यह तो पहले ही देखा जा चुका है कि बड़ों में हार्ट (Heart) की बीमारी की दर बढ़ रही है। लेकिन, अब बच्चों में भी हार्ट की बीमारी की दर बढ़ रही है। इस वजह से मेडिकल फील्ड में चिंता जताई जा रही है। सरकार के अलग-अलग हेल्थ प्रोग्राम के तहत पिछले साढ़े तीन साल में राज्य में 11 हजार 840 बच्चों में हार्ट की गंभीर बीमारियां पाई गई हैं। इनमें से 11 हजार 336 बच्चों की सरकारी स्कीम के तहत हार्ट सर्जरी हो चुकी है।
दुनिया भर में हार्ट से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। हार्ट अटैक, स्ट्रोक या हार्ट ब्लॉकेज जैसी गंभीर बीमारियां होने के बाद पूरी सेहत खराब हो जाती है। शरीर में जमा कोलेस्ट्रॉल का असर हार्ट की सेहत पर तुरंत पड़ता है। ब्लड वेसल में जमा पीली परत ब्लड फ्लो में रुकावट पैदा करती है, जिससे कभी भी हार्ट अटैक और मौत की संभावना रहती है। डेली डाइट में बदलाव का असर सेहत पर तुरंत दिखता है।
बच्चों में हार्ट डिफेक्ट के कारण?
कुछ बच्चे हार्ट डिफेक्ट (Heart defect) के साथ पैदा होते हैं, जिससे हार्ट की मसल्स ठीक से काम नहीं कर पातीं। स्ट्रेप थ्रोट या स्कार्लेट फीवर जैसे इन्फेक्शन से हार्ट की बीमारी हो सकती है, जिससे हार्ट के वाल्व और मसल्स को नुकसान हो सकता है। यह बीमारी ज़्यादातर छोटे बच्चों में होती है और हार्ट की मसल्स या कोरोनरी आर्टरीज़ को नुकसान पहुंचा सकती है। कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि बच्चों में हार्ट डिफेक्ट दूसरी वजहों से भी हो सकते हैं। बदलती लाइफस्टाइल भी बच्चों में हार्ट डिफेक्ट बढ़ने का एक कारण है। वहीं, कोरोना महामारी के बाद यह रेट और बढ़ गया है।
दवा, सर्जरी से इलाज:
बच्चों में हार्ट (Heart) की बीमारी का इलाज अक्सर दवा, सर्जरी या दूसरे मेडिकल प्रोसीजर से किया जा सकता है। कुछ हार्ट की बीमारियों में सर्जरी की ज़रूरत होती है, जैसे हार्ट वाल्व बदलना या हार्ट डिफेक्ट को ठीक करना, कभी-कभी दूसरे मेडिकल प्रोसीजर, जैसे हार्ट की बीमारी के इलाज के लिए कैथेटर का इस्तेमाल करना।
नेशनल चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम के तहत स्क्रीनिंग:
नेशनल चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम के तहत, आंगनवाड़ी, सरकारी और सेमी-गवर्नमेंट स्कूलों में बच्चों का रेगुलर हेल्थ चेक-अप किया जाता है। इस चेक-अप के दौरान पता चलने वाली हेल्थ प्रॉब्लम्स के लिए सभी तरह का इलाज सरकार की तरफ से दिया जाता है। महाराष्ट्र में 1 अप्रैल 2022 से सितंबर 2025 के बीच साढ़े तीन साल में 11,840 बच्चों में हार्ट डिफेक्ट पाया गया। इनमें से 11,336 बच्चों की सर्जरी हुई, जबकि 504 बच्चों का इलाज चल रहा है।
नोट – यह आर्टिकल सिर्फ आम जानकारी के लिए लिखा गया है और इसमें किसी भी तरह के इलाज का दावा नहीं किया गया है। कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।



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Sun, Dec 07 , 2025, 01:14 PM