Sea-Dominance Strategy : गुजरात के माधवपुर तट पर हुआ ‘एक्सरसाइज त्रिशूल (Exercise Trishul)’ इस बार सिर्फ शक्ति प्रदर्शन भर नहीं था बल्कि यह भारतीय सैन्य रणनीति (Indian military strategy) में एक गहरा बदलाव था. पहली बार भारतीय सेना ने भारी बख़्तरबंद टैंकों को समुद्र से सीधे बीचहेड पर उतारकर यह दिखा दिया कि भविष्य का युद्ध अब केवल जमीन या आकाश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि तटों और समुद्री गलियारों में भी निर्णायक मोड़ ले सकता है. भारतीय सेना (Indian Army) के टैंक और इन्फैंट्री प्लाटून को लैंडिंग क्राफ्ट मैकेनाइज्ड (LCMs) के जरिए उतारने की क्षमता एक ऐसा परिवर्तनकारी कदम है, जो भारत को उन देशों की श्रेणी में ले जाता है जो आवश्यकता पड़ने पर तटीय क्षेत्रों में ‘शॉक इन्सर्शन’ कर सकते हैं. यानी अचानक, भारी और प्रभावी सैन्य उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं. यह क्षमता अब तक केवल कुछ चुनिंदा देशों के पास ही थी.
इस अभ्यास की सबसे अहम बात यह रही कि यह सिर्फ एक टैक्टिकल ड्रिल नहीं, बल्कि स्ट्रेटेजिक सिग्नल था, जो सीधा पाकिस्तान की सुरक्षा नीति को प्रभावित करता है. कराची जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और नौसेना का केंद्र है, अब भारतीय अम्फीबियस अभियानों की पहुंच के दायरे में आ सकता है. यह बात इस पूरे प्रदर्शन की राजनीतिक और सामरिक संवेदनशीलता को और बढ़ा देती है. रिव्यूइंग टीम में मौजूद लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने स्पष्ट कहा कि “किसी भी प्रकार की चुनौती अगर आए, रेगिस्तान हो, रण हो या क्रीक दक्षिणी कमान हर परिस्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है.”
त्रिशूल का बड़ा संदेश यह है कि भारत अब मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस की ओर निर्णायक रूप से बढ़ चुका है, जहां नौसेना का समुद्री प्रभुत्व, वायुसेना की हवाई सुरक्षा और थलसेना की मारक क्षमता एक साथ जुड़कर पूरी तरह नया युद्ध-आर्किटेक्चर तैयार कर रही है. इस अभ्यास ने यह भी साफ किया कि ‘न्यू इंडिया’ सिर्फ सीमाओं की रक्षा नहीं करता, वह हर भू भाग, हर मौसम और हर मोर्चे पर अभियान चलाने के लिए तैयार सेना रखता है.



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