ा बदलाव आया था, जिसमें 10 वर्ष तक सत्ता में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिरोमणी अकाली दल के गठबंधन को मतदाताओं ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
विधानसभा की 117 सीटों पर हुए इस चुनाव में 77 सीटों पर जीत दर्ज कर कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री बनाते हुए पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। अकाली-भाजपा गठबंधन ने 18 सीटें जीती थी। वहीं बड़ी उम्मीदों के साथ पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने 20 सीटों जीत दर्ज की थी और अन्य के खाते में 2 सीटें आई थी।
पंजाब मेें वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का भरोसा कांग्रेस ने जीता था, जिसमें पार्टी के पक्ष में राज्य की 38.5 प्रतिशत वोट थी, अकाली दल के खेमे में 25.2 प्रतिशत, आप पार्टी के पास 23.7 प्रतिशत और भाजपा के खाते में 5.4 प्रतिशत वोट आई थी।
पंजाब में 24 मार्च 2017 को शुरू हुए कांग्रेस के कार्यकाल में पिछले वर्ष की आखिरी छमाही में पार्टी के अंदर राजनीति खींचतान बढ़ गई थी जिसके कारण कैप्टन अमिरंदर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपा गया। वहीं दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस का बड़ा चेहरा नवजोत सिंह सिद्धू कई मौके पर पार्टी से नाराज दिखे। श्री अमरिंदर के इस्तीफे के पीछे का बड़ा कारण भी उन्हें माना जाता है।
पंजाब में लंबे समय बाद शिरोमणी अकाली दल का भाजपा से गठबंधन टूट गया है और वह वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है।



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Sun, Jan 09 , 2022, 10:16 AM