सेना तकनीक परिवर्तन को परिचालन तैयारी की आधार शिला बनायेगी: सिंह

Thu, Jul 17 , 2025, 07:46 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

जयपुर। सप्त शक्ति कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह (General Manjinder Singh) कहा है कि सेना तकनीकी परिवर्तन को अपनी परिचालन तैयारी की आधार शिला बनायेगी। ले जनरल सिंह ने गुरुवार को राजस्थान में जयपुर की सैन्य छावनी में आयोजित दो दिवसीय ‘नेक्स्ट जेनरेशन कॉम्बैट (Next Generation Combat)- शेपिंग टुमॉरोज़ मिलिट्री टुडे’ विषयक संगोष्ठी में कहा कि भारतीय सेना को एक चुस्त, अनुकूलनशील और तकनीकी रूप से श्रेष्ठ सेना की रूप में ढाला जायेगा जो किसी भी खतरे को प्रभावी ढंग से रोकने और निर्णायक जवाब देने में सक्षम हो और जिसमें सभी स्तरों पर ‘टेक्नो कमांडर’ (techno commanders) सेना का प्रतिनिधित्व करते हों।

उन्होंने सुरक्षा बलों (Security Forces) के सभी घटकों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त संरचनाओं की उभरती आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी सभी के मन-मस्तिष्क को इस परिवर्तनकारी पथ ‘प्रौद्योगिकी-सक्षम सेना’ को अपनाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुई है। संगोष्ठी में एक मजबूत, भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना को आकार देने में उन्नत विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर गहन चर्चा की गयी, जो ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने में व्यापक राष्ट्रीय शक्ति का एक आवश्यक साधन है। विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने की दिशा में भारत की यात्रा किस प्रकार इसकी तकनीकी प्रगति से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है।

संगोष्ठी में ड्रोन युद्ध के तेजी से विकास पर जोर देते हुए, वक्ताओं ने मानव रहित हवाई प्रणालियों (UAS) में भविष्य के रुझानों पर चर्चा की। विशेष रूप से स्वदेशी सौर ऊर्जा चालित ड्रोन के विकास पर बल दिया गया, जो दीर्घकालिक उड़ान और बेहतर स्टेल्थ क्षमताओं से युक्त हों। संगोष्ठी में उद्योग प्रतिनिधियों ने रोबोटिक युद्ध प्रणाली को (UAS) को आक्रामक एवं रक्षात्मक अभियानों में समावेशित करने की रणनीतिक आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। उन्होंने आरसीएस को लड़ाकू दलों के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में देखा, जो स्वायत्त गति, लक्ष्य का पता लगाने और संलग्न होने में सक्षम थे, साथ ही घातक कार्रवाइयों के लिए मानवीय निगरानी बनाये रखते थे।

इसके अलावा संगोष्ठी में आधुनिक सैनिक प्रणालियों के क्षेत्र में भी चर्चा हुई, जिसमें आत्म-उपचार करने वाले वस्त्र, उन्नत हल्के कवच जिनमें उच्च बैलिस्टिक सुरक्षा हो। संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) बिग डेटा एनालिटिक्स, थ्री डी प्रिंटिंग जैसी उन्नत निर्माण तकनीकों और संचार प्रणालियों जैसी नागरिक क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियों को किस प्रकार सहजता से सैन्य प्रणालियों में एकीकृत की जा सकती हैं। गोष्ठी में प्रख्यात वक्ताओं ने ग्रे ज़ोन युद्ध की बढ़ती हुई चुनौती पर भी ध्यान केंद्रित किया और इस बात पर बल दिया कि भारतीय सेना को पारंपरिक युद्ध की सीमा से नीचे संचालित होने वाली इन गुप्त और अपारंपरिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए व्यापक क्षमताओं का विकास करना आवश्यक है।

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