India renewable energy capacity: देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़कर 197 गीगावाट हुयी!

Wed, Nov 05 , 2025, 08:34 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

नयी दिल्ली: पिछले एक दशक में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) क्षमता में असाधरण बढ़ोतरी हुई है और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 के 35 गीगावाट से बढ़कर अब 197 गीगावाट से अधिक हो गयी है। हालांकि इसमें बड़े जलविद्युत संयंत्र शामिल नहीं हैं।

यह उल्लेखनीय विस्तार भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते स्वच्छ ऊर्जा बाज़ारों में शामिल करता है। सरकार अब इस विकास यात्रा के अगले चरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसका लक्ष्य सिर्फ क्षमता विस्तार नहीं बल्कि ग्रिड एकीकरण, भंडारण और बाज़ार सुधारों के माध्यम से कुशल उपयोग सुनिश्चित करना है।

ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) ने 30 सितंबर 2025 तक 43,942 मेगावाट क्षमता के लिए लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी किए हैं। इनमें से कई मामलों में बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) अभी हस्ताक्षरित नहीं हुए हैं। इसके बावजूद, अप्रैल 2023 से अब तक 24,928 मेगावाट क्षमता के लिए सफलतापूर्वक पीएसए पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सरकार और बाज़ार के बीच समन्वय लगातार बेहतर हो रहा है।

सरकार ने इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि जारी एलओए को रद्द करने की कोई योजना नहीं है। केवल उन्हीं मामलों की चरणबद्ध समीक्षा की जाएगी, जहां सभी व्यावहारिक विकल्पों के बाद भी पीएसए और बिजली क्रय समझौते (पीपीए) के निष्पादन की संभावना नहीं बचती। डिस्कॉम (विद्युत वितरण कंपनियों) की कुछ चिंताओं के बावजूद सरकार ने नवीकरणीय परियोजनाओं में निवेश को सुरक्षित बताते हुए कहा है कि कोई भी बड़ा निवेश तभी शुरू होता है जब पीपीए निष्पादित हो जाता है।

सरकार ने पीएसए क्रियान्वयन को सुगम बनाने के लिए कई पहल की हैं। इनमें राज्यों से ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत नवीकरणीय उपभोग दायित्व (आरसीओ) का पालन करने का आग्रह भी शामिल है। इसके साथ ही आरईआईए को सलाह दी गई है कि नई निविदाएं जारी करने से पहले डिस्कॉम और उपभोक्ताओं की वास्तविक मांग का आकलन करें। प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा उपभोक्ता राज्यों के साथ क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं ताकि निविदा प्रक्रिया और अनुबंध निष्पादन को तेज किया जा सके।

सौर, पवन, हाइब्रिड और फर्म एवं डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (एफडीआरई) के लिए मानक बोली दिशानिर्देशों में भी संशोधन किए गए हैं। अब यदि कोई एलओए जारी होने के 12 महीने बाद तक निष्पादित नहीं होता, तो उसे रद्द किया जा सकता है। यह बदलाव न केवल अनुशासन को बढ़ाता है बल्कि परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन को भी सुनिश्चित करेगा।

नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार में अब एक नई प्रवृत्ति उभर रही है जो साधारण सौर परियोजनाओं से हटकर सौर आधिक्य भंडारण और एफडीआरई आधारित समाधानों की ओर झुकाव को दर्शाता है। सौर-आधिक्य भंडारण आर्थिक दृष्टि से अधिक व्यवहारिक साबित हो रहे हैं, विशेषकर अधिक मांग (पीक) वाले घंटों के दौरान बिजली आपूर्ति करने में ये काफी अहम हैं। इसके परिणामस्वरूप साधारण सौर परियोजनाओं की मांग में कुछ कमी आई है। 

सरकार आरईआईए को ऐसी नई प्रवृत्तियों को अपनाने और बाज़ार की बदलती जरूरतों के अनुरूप निविदाएं तैयार करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही ट्रांसमिशन अवसंरचना के क्षेत्र में भी बड़े सुधार चल रहे हैं। 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये की निवेश योजना तैयार की गई है। हाल ही में संशोधित जनरल नेटवर्क एक्सेस (जीएनए) नियम अधूरी क्षमता के उपयोग और ग्रिड पहुंच में सुधार के उद्देश्य से बनाए गए हैं। इससे नवीकरणीय ऊर्जा संपन्न राज्यों पर बोझ कम होने के साथ ही बिजली आपूर्ति में संतुलन जरूरी है।

भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं और वित्तीय चुनौतियों के बावजूद लगभग 29 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में ही लगभग 25 गीगावाट नई क्षमता जोड़ी जा चुकी है। यह वृद्धि केंद्र और राज्य-स्तरीय बोलियों के साथ-साथ वाणिज्यिक एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं के बढ़ते योगदान का परिणाम है।

भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन अब उस चरण में पहुंच गया है जहां फोकस विस्तार के साथ एकीकरण, विश्वसनीयता और दक्षता पर है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र अब क्षमता वृद्धि के लिये ग्रिड स्थिरता, घरेलू विनिर्माण और वित्तीय अनुशासन के साथ जोड़ते हुए परिपक्वता की तरफ बढ़ रहा है। ऊर्जा मंत्रालय ने दोहराया है कि भारत एक पारदर्शी, उत्तरदायी और भविष्य-तैयार नवीकरणीय ऊर्जा इको-सिस्टम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो राष्ट्रीय डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों और वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूती देगा।

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